-अदब ओ एहतराम के साथ आला हजरत के कुल शरीफ रस्म की गयी अदा

-सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने खुसूसी दुआ में कोरोना खात्मे की दुआ की

बरेली: तीन रोजा 102वे उर्स ए रजवी के आखिरी दिन वेडनसडे को आला हजरत के कुल शरीफ की रस्म इस्लामिया ग्राउंड में अदा की गयी। सुबह बाद नमाज ए फज्र कुरानख्वानी हुई, इसके दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती, सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) की सदारत व उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में कारी सखाबत ने तिलावत ए कुरान से महफिल का आगाज सुबह 9 बजे किया। निजामत (संचालन) मौलाना यूसुफ रजा संभली ने की, नातख्वा मशहर बरेलवी, आसिम नूरी ने नात और शायर ए इस्लाम फारूक मदनापुरी ने मनकबत का नजराना पेश किया।

अमन और शांति का दिया पैगाम

मुफ्ती सलीम नूरी ने अपने खिताब में कहा कि अगर हमे कुरान से रहनुमाई हासिल करनी है तो पहले हदीस को समझना होगा और हदीस को समझने के लिए बुजुर्गो के नक्शे कदम पर चलना होगा। आज का नौजवान तबका गुमराही तबके से दूर रहे, बिना किसी तस्दीक किसी भी सोशल मीडिया पर किये गए पोस्ट पर यकीन न करे। इस्लाम के नाम पर किसी को भी आतंक फैलाने की इजाजत नहीं दी जायेगी, गैर मसलक द्वारा सोशल मीडिया पर किसी भी साहित्य का यकीन न करे, ऐसे लोगों से होशियार रहे। दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने हमेशा दहशतगर्दी की मज्जमत की, आला हजरत ने हमेशा अमन और शांति का पैगाम दुनिया भर को दिया। नबीरे आला हजरत मुफ्ती अरसालान रजा खान ने आला हजरत के उर्स पर भीड़ इकठ्ठी करना कमाल की बात नहीं बल्कि उनके बताए रास्ते पर अमल करना कमाल की बात है। नबीरे आला हजरत सय्यद सैफ मियां व सूफी रिजवान रजा खान ने भी आला हजरत को खिराज पेश की।

मौलाना मुख्तार बहेडवी ने पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है मुसलमान अपनी मां बहनों ओर बेटियों को पर्दे की ताकीद कराए। अपनी बेटियों को खुद हिफाजत करे। आला हजरत का मिशन अल्लाह के रसूल का मिशन है, अहले बैत, गौस ए पाक व गरीब नवाज का मिशन है।

मौलाना सय्यद फुरकान रजा व मौलाना अख्तर ने अपनी तकरीर में कहा कि आला हजरत से सच्ची मोहब्बत रखना सुिन्नयत की पहचान है।

मौलाना जिकरुल्लाह मक्की ने कहा कि आला हजरत ने हमेशा इश्के रसूल में डूब कर शायरी लिखी जिसे आज सारी दुनिया मे पड़ा व सुना जा रहा है। मुफ्ती रिजवान नूरी ने कहा कि आला हजरत ने 4 साल की उम्र में कुरान पढ़ लिया 6 साल में मिलाद और 8 साल की कम उम्र में अरबी में किताब लिख डाली और 14 साल में मुफ्ती की डिग्री हासिल कर ली। 27 दिन में कुरान हिफ्ज कर लिया।

2:38 पर हुई कुल की रस्म

दोपहर ठीक 2.38 मिनट पर कुल शरीफ की रस्म शुरू हुई, फातिहा कारी अमानत रसूल व कारी रिजवान ने शिजरा मौलाना शीरान रजा खान व खुसूसी दुआ मुफ्ती अहसन मियां व मौलाना हस्सान रजा खान ने की। कुल शरीफ के बाद जोहर की नमाज मुफ्ती अहसन मियां ने अदा करायी।

यह भी रहे मौजूद

इस मौके पर खानदान ए आला हजरत के अल्लामा तौसीफ रजा खान , खानकाह ए तहसिनिया के सज्जादानशीन हस्सान रजा खान, मौलाना सिराज रजा खान, मौलाना शीरान राजा खान, मौलाना फैज रजा खान, मुफ्ती आकिल रजवी, मुफ्ती कफील हाशमी, मुफ्ती अफरोज आलम, मुफ्ती बशीर कादरी, मौलाना जाहिद रजा, कारी अब्द‌रु्रहमान क़ादरी, मौलाना डॉ। एजाज अंजुम आदि लोग मौजूद रहे।

लाखों लोगों ने सुना लाइव प्रसारण

-उर्स ए रजवी को दुनिया भर के 25 लाख से ज्यादा अकीदतमंदों ने अपने घरों/मस्जिदों के लॉउडस्पीकर और कार्यालयों में ऑन लाइन सुना।

- सर्वर डाउन न हो इसके लिए पांच वेबसाइट्स (www.aalahazrat.in, wwww.ala-hazrat.com, www.markaznews.com, www.alahazrat.org, www.aalahazrat.org) पर किया गया लाइव ऑडियो प्रसारण।

- वेबसाइट्स क्रेश न हो इसके लिए दिल्ली स्थित सर्वर तथा वेबसाइट्स प्रोवाइडर कम्पनी के सीईओ भी रहे सीधे संपर्क में।

-दूसरे मुल्को के जो मुकर्ररि कोविड-19 के कारण नहीं आ सके थे उन्होंने अपने घर से ही इस्लामिया ग्राउन्ड के लाइव प्रोग्राम से जुड़कर खिताब किया।

-उर्स के लाइव प्रसारण की जिम्मेदारी नबीरा ए उस्तादे जमन व शहजादा ए उवैस ए मिल्लत ने निभाई।

-उर्स से रजवी के प्रोग्राम में नबीरा ए उस्तादे जमन व शहजादा ए शहजादा ए उवैस ए मिल्ल्त अनीस मियां और शोएब मियां ने भी शिरकत की

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गुस्ताक़ ए एहले बैत और गुस्ताक़ ए सहाबा से दूर रहें- मुफ्ती असजद मिया::::::::::::::::फोटो

सरकार आला हजरत इमाम एहले सुन्नत फाजिले बरेलवी इमाम अहमद रजा खां के तीन रोजा 102वां उर्स-ए-रजवी बड़ी शान शौकत के साथ काजी-ए-हिन्दुस्तान की खुसूसी दुआ के साथ समापन हुआ। उर्स के सभी कार्यक्रम काजी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रजा खां कादरी और जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एंव उर्स प्रभारी सलमान मिया की निगरानी में हुआ। बाद नमाज-ए-फज्र दरगाह ताजुशारिया और मदरसा जामियातुर रजा में कुरानख्वानी और नात व मनकबत की महफिल सजाई गई। जमात के प्रवक्ता समरान खान ने बताया फिर मुख्य कार्यक्रम का आगाज सुबह 9 बजे दरगाह ताजुश्शरिया पर कारी रेहान रजा ने कुरान शरीफ की तिलावत से किया। राशिद रजा मरकजी, गुलाम मुरतजा अजहरी और मौलाना अख्तर रजा ने आला हजरत की शान में कलाम पेश किए। इश्क मोहब्बत इश्क मोहब्बत आला हजरत आला हजरत और बस्ती बस्ती करिया करिया ताजुश्शरिया ताजुश्शरिया के नारों से गूंजा दरगाह ताजुश्शरिया। फिर उलम-ए-इकराम व मुफ्तियना-ए-इकराम ने बारी बारी से आला हजरत की जिंदगी पर रोशनी डाली। 02:38 पर इमाम अहले सुन्नत सरकार आला हजरत के कुल की रस्म मुफ्ती असजद मिया की सरपरस्ती और उलमा-ए-इकराम व मुफ्तियना-ए-इकराम की मैजूदगी में अदा की गई। मफ्ती असजद मिया ने शिजरा शरीफ पढ कर पूरे मुल्क साहित दुनिया भर के लिये खुसूसी दुआ करते हुए और इस कोरोना जैसी महामारी से मुल्क समेत दुनिया भर से निजात पाने की दुआ के बाद सलातो सलाम पढ़ के तीन रोजा 102वा उर्स-ए-रजवी का समापन हुआ। कार्यक्रम की निजामत मौलाना गुलजार और मौलाना आमिर रजा तहसीनी ने की। इस मौके पर हुस्साम मिया, हुम्माम मिया, मुफ्ती आशिक हुसैन, फरमान मिया, बुरान मिया, मंसूब मिया, मौलाना अजीमुद्दीन, कारी काजिम, मौलाना शकील, कारी फैजू नबी, मौलाना शाहमत रजा, मौलाना सैफ अली कादरी, मौलाना मुस्तकीम अहमद रजा कानपुरी, मौलाना जाहिद रजा आदी मौजूद रहें।