गोरखपुर (ब्यूरो)। हैरान कर देने वाली बात है कि पश्चिम बंगाल के कोलकाता, बिहार, झारखंड और गोरखपुर के कम पढ़े लिखे जालसाज कॉल सेंटर खोलकर बीटेक स्टूडेंट्स को अपना मोहरा बनाए थे। इस बात से गोरखपुर के बेरोजगार स्टूडेंट्स भी बेखबर थे। आठ माह में करीब तीन करोड़ रुपए जालसाजों ने लंदन वासियों से ठग लिए। यह जानकारी गैंग का पर्दाफाश करते हुए एसएसपी डॉ। गौरव ग्रोवर, एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई और एसपी क्राइम इंदु प्रभा सिंह ने दी।

बेतियाहाता में खोला था कॉल सेंटर

अधिकारियों ने बताया कि साल 2022 नवंबर में जालसाजों ने जुबिलेट इंफो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कोलकाता में रजिस्ट्रेशन कराकर उसकी आड़ में गोरखपुर के बेतियाहाता में कॉल सेंटर खोला। इस कॉल सेंटर में खास तौर से फर्राटा अग्रेंजी बोलने में माहिर बीकॉम के 20-25 स्टूडेंट को 8 हजार प्रति माह सैलरी पर भर्ती किया। सैलरी के अलावा 2 हजार रुपए इंसेंटिव अलग से तय किया गया। इसके बाद जालसाजों ने गोरखपुर से अपने ठगी का खेल शुरू किया।

इंटरनेट स्पीड के नाम पर करते ठगी

कॉल सेंटर में जालसाज खुद सुपरवाइजर और सीनियर सुपरवाइजर के तौर पर कार्य करते थे। उन्हें लंदन से दो युवक वहां डाटा अवेलबल कराते थे, जिसके अनुसार जालसाजों ने एक अंग्रेजी में स्क्रिप्ट तैयार की थी। स्क्रिप्ट कर्मचारी यानी बीटेक स्टूडेंट का याद कराया जाता था। फिर यह कर्मचारी लंदन के व्यक्ति के पास इंटरनेट कॉल कर याद की स्क्रिप्ट बोलते थे। स्क्रिप्ट के अनुसार कर्मचारी विदेशी नागरिकों से अंग्रेजी में बोलते थे कि आपकी इंटरनेट स्पीड काफी धीमे हैं आप कहिए तो हम चेक करके इसे सही कर सकते हैं।

सुपरवाइजर करता था ठगी

जैसे ही विदेशी नागरिक स्पीड चेक करने का राजी होता था। उसकी कॉल सुपरवाइजर को ट्रांसफर हो जाती थी। सुपरवाइजर इंटरनेट रुकावट को सही करने के लिए कॉल सीनियर सुपरवाइजर को ट्रांसफर करता था। यहां से जालसाजी का खेल शुरू हो जाता है।

नेशनल क्राइम एजेंसी का भी लिया सहारा

सीनियर सुपरवाइजर के पास कॉल ट्रांसफर होने पर वह नेशनल क्राइम एजेंसी का अधिकारी बन लंदन वासियों से उनके अकाउंट से ससपीसियस ट्रांजेक्सन होने की बात बताकर उन्हें अपने जाल में फंसा लेते थे। फिर लंदन वासियों से हैकर को पकडऩे के लिए लंदन के डमी अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेते थे। ये डमी अकाउंट लंदन निवासी जुनैद और अश्वनी गोरखपुर के जालसाजों को अवेलबल कराते थे। लंदन के दोनों जालसाज खातों में आए पैसे वेस्टर्न यूनियन फारेक्स सेंट्रर कोलकाता के जरिए भारतीय रुपए में बदलकर जुबिलेट इंफो प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अनिक दत्ता को अवेलबल कराते थे। फिर रकम की बंदरबांट होती थी।

पैसे कम खर्च हो, इसलिए चुना गोरखपुर

जालसाजों के सरगना अनिक दत्ता ने बताया कि गोरखपुर में कम पैसे में कर्मचारी मिल जा रहे थे। वहीं इसके अलावा दूसरे शहर में कर्मचारियों से लगाए ऑफिस सेटअप पर अधिक खर्च आता। इसलिए गोरखपुर में ऑफिस बनाया था।

कर्मचारी की रेकी से पर्दाफाश

कॉल सेंटर में काम करने वाले एक कर्मचारी को ऐसा लगा कि यहां कुछ फ्रॉड हो रहा है। उसने यह सूचना साइबर सेल को दी। इसके बाद साइबर सेल और साइबर पुलिस ने तीन माह तक कॉल सेंटर की रेकी की। तब जाकर सारे सबूत हाथ लगे। इसके बाद साइबर सेल, साइबर थाना और क्राइम ब्रांच की सयुक्त टीम ने सभी अभियुक्तों को अरेस्ट किया। पकड़े गए सभी आरोपी 30 से 35 साल के हैं।

ये अभियुक्त अरेस्ट

1. मास्टरमाइंड क्लास 8वीं पास कोलकाता निवासी अनिक दत्ता

2. मास्टरमाइंड आकाश गुप्ता क्लास 2 पास कोलकाता निवासी आकाश गुप्ता

3. कोलकाता निवासी आशीष पाण्डेय

4. रांची झारखंड निवासी कादिर अली

5. रांची झारखंड निवासी धीरज कुमार

6. गोड्डा झारखंड निवासी इकारामुल अंसारी

7. पटना निवासी राहुल कुमार

8. गोरखपुर गुलरिहा निवासी राजन कुमार

वांछित अभियुक्त

1. आदित्य मिश्रा

2. विनोद

3. जुनैद

4. अश्वनी

यहां करें कंप्लेन

यदि आपके साथ साइबर ठगी हुई है तो नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कंप्लेन करें और www.cybercrime.gov in पर अपनी कंप्लेन रजिस्टर करें।