बरेली (ब्यूरो)। महंगाई की मार से आम लोग तो परेशान हैं ही, रावण भी इससे अछूता नहीं रह सका। इस महंगाई के कारण ही इस बार रावण की पर्सनाल्टी अन्य सालों की अपेक्षा थोडी सिकुड़ी-सिमटी हुई सी नजर आ रही है। रावण के पुतलों को तैयार करने में काम आने वाला बांस और अबरी पेपर महंगा होने से पुतलों के रेट इस बार 30 परसेंट तक बढ़ गए हैं। इससे बड़े पुतलों की डिमांड भी घट गई। रावण के पुतलों को तैयार करने वाले कारीगरों की मानें तो पहले उनके पास 70 फीट हाइट तक के पुतलों के एडवांस आर्डर रहते थे, पर इस बार 35 से 40 फीट हाइट के पुतलों के ही आर्डर अधिक रहे।

पुतले आज होंगे खाक
विजयदशमी यानि दशहरा 24 अक्टूबर को है। इस दिन उन सभी जगह पर रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले दहन होंगे, जहां रामलीला मंचन चल रहा है। शहर में जोगी नवादा, सुभाषनगर, कैंट, राजेन्द्र नगर और चौधरी तालाब की रामलीला चल रही है। इन सभी जगहों पर अन्य सालों में 55 से 70 फीट हाइट तक के पुतले का दहन हुआ करते थे। इस बान इन सभी जगहों पर रावण परिवार के पुतले हाइट में थोड़ा छोटे हैं। इसके अलावा भी लोग मोहल्लों और कॉलोनियों में रावण के पुतलों को दहन करते हैं। यहां भी इस बर छोटे-छोटे पुतले ही दहन किए जाएंगे।

बाहर से आते हैं कारगीर
रावण के पुतले यूं तो शहर में ही तैयार होते हैं, पर इनको बनाने वाले कारीगर बाहर से बुलाए जाते हैं। यह सभी कारीगर पिछले 30 से 35 वर्षो से पुतला बनाने का काम करते आ रहे हैं। रामलीला के लिए जहां अधिक हाइट के पुतले की डिमांड होती है तो कारीगर उस जगह पर ही जाकर पुतले बनाते हैं। महंगाई बढऩे से कारीगरों ने भी अपनी मजदूरी भी बढ़ा दी है।


रावण का पुतला बनाने में जो सामग्री प्रयोग होती है वह 20-30 परसेंट तक महंगी हो गई हैं। इसीलिए रावण के छोटे पुतलों की इस बार डिमांड ज्यादा है। इस बार 30 से 35 फीट तक के रावण के पुतले अधिक बिके हैं। पहले 70 फीट तक के पुतलों की डिमांड अधिक रहती थी।
प्रदीप कुमार, कारीगर

पुतला रावण का हर बार कॉलोनी में जलाया जाता है। इस बार रावण का पुतला काफी महंगा हो गया है। इसीलिए इस बार पुतला छोटा खरीदने के लिए ऑर्डर बुक किया है। कुछ भी हो, रावण को जलाना ही है।
अनूप, खरीदार