गोरखपुर (ब्यूरो)। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वीसी ने कहा कि मेंटल हेल्थ और सुसाइड से रोकथाम के तरीके एक-दूसरे से जुड़े हुए हंै। मेंटल हेल्थ पर ध्यान देने से कभी तनाव और सुसाइड के विचार उत्पन्न ही नहीं होते हंै। डीन आट्र्स प्रो। कीर्ति पांडेय ने प्रसिद्ध समाजशास्त्री दुर्खिम के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि समाज में जैसे-जैसे विशेषीकरण को बढ़ावा मिला ठीक वैसे ही हमारी आकांक्षाओं की बढ़ोत्तरी हुई। इसी कारण सुसाइड का औसत बढ़ता गया।
सुसाइड के लक्षणों की पहचान जरूरी
गेस्ट्स का वेलकम करते हुए एचओडी प्रो। अनुभूति दुबे ने कहा कि सुसाइड के लक्षणों का मापन कर उनकी सही समय पर पहचान करना अतिआवश्यक है। कई बार यह लक्षण आसानी से समझ नहीं आते है, जिसके लिए विशेषज्ञों की राय महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में प्रो। अनुभूति दुबे और प्रो। आराधना शुक्ला की ओर से पुस्तक 'कम्युनिकेशन स्किल्स एंड पर्सनालिटी डेवलपमेंटÓ का विमोचन भी किया गया। वीसी ने डिपार्टमेंट में पौधरोपण भी किया। गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ। विस्मिता पालीवाल ने किया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार प्रो। शांतनु रस्तोगी, प्रॉक्टर डॉ। सत्यपाल सिंह, प्रो। धर्मव्रत तिवारी, प्रो। सुषमा पांडेय, प्रो। उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो। अजय शुक्ला, प्रो। रवि शंकर सिंह, प्रो। विनोद कुमार सिंह, प्रो। शिवकान्त सिंह सहित अन्य टीचर्स और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।