14 वी सदी में आला हजरत जैसा जकीह, जहीन, आशिके रसूल नही गुजरा : कमरुज्जमा आजमी

-14 अक्टूबर यानि आज बाद नमाज ए फज्र कुरानख्वानी होगी। इसके बाद महफिल का आगाज होगा

-दोपहर 2.38 मिनट पर आला हजरत के कुल शरीफ के साथ तीन रोजा उर्स का समापन होगा।

बरेली:

102वे उर्स-ए-रजवी के दूसरे दिन ट्यूजडे को मुफ्ती-ए-आजम हिंद, हजरत जिलानी मियां व रेहान-ए-मिल्लत के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। बाद नमाज ए फज्र कुरानख्वानी हुई। इसके बाद दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती, सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा क़ादरी (अहसन मिया) की सदारत व उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में महफिल का आगाज कारी रिजवान रजा ने तिलावत ए कुरान से किया। नातख्वा आसिम नूरी व हाजी गुलाम सुब्हानी ने मिलाद का नजराना पेश किया। उर्स में तमाम अकीदतमंदों ने दरगाह पर पहुंच कर गुलपोशी व चादर पोशी की वही सियासी पाíटयों की भी चादर चढ़ी।

शांति और अमन की दुआ

मुफ्ती सलीम नूरी ने अपनी तक़रीर में कहा कि आपने दीनी व दुनियावी ऐसे-ऐसे कारनामों को अंजाम दिया आज पूरी दुनिया ने आपको 14वीं सदी का मुजद्दीद मान लिया। आला हजरत के घराने का जंगे आजादी में भी अहम रोल रहा। कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी व मौलाना डॉ। एजाज अंजुम ने रेहान-ए-मिल्लत को खिराज पेश करते हुए कहा कि आपने मसलक के फरोग के लिए पूरी दुनिया मे दौरे कर मसलक की पहचान करायी। सुबह सात बजकर दस मिनट पर हजरत जिलानी मियां व 9 बजकर 58 मिनट पर रेहाने मिल्लत के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। फातिहा कारी सखावत व मुफ्ती अख्तर ने पड़ी। मुफ्ती आकिल रजवी ने मुल्क में शांति-अमन और कोरोना वायरस के खात्मे की दुआ की।

उर्स का सुना गया लाइव ऑडियो

मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि बाद नमाज ए ईशा (रात 9 बजे) महफिल का आगाज हुआ। मौलाना मुख्तार बहेडवी, कारी सखावत, मुफ्ती सलीम नूरी, मुफ्ती अख्तर सैफी, मुफ्ती जमील, मुफ्ती कफील हाशमी ने खिताब किया। उर्स का लाइव ऑडियो प्रसारण आईटी हेड जबैर रजा खान ने किया। मुशायरे में पूरी दुनिया से लगभग एक लाख लोग जुड़े। उर्स की व्यवस्था राशिद अली खान, हाजी जावेद खान, शाहिद नूरी, अजमल नूरी, नासिर कुरैशी, परवेज नूरी, औररंगजेब नूरी, ताहिर अल्वी, मंजूर खान, तारिक सईद, शान रजा और आसिफ रजा आदि ने व्यवस्था संभाली।

इल्म की शमा की रौशन

02 वे उर्स-ए-रजवी के मौके पर दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान मियां साहब ने दुनिया भर के सभी अकीदतमंदों को अपना पैगाम जारी करते हुए कहा कि इमाम अहमद रजा खान फाजिले बरेलवी ने अपनी पूरी ंिजंदगी इस्लाम और सुन्नियत को फरोग देने में गुजार दी। आपने मजहब व मिल्लत की ऐसी बेमिसाल खिदमत को अंजाम दिया कि आज बरेली का नाम पूरी दुनिया मे रौशन है .आला हजरत की तालीमात और हिदायत हमारे लिए सीधा रास्ता है। आपका पैगाम मोहब्बत है इसी पर हम सब को कायम रहना है। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने उर्स के मुबारक मौके पर अपना पैगाम आम करते हुए कहा कि आला हजरत ने अपनी पूरी जिंदगी इल्म की शमा रौशन की। आला हजरत के मिशन पर चलते हुए हम लोग आधा पेट खाये लेकिन अपने बच्चों को तालीम (शिक्षा) जरूर दिलाये। आला हजरत के मिशन पर मजबूती से कायम रहते हुए आला हजरत ने हमे जो अपनी किताबों के जरिये जो दर्स दी उस पर मजबूती से कायम रहे। किताबें भी ऐसी की इल्म से भरी हुई और एक विषय के पीछे इश्के रिसालत की मोहब्बत नजर आती है। सुब्हानी मियां ने कहा कि शरीअत-ए-इस्लामिया और अहले सुन्नत के साथ मुल्क की तरक्की व खुशहाली के लिए करे काम। वहीं अहसन मियां ने कहा कि आधे पेट खाये लेकिन अपने बच्चों को तालीम जरूर दिलाए ।

सोनिया गांधी ने भेजी चादर

उर्स के दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चादर पेश हुईं, दरगाह पर सियासी व गैर सियासी चादरों का सिलसिला जारी है कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चादर पेश की गई। सोनिया की का पैगाम पत्र के माध्यम से जो दरगाह सरपरस्त हजरत मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) के नाम था। उसे दिल्ली से कांग्रेस का प्रतिनिधि मण्डल शमीम अल्वी के अगुवाई में पहुंचा। पत्र में उर्स की मुबारकबाद सुब्हानी मियां को दी गयी। साथ में चादर भेजी। दिल्ली से आये प्रतिनिधिमंडल में प्रोफेसर हाजी उर रहमान, अब्दुल वाहिद कुरैशी, उस्मान हंजला, अहमद खान व बरेली से नवाब मुजाहिद हसन खान, चौधरी असलम मिया, रामदेव पांडेय साथ रहे।