गोरखपुर (ब्यूरो)। इसीलिए हादसों की भी फेहरिस्त बनती जा रही है। बीते शनिवार को एक ई-रिक्शा के पलटने से एक महिला की मौत भी हो गई। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ई-रिक्शा संचालन को इंवेस्टिगेट किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। किसी के ड्राइवर ने कहा, डीएल पर रखा है तो किसी ने कहा, डीएल की कॉपी मोबाइल में है। कोई भी अनाड़ी या नाबालिग ई रिक्शा के कागजात या फिर डीएल नहीं दिखा सका। लिहाजा ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ ने ऐसे चालकों पर कार्रवाई न कर सवारियों को हादसे के लिए छोड़ दिया है।

पेपर साथ लेकर नहीं चलते

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम शुक्रवार दोपहर 2 बजे पार्क रोड पहुंची और ई-रिक्शा के आरसी, बीमा और ड्राइविंग लाइसेंस की पड़ताल की। रुस्तमपुर से पैसेंजर लेकर आए ई-रिक्शा ड्राइवर बृजराज कुमार से ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य पेपर मांगे तो वह नहीं दिखा पाए। उन्होंने कहा, साथ में ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी और बीमा का पेपर लेकर नहीं चलते। मोबाइल में सब कुछ रहता है। जब मोबाइल में देखा तो कुछ भी नहीं था।

घर पर हैं पेपर

यूनिवर्सिटी चौराहे पर सोनू नाम का ड्राइवर मिला। वह बस्ती का रहने वाला है और गोरखपुर में ई-रिक्शा चलाता है। जब उससे डीएल और अन्य पेपर की डिमांड की गई तो उसका कहना है कि इस समय मेरे पास वाहन से संबंधित पेपर नहीं है। घर पर रखे हैं। जब चेकिंग अभियान चलता है तो उसे साथ लेकर चलते हैं।

एक साल बाद बनेगा डीएल

शास्त्री चौक पर ई-रिक्शा ड्राइवर अभिषेक कुमार बताया, वह दो साल से ई-रिक्शा चला रहा है। उसके पास न तो ड्राइविंग लाइसेंस मिला। न ही आरसी पेपर और बीमा मिला। उसने बताया कि उसका डीएल एक साल बनेगा।

व्यवसाय बने ई-रिक्शा

ई रिक्शा चालक मनमानी तो कर ही रहे हैं। आरटीओ भी उदासीन बना हुआ है। एक दिसंबर 2022 को आरटीए की बैठक में ई-रिक्शा संचालन के लिए जोन व रूट निर्धारण का निर्णय लिया गया था। एक माह में प्रक्रिया पूरी होनी थी, लेकिन दस माह से अधिक हो गए। न जोन निर्धारित हो पाए और न रूट। हालांकि, परिवहन विभाग ने पांच जोन में 22 रूट का निर्धारण कर ई-रिक्शा के कलर रंग का चयन कर प्रस्ताव तैयार कर लिया है, लेकिन प्रस्ताव फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा। आज स्थिति यह है कि ई रिक्शा महानगर की सड़कों, चौराहों और गलियों में मनमाने ढंग से चल रहे हैं। कुछ लोगों ने तो ई रिक्शा को व्यवसाय बना लिया है। एक संचालक के पास दो-दो दर्जन ई रिक्शा हैं। 150 से अधिक लोग पैडल रिक्शा की तरह बड़ी संख्या में ई रिक्शा खरीदकर किराये पर चलवा रहे हैं। युवा ही नहीं, बच्चे और बुजुर्ग भी शहर की सड़कों पर ई रिक्शा लेकर फर्राटा भर रहे हैं।

महज 44 के पास ही ड्राइविंग लाइसेंस

आरटीओ के आंकड़ों के अनुसार मात्र 44 ई-रिक्शा ड्राइवर्स के पास ही ड्राइविंग लाइसेंस है। जबकि आरटीओ में 8500 ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं। लगभग 8456 बिना लाइसेंस पर चल रहे हैं। अंट्रेड ड्राइवर ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे। इतना ही नहीं बैट्री डिस्चार्ज न हो। इसलिए ज्यादातर ई-रिक्शा वाले रात में हेडलाइट तक नहीं जलाते हैँ।

ऐसे जारी होता है लाइसेंस

ई-रिक्शा की बिक्री करने वाली कंपनी ही पंजीयन और चालकों को प्रशिक्षित करती है। दस दिन के प्रशिक्षण के बाद कंपनी प्रमाण पत्र जारी करती है। प्रमाण पत्र के आधार पर ड्राइवर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। आवेदन के आधार पर आरटीओ ई-रिक्शा के लिए लाइसेंस जारी करता है।

तीन साल होती है उम्र, परमिट में छूट

सरकार कनेक्टिविटी (जुड़ाव) देने व जाम व प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए ई-रिक्शा के संचालन पर जोर दे रही है, लेकिन चालक मुख्यमार्ग पर भी इसे लेकर चलते हैं। परमिट में छूट का दुरुपयोग करते हैं। ई रिक्शा की उम्र तीन साल की होती है। दो साल पर फिटनेस जांच जरूरी है, लेकिन जांच नहीं कराते। तीन की जगह छह साल चलाते हैं।

एक नजर में हादसे

केस 1

अगस्त 2023 में रुस्तमपुर का एक परिवार ई-रिक्शा से जा रहा था। इसमें बच्चे और बुजुर्ग भी सवार थे। नाबालिग ड्राइवर ई-रिक्शा पर संतुलन खो बैठा और महेवा मंडी के समीप ई-रिक्शा पलट गया। हादसे में दो महिलाएं घायल हो गईं।

केस 2

30 सितंबर को चौराहे पर सुबह डिवाइडर से ई-रिक्शा टकराकर पलट गया। हादसे में महिला की मौके पर ही मौत हो गई। वह मऊ जिले के घोसी सबरहत निवासी कांति देवी थी।

ई-रिक्शा ड्राइवर्स के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है। अभियान चलाकर ड्राइवर्स को जागरूक किया जाएगा। कार्रवाई भी की जाएगी। ई-रिक्शा के लिए जोन और रूट निर्धारित करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही इस पर भी मुहर लग जाएगी। एक व्यक्ति के नाम एक से अधिक ई-रिक्शा का पंजीकरण नहीं किया जा रहा है।

अरुण कुमार, एआरटीओ प्रशासन गोरखपुर