-हम अपनी आदतें सुधारें, जिम्मेदारी को समझें तो फिर नहीं होगी बिजली प्रॉब्लम

-हर दिन हम दो यूनिट बिजली बचाएं तो सात हजार लोगों को दस घंटे मिल सकती है बिजली

BAREILLY: बस चंद दिनों बाद हमें अंग्रेजों से आजाद हुए 68 वर्ष हो जाएंगे। बेशक इस दरमियान हमारे देश ने तरक्की की नई इबारतें लिखी हैं। जिस पर हमें फख्र है, लेकिन कहीं न कहीं यह टीस भी है कि देश में न जाने कितने घर ऐसे हैं जो आज भी अंधेरे में हैं। यदि हम अपनी कुछ आदतों में सुधार कर लें तो बहुत मुमकिन है कि उन घरों में भी उजाला हो जाएगा। जिन घरों के लोग अंधेरे में रहने को विवश हैं। हमारी आजादी का यह मतलब तो नहीं है न कि हम बिजली चोरी करें, लाइन लॉस करें और इलेक्ट्रानिक उपकरणों का मिसयूज करें। हमें अपनी इन आदतों को बदलने की जरूरत है।

आदत छोड़ें, िमलेगा फायद

हमें मिलने वाली बिजली सप्लाई का 24 परसेंट हिस्सा चोरी से लोग इस्तेमाल करते हैं। ये लोग हम में से ही हैं। जबकि, बिजली इस्तेमाल करने के बावजूद करीब एक तिहाई लोग बिजली बिल न देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। क्या हमारी आजादी का बस यही मतलब है हम बिजली बिल न दें। शहर के पौने दो लाख कंज्यूमर्स के लिए 450 मेगावॉट बिजली की सप्लाई होती है। जो कंज्यूमर्स के हिसाब से पर्याप्त है। जबकि बिजली की हो रही चोरी के कारण शहर को 4 घंटे भी बिजली मिलना भी मुश्किल हो गया है। यदि, हम यह आदत छोड़ दें, तो बिजली कटौती से होने वाली तमाम परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।

फॉर योर इंफॉर्मेशन

लाइन लॉस को रोकना जरूरी

रोजाना होने वाली लाइन लॉस को रोककर हम अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा सकते हैं। यदि हर कंज्यूमर्स दो यूनिट बिजली की भी बचत हर रोज करें तो शहर में रोजाना 3,50,000 यूनिट बिजली की बचत होगी। अधिकारियों ने बताया कि इससे सात हजार लोगों को दस घंटे तक बिजली दी जा सकती है। वहीं हमारी बुरी आदतों में शुमार बिना जरूरत टीवी, फैन, कूलर के स्वीच ऑन करना बहुत बिजली बर्बाद करता है। हम अपनी इस आदत को बदल कर जेनरेटर, इंवर्टर ऑल्टरनेटिव इक्विपमेंट के बढ़ रहे प्रचलन को रोक सकते है। इससे हमें आर्थिक बचत तो होगी ही साथ ही जेनरेटर इक्विपमेंट से होने वाले इनवॉयरमेंट के नुकसान को भी रोका जा सकता है।

आती है 1100 मेगावॉट बिजली

बरेली ट्रांसमिशन पर रिलायंस और उन्नाव से 1100 मेगावॉट बिजली मिलती है। इसमें से 700 मेगावॉट रिलायंस 400 मेगावॉट उन्नाव से बिजली उपलब्ध होती है। वहीं शहर के डिस्ट्रिब्यूशन को रोजाना 450 मेगावॉट बिजली दी जाती है। बाकी बची हुई बिजली मुरादाबाद, रामपुर व गुलाबबाड़ी को सप्लाई कर दी जाती है। शहर को मिलने वाली कंज्यूमर्स के हिसाब से पर्याप्त होती है। बावजूद कुछ गलत आदतों के कारण हमारे शहर में बिजली की प्रॉब्लम है।

उत्पादन भी होता है

शहर में गन्ने की खोई से बिजली का उत्पादन भी किया जाता है। रोजाना 62 मेगावॉट बिजली द्वारकेश, केसर शुगर मिल और धामपुर शुगर मिल पैदा की जाती है। इसके अलावा पीलीभीत और शाहजहांपुर में भी खोई से बिजली का उत्पादन होता है। फिर भी हमारी आदतें हमें बिजली की कमी से जूझने पर मजबूर कर दे रही हैं।

बाक्स---

-सिटी में सप्लाई- 450 मेगावॉट

-कनेक्शन- 1 लाख 75 हजार

-लाइन लॉस- 24 प्रतिशत

-अगर दो यूनिट हर कस्टमर डेली बचत करें तो 10 घंटे तक सात हजार घरों को बिजली उपलब्ध हो जाए

-अगर बिजली चोरी बंद हो जाए तो पूरे शहर को 20 घंटे की मिलने लगे सप्लाई

शहर को प्रर्याप्त बिजली मिल रही है। यदि बिजली चोरी रुक जाए तो शहर में बिजली की कोई प्रॉब्लम फेस नहीं करना पड़ेगा। वहीं हर कंज्यूमर 2 यूनिट बिजली की बचत करे तो शहर के 7 हजार लोगों को और बिजली मिल सकती है।

वीके शर्मा, चीफ इंजीनियर, बिजली विभाग