- गोरखपुर यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

- कहा, बगैर संबद्धता प्रवेश ले लेना खतरनाक बीमारी

GORAKHPUR: निर्धारित समय के भीतर संबद्धता प्राप्त करने में विफल रहे 37 कालेजों को सुप्रीम कोर्ट से भी निराश होना पड़ा है। अनुरागी देवी महाविद्यालय प्रबंधन की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने साफ किया है कि कॉलेजों को संबद्धता नहीं दी जा सकती। संबद्धता के लिए हर हाल में निर्धारित समय-सारिणी का पालन करना ही होगा। यही नहीं बगैर संबद्धता छात्रों का प्रवेश कर लेने के चलन को कोर्ट ने खतरनाक बीमारी भी बताया है।

नहीं थी प्रक्रिया पूरी

मामला सत्र 2015-16 के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी से संबद्ध 37 कॉलेजों से जुड़ा है। इन कॉलेजों को यूनिवर्सिटी ने संबद्धता देने से इंकार कर दिया था। आरोप था कि शासन द्वारा निर्धारित समय-सारिणी के भीतर संबद्धता प्राप्त करने की इनकी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी। दूसरी ओर कॉलेजों ने बगैर संबद्धता हासिल किए छात्रों के प्रवेश भी ले लिए थे। इस मामले में हाईकोर्ट इलाहाबाद ने पहले ही कॉलेजों की याचिका को खारिज कर दिया था।

समय-सारिणी का किया उल्लंघन

इस बाबत कालेजों ने शासन में अपील की थी, जिस पर प्रदेश शासन ने विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर इस प्रकरण को अपवाद मानते हुए संबद्धता देने की अनुशंसा की थी, लेकिन यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि समय-सारिणी का उल्लंघन करते हुए संबद्धता नहीं दी जा सकती। इसके बाद अनुरागी देवी महाविद्यालय प्रबंधन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई जहां सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने भी समय-सारिणी का हवाला दिया। शीर्ष कोर्ट ने बगैर संबद्धता प्राप्त किए छात्रों के प्रवेश कर लेने पर कालेज प्रबंधन को फटकार भी लगाई है।

समय रहते नहीं की अपील

संबद्धता के लिए देरी होने पर कॉलेजों ने भी सजगता नहीं दिखाई थी। नियमानुसार अगर 30 मई तक संबद्धता पर निर्णय नहीं हो जाता तो संबंधित कालेज को 15 जून तक इस बाबत प्रदेश शासन से अपील करना होता है, जबकि इस प्रकरण में कालेजों ने ऐसा कुछ नहीं किया।