- जम्मू में ट्रेन में चढ़ते समय कैंट की प्रतिभा पांडेय हो गई थी घायल

- रेलवे अधिकारियों से शिकायत पुस्तिका तक नहीं दी

BAREILLY:

नॉर्दर्न रेलवे से हक की लड़ाई लड़ने वाली एक यात्री 8 वर्ष बाद जंग जीत गई। रेल दावा अधिकरण ने पीडि़ता को 30 हजार रुपए जुर्माना का देने का आदेश एनआर के महाप्रबंधक को दिया है। क्षतिपूर्ति की राशि 6 परसेंट ब्याज के साथ रेलवे को देना होगा। लम्बे संघर्ष के बाद पीडि़ता को न्याय मिलने से बाकी मामले में पीडि़त यात्रियों को भी एक उम्मीद जगी है।

8 वर्ष बाद मिला न्याय

मामला 8 वर्ष पहले का है। दिसम्बर 2009 में बरेली कैंट निवासी प्रतिभा पांडेय अपने परिवार के साथ जम्मू से बरेली आ रही थी। मोरध्वज एक्सप्रेस में उन्होंने रिजर्वेशन कराया था। जम्मू स्टेशन से ट्रेन शाम 6.30 पर रवाना होनी थी, लेकिन ट्रेन समय पर प्लेटफार्म पर लगी ही नहीं। निर्धारित समय से ट्रेन 5 मिनट बाद प्लेटफार्म पर लगी। ट्रेन के इंतजार में प्लेटफार्म पर इतनी अधिक भीड़ थी कि यात्रियों को काफी प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ी थी। धक्का-मुक्की के बीच ट्रेन में चढ़ने में प्रतिभा पांडेय प्लेटफार्म गिर पड़ी। बाद में किसी तरह से ट्रेन पर चढ़ सकी।

किसी ने नहीं सुनी शिकायत

चोट गर्म होने के कारण शुरुआत में उन्हें दर्द का पता ही नहीं चला। बाद में दर्द बढ़ गया। दर्द निवारक गोलियां खाने के बाद भी प्रतिभा को आराम नहीं मिला। प्रतिभा के प्रति सुरेश चंद्र ने चक्की बैंक स्टेशन पर ट्रेन रुकने के बाद शिकायत दर्ज कराने की सोची। लेकिन रेलवे अधिकारी सुरेश को एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन में दौड़ाते रहे। लेकिन उन्हें किसी ने शिकायत पुस्तिका नहीं दी, जिससे वह अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा सके।

महाप्रबंधक को लिखा लेटर

जिसके बाद थक हार कर सुरेश ने मामले से एनआर के महाप्रबंधक को अवगत कराया। जम्मू और चक्की बैंक स्टेशन पर रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही उजागर करते हुए महाप्रबंधक को लेटर लिखा। इसी बीच रेलवे के फिरोजपुर डिवीजन के मुखिया का पत्र आया और उन्होंने यात्री को हुई असुविधा पर खेद जताया, लेकिन ऑपरेटिंग विभाग के मुखिया ने सारे मामले पर पर्दा डाल दिया और शिकायत को झूठा बता दिया, जिसके बाद जम्मू आरपीएफ की टीम बरेली आई। आरपीएफ ने पीडि़ता के बयान लिए, जिसके बाद आरपीएफ ने मामला दर्ज कराया।

ब्याज सहित 30 हजार जुर्माना

पीडि़ता का बयान लेने के बाद आरपीएफ ने मामले को रेलवे दावा अधिकरण में 16 दिसम्बर 2009 को दायर किया। मामले को ट्रिब्यूनल के सदस्य तकनीकी एके श्रीवास्तव ने सुना। इन्होंने केस की सुनवाई के दौरान रेलवे कर्मचारियों को दोषी पाया। जिसके बाद पीडि़ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 30 हजार रुपए जुर्माना और याचिका दर्ज होने की डेट से 6 परसेंट ब्याज के साथ देने के आदेश दिए है।