-एयरफोर्स अधिकारियों ने त्रिशूल एयरबेस का एप्रॉन यूज करने के लिए दी सहमति

-एयरफोर्स, एयरपोर्ट अथॉरिटी और प्रशासनिक अधिकारियों ने एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर मीटिंग

BAREILLY: नाथ नगरी एयर टर्मिनल के निर्माण को लेकर एक और बाधा वेडनसडे को दूर हो गई। क्योंकि प्लेन को पार्क करने के लिए त्रिशूल हवाई अड्डे के एप्रॉन का इस्तेमाल हो सकता है। एयरफोर्स अधिकारियों ने त्रिशूल एयरबेस के एप्रॉन को यूज करने के लिए सहमति दे दी है, लेकिन रक्षा मंत्रालय की फाइनल अनुमति के बाद ही फैसला हो सकेगा। एयरबेस का एप्रॉन यूज करने से तीन महीने में उड़ान भरने की संभावना है। क्योंकि इतने समय में टैक्सी वे भी बनकर तैयार हो जाएगा। वेडनेसडे को त्रिशूल हवाई अड्डे में एयरफोर्स, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और प्रशासनिक अधिकारियों की एयरपोर्ट निर्माण को लेकर मैराथन मीटिंग हुई। मीटिंग में एयरपोर्ट से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी चर्चा की गई।

लगातार हो रहे हैं जल्द उड़ान के प्रयास

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम लगातार बरेली में विजिट कर रही है और इससे जुड़ी बाधाओं को दूर कर रही है, लेकिन अभी तक कई ऐसे पहलू थे जिनको लेकर कोई बात नहीं हुई थी। वेडनसडे को इसी संबंध में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीनियर अधिकारी बरेली पहुंचे और एयरफोर्स के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से जीएम सिविल एचएस बलहारा, ज्वाइंट जीएम आर्किटेक्ट विनोद पुनयाल, जीएम एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट एसके पुरवार, एजीएम सोमदेव आर्या, अविनाश खैरनार, सीनियर सुपरिंटेंडेंट आर्किटेक्ट भारत भूषण मीटिंग में शामिल हुए। वहीं प्रशासन की ओर से डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह, एसएलओ व एसीएम सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, एसडीएम सदर कुंवर पंकज व अन्य टीम माैजूद रही।

6 महीने का लगेगा समय

मीटिंग में चर्चा हुई कि हवाई जहाज, टर्मिनल से एयरफोर्स की बॉउंड्री में एंट्री कर रनवे तक पहुंच जाएगा लेकिन उसे पार्क कहां किया जाएगा, क्योंकि रनवे पर हवाई जहाज सिर्फ 10 मिनट तक ही खड़ा रह सकता है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि टर्मिनल के पास 100 गुना 50 मीटर की जमीन है, जिसपर एप्रॉन बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके निर्माण में 6 महीने का समय लग सकता है। क्योंकि इसके लिए 1 मीटर मोटी कंक्रीट की परत तैयार करनी होगी। जिसके बाद कहा गया कि त्रिशूल हवाई अड्डे का एप्रॉन इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से तीन महीने में ही उड़ान भरी जा सकती है। यह एयरबेस के अंदर रनवे से करीब साढ़े 3 से 4 किलोमीटर के एरिया मे हैं। एयरफोर्स के अधिकारियों ने अस्थायी रूप से एप्रॉन इस्तेमाल करने पर हामी भरी है। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय से भी बात की जाएगी।

एक ही जगह बाउंड्री तोड़ी जाएगी

मीटिंग में टर्मिनल से रनवे तक एंट्री के लिए एयरफोर्स की बाउंड्रीवॉल तोड़ी जाएगी, जिसके रास्ते ही हवाई जहाज की एंट्री होगी। जिस जगह पर एप्रॉन की जगह प्रस्तावित है, वहां से ही थोड़ी दीवार एयरफोर्स की पड़ रही थी। इस दीवार को तोड़ने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों ने वार्ता की लेकिन एयरफोर्स के अधिकारियों ने सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए इससे साफ इनकार कर दिया।

सिक्योरिटी अपने हाथ में रखेगी वायुसेना

त्रिशूल की सुरक्षा एक बड़ा मसला है। त्रिशूल का रनवे व एप्रॉन इस्तेमाल करने के लिए एयरफोर्स की बाउंड्री से अंदर एंट्री करनी होगी। जिसके लिए टैक्सी वे का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में बाउंड्रीवॉल के पास सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएंगे। इसके अलावा उन सभी यात्रियों की स्कैनर से चेकिंग होगी जो हवाई जहाज में जाकर बैठेंगे। यदि त्रिशूल का एप्रॉन इस्तेमाल किया गया तो सभी यात्रियों को बस के जरिए पूरी चेकिंग के बाद ही अंदर लेकर जाया जाएगा। यही नहीं सीसीटीवी कैमरों, स्कैनर व अन्य सभी सिक्योरिटी की मॉनिटरिंग एयरफोर्स के अधिकारी ही करेंगे।

एप्रॉन में पार्क होते हैं विमान

एयरपोर्ट से उड़ान के लिए टर्मिनल, रनवे, टैक्सी वे के साथ-साथ एप्रॉन की भी जरूरत होती है। एप्रॉन वह जगह है, जहां पर रनवे से हटने के बाद हवाई जहाज को पार्क किया जाता है। यहीं पर ही सवारियों को प्लेन में चढ़ाया व उतारा जाता है। नाथ नगरी एयर टर्मिनल के तहत एप्रॉन का स्थायी निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इससे पहले अस्थायी एप्रॉन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

मंडे से जमीन की होगी रजिस्ट्री

टैक्सी वे के लिए 7 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। जिसके लिए कुछ दिनों पहले 8 करोड़ रुपए शासन से आ गए थे लेकिन किन्हीं कारणों से रजिस्ट्री टल रही थी, लेकिन अब मंडे को रजिस्ट्री की जाएगी। एयर टर्मिनल के लिए 63 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। टैक्सी वे के निर्माण में करीब 3 महीने का समय लगेगा। अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एनओसी का इंतजार है, जिसको लेकर किसान व आसपास के लोग पहले ही सहमति दे चुके हैं।

45 एकड़ जमीन का हो चुका है अधिग्रहण

7 एकड़ की जमीन में टैक्सी वे का निर्माण

63 किसानों से मंडे से जमीन की रजिस्ट्री

त्रिशूल के एप्रॉन का अस्थायी तौर पर किया जाएगा इस्तेमाल

बाउंड्रीवॉल के पास सीसीटीवी कैमरे किए जाएंगे इंस्टॉल

यात्रियों को स्कैन करने के बाद ही एयरबेस में दी जाएगी एंट्री

1 अरब से अधिक हो सकता है खर्च

60 करोड़ रुपए अब तक हो चुके हैं खर्च