स्मार्ट सिटी के लिए खर्च के साथ ही आमदनी बढ़ाने पर भी निकायों को देना होगा जोर

शासन को भेजी जाएगी छमाही टैक्स वसूली की रिपोर्ट, 1.5 लाख में 15 हजार ने किया टैक्स जमा

BAREILLY:

स्मार्ट सिटी की रेस में बरेली को अगुवा बनाने की सरकारी कवायदों को जनता का साथ नहीं मिल रहा। स्मार्ट सिटी की फेहरिस्त में नाम शामिल होने के बाद शहर को संवारने के लिए बैठकों और वर्कशॉप का सिलसिला शुरू हो चुका है। नगर निगम और राज्य सरकार के जिम्मेदार बेहतर प्रोजेक्ट तैयार करने और केन्द्र से बजट हासिल करने को एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन शहर को संवारने की स्मार्ट कवायद में जनता अपनी भागीदारी नहीं निभा रही। शहर के डेवलेपमेंट में टैक्स चुकाने की जिम्मेदारी से 90 फीसदी करदाता अब भी मुंह फेरे हैं। जिससे स्मार्ट सिटी के बुनियादी कॉन्सेप्ट विकास में जनता की भागीदारी की शर्त ही पूरी नहीं हो रही।

निवेश ही नहीं आमदनी भी बढ़ाएं

निकायों के विकास पर सरकार बहुत बड़ा बजट जारी करती है, लेकिन जनता की बुनियादी सुविधाओं को पूरा कराने के बदले लिए जाने वाले टैक्स की वसूली बेहद कमजोर रहती है। ज्यादातर निकाय शासन की ओर से तय किए गए टैक्स टारगेट को पूरा नहीं कर पाते। ऐसे में शासन की ओर से निकायों को साफ निर्देश हैं कि विकास में खर्च होने वाले बजट के अनुपात में सरकारी खजाने को बढ़ाने के लिए टैक्स वसूली भी बढ़ाई जाए। इसी कड़ी में बरेली नगर निगम को भी यह निर्देश हुआ कि तय सीमा तक टैक्स वसूली न कर पाने की कंडीशन में कर्मचारियों का वेतन भी शासन के बजाए निगम के खुद उठाना होगा।

योजना संचालन का खर्च ख्ाुद उठाएं

केन्द्र सरकार की ओर से शुरू स्मार्ट सिटी मुहिम में भी निकायों को रेवेन्यू बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। स्मार्ट सिटी के तहत चुने गए शहरों में केन्द्र व राज्य सरकार दोनों करोड़ों का बजट लगाएंगे। इसी कड़ी में शहरों को अपने वहां विकास कराने के लिए बेहतर प्रोजेक्ट बनाने व फंड हासिल करने के टिप्स भी वर्कशॉप में सिखाए जा रहे, लेकिन इसी के साथ शर्त जोड़ी गई है कि विकास कार्य कराने के लिए प्रोजेक्ट का बजट तो केन्द्र-राज्य सरकार देगी, लेकिन इन प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद योजनाओं का संचालन करने के लिए ऑपरेशन कॉस्ट शहरों को खुद उठाना होगा। यह खर्च जनता से मिलने वाले टैक्स से ही उठाया जा सकता है।

सिटीजन नहीं बन रहे स्मार्ट

केन्द्र व राज्य सरकार की शर्तो के तहत स्मार्ट सिटी की मुहिम में बरेली को अपने सिटीजन का स्मार्ट सपोर्ट नहीं मिल पा रहा। करदाताओं के टैक्स न जमा करने की नीयत और आदत शहर के विकास में बड़ा अड़ंगा है। शहर में 1.48 लाख से ज्यादा करदाता रजिस्टर्ड हैं। लेकिन मौजूदा समय में महज 15290 के करीब करदाताओं ने ही अपना टैक्स जमा किया है। यह तस्वीर तब है जबकि निगम की ओर से पहली बार करदाताओं को 31 अगस्त तक 10 फीसदी टैक्स में छूट दी गई। साथ ही 31 दिसबंर तक 5 फीसदी छूट का भी फायदा दिया गया है।

शासन को भेजना है ब्योरा

शासन ने निकायों से टैक्स वसूली की प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी है। इसी कड़ी में निकायों को फाइनेंशियल ईयर की पहली छमाही का ब्योरा भी देना है। जिससे निकायों की टैक्स वसूली की रफ्तार को मापा जा सके। साथ ही टारगेट से पिछड़े निकायों को वसूली तेज करने के निर्देश जारी किए जा सकें। निगम को भी इसी कड़ी में अप्रैल से सितंबर तक टैक्स वसूली का रिकार्ड भेजना है। शासन से इस बार निगम को 69 करोड़ का टैक्स टारगेट मिला है। लेकिन पहली छमाही में निगम करीब 15 करोड़ ही टैक्स वसूल सका है। वहीं बड़े बकाएदारों के खिलाफ भी कोई वसूली अभियान शुरू नहीं हो सका है।

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स्मार्ट सिटी की मुहिम में सरकार के साथ ही जनता का भी सपोर्ट बेहद जरूरी है। केन्द्र से जो बजट प्रोजेक्ट के लिए मिलेगा, उसके संचालन का खर्च निगम को ही उठाना है। टैक्स वसूली अभियान को जल्द तेज किया जाएगा। बड़े बकाएदारों के खिलाफ कड़ा वसूली अभियान चलेगा। - शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त