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बरेली: पर्यावरण के लिए जहर बनती जा रही प्लास्टिक का इस्तेमाल पीडब्ल्यूडी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई जा रही सड़कों के निर्माण में किया है। प्लास्टिक वेस्ट के इस्तेमाल से बरेली के बहेड़ी व मीरगंज ब्लॉक में दो सड़कों का निर्माण कर पर्यावरण सरंक्षण का उदाहरण पेश किया है, जिसमें भारी मात्रा में अनुपयोगी प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है। इसमें एक रोड का निर्माण कार्य पूरा हो चुक ा है, जिसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है तो वहीं दूसरी सड़क पर निर्माण कार्य चल रहा है जो जल्द ही पूरा हो जाएगा।

 

साढ़े तीन टन घुली प्लास्टिक

पॉल्यूशन कम करने के लिए प्लास्टिक वेस्ट का यूज सड़क बनाने में बरेली में पहली बार किया गया है। निर्माण के बाबत दो वर्ष पहले शासनादेश जारी हुआ था। बहेड़ी में मानपुर से पदमी तक करीब 3 किमी। और मीरगंज तहसील क्षेत्र में मीरगंज से सिरौली मार्ग निर्माण में प्लास्टिक वेस्ट से बनाए गए ग्रेन्यूल्स का प्रयोग किया है। जानकारी देते हुए विभाग के इंजीनियर ने बताया कि करीब 3200 कि ग्रा प्लास्टिक प्रयोग हुआ। बताया कि 1 किमी। रोड निर्माण में बिटुमिन के साथ करीब 450 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट को गलाकर निर्माण कार्य में प्रयोग होता है। इस आधार पर करीब 3.2 टन प्लास्टिक वेस्ट का प्रयोग हो चुका है।

 

प्लास्टिक ग्रेन्यूल्स का इस्तेमाल

सड़कों की ऊपरी परत चढ़ाने में जो प्लास्टिक उपयोग में लाया गया, उसमें कैरी बैग, प्लास्टिक के कप और गिलास, लेमिनेटेड प्लास्टिक, पान मसाला के रैपर, एल्युमिनियम के फॉयल, बिस्किट रैपर, चॉकलेट रैपर, दूध और किराने के सामान की पैकिंग वाले प्लास्टिक से बनाए गए ग्रेन्यूल्स का इस्तेमाल किया गया। लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन इंजीनियर राजवीर सिंह ने बताया कि बेकार प्लास्टिक से बिटमिन भी बचता है, लेकिन ग्रेन्यूल्स को जुटाने पर ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा उसके बराबर हो गया है। फिर भी प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण पर पैंतीस से चालीस हजार रुपए की बचत हुई है।

 

प्लास्टिक से बनी सड़क के फायदे

- सड़क की लाइफ दोगुनी हो जाएगी

- बारिश के बाद भी सड़क नहीं उखड़ेगी

- प्लास्टिक कोटेड होने से पानी का असर कम होगा

- प्लास्टिक कचरे से शहर को मिलेगा छुटकारा

- डामर व बिटुमिन की बड़ी मात्रा में होती है बचत

- प्रति किमी। करीब 50 हजार रुपए होती है बचत

- आम सड़कों के मुकाबले कम बजट में बेहद टिकाऊ

- पानी व गर्मी की मार झेलने की क्षमता अत्यधिक

 

कहां कितनी लागत की बनी सड़क

मार्ग लंबाई लागत

बहेड़ी में मानपुर से पदमी 3 किमी। 3.26 करोड़

मीरगंज में मीरगंज से सिरौली 4 किमी। 3.68 करोड़

 

प्लास्टिक वेस्ट के प्रयोग से बनाई गई सड़कों की क्षमता अन्य सड़कों के मुकाबले अधिक रहेगा। एक सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है वहीं, दूसरी सड़क का निर्माण 90 परसेंट पूरा हो चुका है।

इंजीनियर राजवीर सिंह, एक्सईएन

 

 

बरेली नहीं दिल्ली की प्लास्टिक से बनाई गई है सड़क

 

- सॉलिड वेस्ट प्लांट न होने से बरेली में नहीं जेनरेट हो सके प्लास्टिक ग्रेन्यूल्स

- निवासियों की जागरुकता पर प्रश्न चिह्न, कचरा से प्लास्टिक अलग न करना पड़ा भारी

 

बहेड़ी और मीरगंज में प्लास्टिक के प्रयोग से बनाई गई दोनों सड़कों में बरेली की वेस्ट पॉलीथिन और प्लास्टिक का उपयोग नहीं हुआ है। जो प्लास्टिक सड़क निर्माण में प्रयोग की गई वह दिल्ली से इम्पोर्ट करनी पड़ी। दिल्ली के पर्यावरण को प्रदूषित कर रही प्लास्टिक का बरेली की सड़कों में उपयोग होना नगर निगम और शहरवासियों के अवेयरनेस पर प्रश्न चिह्न लगा रहा है। बरेली में बनी सड़क को आखिर क्यों अन्य राज्यों के प्लास्टिक वेस्ट को खपाना पड़ा है। पढि़ए।

 

नहीं संचालित है सॉलिड वेस्ट प्लांट

बरेली में सॉलिड वेस्ट प्लांट वर्षो से बंद पड़ा है। अगर यह प्लांट संचालित होता है तो बरेली की वेस्ट प्लास्टिक को रिसाइकिल कर उसे ग्रेन्यूल्स में तब्दील कर सड़क निर्माण में उसका उपयोग किया जाता। साथ ही, ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा कम होने से सड़क निर्माण की लागत में भी करीब 5 परसेंट तक कमी आने की संभावना थी। लेकिन प्लांट बंद होने से ग्रेन्यूल्स का उत्पादन नहीं होने से ठेकेदार को अन्य राज्यों से प्लास्टिक वेस्ट से बने ग्रेन्यूल्स को मंगाना पड़ा। वहीं, शहरवासी भी कचरे के साथ पॉलीथिन और प्लास्टिक को फेंक देते हैं। जिससे उन्हें अलग करने में प्रॉब्लम होती है।

 

अवेयरनेस का नहीं दिख रहा असर

पिछले करीब साल भर से नगर निगम बरेलियंस को गीला और सूखा कचरा अलग करने के प्रति जागरूकता अभियान चला रहा है। शहर में गीले और सूखे कचरे को अलग करने के लिए शहर भर में करीब 4 हजार से अधिक डस्टबिन भी लगाए, लेकिन निवासियों की लापरवाही कहें या अनदेखी किसी ने भी अब तक गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के मुताबिक अगर प्लास्टिक वेस्ट अलग से मिल जाता तो उसमें से पॉलीथिन को अलग करके उसका उपयोग बिटुमिन के साथ्ज्ञ सड़क निर्माण में किया जा सकता था।

 

बरेली में प्लास्टिक वेस्ट एक नजर में

- 300 एमटी कूड़ा प्रतिदिन उत्पादित

- 15 एमटी प्लास्टिक वेस्ट परडे उत्पादित

 

सॉलिड वेस्ट प्लांट संचालन के लिए नगर निगम प्रयासरत है। निवासियों को गीला और सूखा कचरा अलग करने के प्रति अवेयर किया गया, लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा।

राजेश कुमार श्रीवास्तव, नगर आयुक्त