गोरखपुर (ब्यूरो)। इस प्रोग्राम का मेन उद्देश्य है कि बच्चे की पढऩे को लेकर इंट्रेस्ट बढ़े और उनकी राइटिंग जो कोरोना में प्रभावित हुई है, उसकी क्षमता बढ़ सके। रीडिंग मंथ में बच्चे ऑनलाइन मोड में भी जुड़ सकेंगे। स्कूलों में ऑनलाइन मोड के माध्यम से विभिन्न एक्टिविटी का आयोजन किया जाएगा। स्टूडेंट्स को किताबें पढऩे, पढ़कर सीखने की कला को विकसित करने के लिए काम किया जाएगा।

पीएन पैनिकर की याद में मनाते हैं रीडिंग मंथ

केरल के पुस्तकालय आंदोलन के जनक पीएन पैनिकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में यह दिन मनाया जाता है। पैनिकर का जन्म 1 मार्च, 1909 को हुआ था। वह एक टीचर थे। उनका समाज पर काफी प्रभाव था। इसके चलते साल 1945 में 47 ग्रामीण पुस्तकालयों के साथ तिरुविथामकूर ग्रंथशाला संघम की स्थापना मुहिम में उन्होंने नेतृत्व उन्होंने किया था। उनकी एसोसिएशन का नारा था पढ़ो और बढ़ो। इसके बाद में केरल राज्य के गठन के बाद एसोसिएशन का नाम केरल ग्रंथशाला संघम हो गया। उन्होंने केरल के गांव-गांव की यात्रा की और लोगों को पढऩे के महत्व से अवगत कराया था। इस तरह उन्होंने अपने नेटवर्क में 6,000 से ज्यादा पुस्तकालयों को जोडऩे में सफलता हासिल की। वहीं 1975 में ग्रंथशाला को अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके बाद से ही उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता है।

सभी स्कूलों में ये सर्कुलर आ चुका है। बोर्ड द्वारा सराहनीय कदम उठाया गया है। बच्चों की लिखने और पढऩे की क्षमता को बढ़ाने के लिए रीडिंग मंथ मनाया जाता है।

अजय शाही, अध्यक्ष, गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन