गोरखपुर (ब्यूरो).परी के पिता मोहन एक फैक्ट्री में कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि पांच साल पहले परी के आंखों के बगल से पानी निकलना शुरू हुआ। उसे आंखों के चिकित्सक को दिखाया, लेकिन बीमारी की पहचान नहीं हो सकी। हजारों रुपए इलाज में भी खर्च किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जून 2022 में आरबीएसके टीम गांव के प्राथमिक स्कूल पर पहुंची तो शिक्षिका ने बच्ची की बीमारी के बारे में टीम से चर्चा की। टीम ने परी की स्क्रीनिंग की।

जाने क्या है फिस्टूला बीमारी?

टीम के डॉ एसके वर्मा और डॉ। पवन यादव का कहना है कि उन्हें आंखों की फिस्टूला के बारे में पहले ही ट्रेनिंग दी गई थी। यह बीमारी सामान्य रूप से शरीर के गुदा द्वार में होती है लेकिन शरीर के अन्य भागों में भी यह हो सकती है। इसमें गुदा ग्रंथियों में संक्रमण हो जाता है और गुदा पर फोड़ा बन जाता है। जिससे मवाद आने लगता है। फिस्टूला संक्रमित ग्रंथि को फोड़ा से जोडऩे वाला मार्ग है। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है। इसी प्रकार कैवरनस ड्यूरल आर्टियोवीनस फिस्टुला एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। जिसकी समय से पहचान और इलाज आवश्यक है। अगर इलाज न हो तो मरीज की आंखें तक बाहर आ जाती हैं। परी इसी डिसआर्डर की शिकार थी।

जिले के प्रत्येक ब्लॉक में आरबीएसके की दो टीम हैं। जो स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाती हैं। इस टीम से बच्चों का इलाज करवाने के लिए आशा कार्यकर्ता की भी मदद ली जा सकती है। टीम की मदद से बच्चों को फ्री इलाज की सुविधा मिलती है।

- डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ