केस वन

मॉडल टाउन के एक आइसक्रीम फैक्ट्री में डिवाइस से बिजली चोरी का मामला सामने आया है। फैक्ट्री ओनर विजय कुमार नाम ने मीटर से पहले एक डिवाइस लगाए था, जिससे मीटर काम करना बंद कर देता था। शक होने पर जब विभाग ने मीटर की जांच लैब में की तब खुलासा हुआ कि मीटर को रिमोट डिवाइस के जरिए रोका गया था।

केस टू

एक और डिवाइस का मामला सीबीगंज के खड़उआ का है। सुनील कुमार नाम के एक व्यक्ति ने डिवाइस लगा रखी थी। दो महीने पहले जब विभाग की विजिलेंस टीम ने छापेमारी की तो मामला पकड़ में आया। टीम ने शक होने पर मीटर को सील कर लैब में जांच के लिए भेजा। लैब में डाटा की एमआरआई होने के बाद यह पता चल सका कि डिवाइस से मीटर की स्पीड रोकी गई थी।

BAREILLY:

डिवाइस के जरिए मीटर की स्पीड रोकने के खुलासे ने बिजली विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। क्योंकि प्रदेश में ऐसे कुल पांच मामले पकड़े गए हैं, जिनमें दो बरेली के हैं। डिवाइस से बिजली चोरी को पकड़ना आसान नहीं है, क्योंकि डिवाइस रिमोट से कंट्रोल होता है। चेकिंग दस्ता पहुंचने से पहले ओनर डिवाइस को ऑफ कर मीटर को ऑन कर देते हैं। ऐसे में, चोरी पकड़ना आसान नहीं होता है।

डिवाइस कुछ ऐसे करता है काम

डिवाइस को मीटर से पहले न्यूट्रल वायर में कट कर लगा दिया जाता है। यही न्यूट्रल वायर बिजली मीटर के काउंटर (जिससे बिजली मीटर के यूनिट गिने जाते हैं) में जाकर कनेक्ट होता है। डिवाइस न्यूट्रल की सप्लाई को काट देता है, जिससे मीटर का काउंटर नहीं चल पाता है। खास बात यह है कि

यह डिवाइस रिमोट से कंट्रोल होता है। रिमोट की रेंज 30 मीटर तक की है। जब भी कोई चेकिंग के लिए आता है तो दूर से ही इस डिवाइस को बंद कर दिया जाता है। इससे न्यूट्रल की सप्लाई बहाल हो जाती है। इस दौरान मीटर की अर्थ वाली डायट (लाइट) जल जाती है।

3 से 10 हजार में अवेलबल हैं डिवाइस

बरेली के मार्केट में इलेक्ट्रॉनिक मीटरों के कारोबारी ही इस चलन को बढ़ावा दे रहे हैं, जो कि दिल्ली, लखनऊ और अमृतसर जैसे शहरों से डिवाइस को मंगातें है। यह डिवाइस 3 हजार रुपए से 10 हजार रुपए तक में बाजार में आसानी से अवेलबल है। चंद रूपए खर्च कर कुछ लोग बिजली विभाग को लाखों रूपए की चपत लगा रहे हैं। मीटर टेस्ट डिविजन के अधिकारियों ने बताया कि इसका रिमोट डिवाइस छोटे आकार का होता है। इसके माध्यम से मीटर समय-समय पर ऑन-ऑफ किए जाते हैं।

प्रदेश में पांच मामले आए सामने

प्रदेश में टोटल पांच मामले मीटर जांच में डिवाइस के सामने आए है। इनमें से 3 मामले राजधानी और दो बरेली के है। इसके अलावा बाकी तरह से होने वाली बिजली चोरी की बात की छोड़ दीजिए। दरअसल, पिछले दिनों पॉवर कॉरपोरेशन ने विजिलेंस टीम को इस संबंध में छापेमारी करने की सूचना दी थी। टीम ने छापेमारी कर मीटर जब्त कर लैब में जांच के लिए भेज दिए थे। लैब में जब मीटर की मीटर रीडिंग इंस्टूमेंट (एमआरआई) किया गया तो जांच में डिवाइस का यूज होना पाया गया है। एमआरआई एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए विभाग एक साल से अधिक समय का डाटा खंगाल सकती है।

कर्मचारियों पर उल्टे कर दिया केस

इस मामले में उल्टे कर्मचारियों पर ही एफआईआर दर्ज हो गई है। सुनील नाम के व्यक्ति ने कोर्ट के माध्यम से टेस्ट डिविजन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इनमें से एई मीटर अवनीश, जेई मीटर हीरा लाल गुप्ता और टीजी-2 निलेश रस्तोगी शामिल हैं। उसका आरोप है कि उसे इन कर्मचारियों ने जबरिया बिजली चोरी के आरोप में फंसाया है।

चोरी के तरीके

- पहले लोग चुंबक लगाकर बिजली चोरी करते थे। काउंटर लोहे का होने की वजह से घूमना बंद कर देता था।

- कई जगह प्लग निकालकर अर्थ के बिना सीधे सप्लाई दे दी जाती थी।

- कुछ लोग लाइट एमिटी डॉयड को बढ़ाकर भी बिजली चोरी करते थे। पावर कारपोरेशन ने इससे बचने के लिए नए मीटर लाए ।

- बिजली चोरों ने इलेक्ट्रोमैकेनिकल मीटर में फेस न्यूट्रल चेंज करके अर्थ का स्विच चोरी शुरू कर दी।

- कुछ लोग मीटर में होल करके एक डिस्क डालकर चक्करी को रोक देते थे।

- मीटर की सील तोड़कर मीटर काउंटर में खपत कम कर दी जाती थी।

- इंजेक्शन लगाकर मीटर की रफ्तार को धीमा कर देते हैं।

बरेली में दो मामले डिवाइस के मिले है। इसके पहले इस तरह का कोई मामला बरेली में देखने को नहीं मिला था। डिवाइस को मीटर से पहले ही लगाकर कंट्रोल किया जाता है। दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

आरएन सिंह, मीटर टेस्ट डिविजन, बिजली विभाग