गोरखपुर (सैयद सायम रऊफ)। गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट के 'अंजुमनÓ ऑर्गनाइज सेशन में नवल्स ग्रुप के डायरेक्टर संजयन त्रिपाठी ने अन्नू कपूर का वेलकम किया। इस दौरान अपने खट्टे-मीठे लम्हों को शेयर करते हुए अन्नू ने बताया कि 'मेरी दिवंगत माताजी ने इसी गोरखपुर में फिराक गोरखपुरी के साथ मुशायरा पढ़़ा था। मैं आज से 51 साल पहले गोरखपुर आने का सौभाग्य मिला। दादा और नाना की दोस्ती ने मां-पिताजी को करीब किया। गुरबत में बचपन बीता। पिताजी के थियेटर से जुड़़े होने के कारण उस जमाने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। माताजी के अंतिम संस्कार में उनके शुभचिंतक मुसलमानों ने श्मशान में उनके सम्मान में नमाज-ए-जनाजा पढ़़ी।

सिविल सर्विस में जाने की चाह

अपने लाइफ गोल शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि मैं सिविल सेवा में जाना चाहता था पर पैसों की तंगी की वजह से मैं इस पेशे में आ गया। मेरी माताजी को धर्म की बड़ी मीमांसा थी। उन्होंने बौद्ध, इस्लाम, ख्रीस्त और सनातन का अभ्यास किया। पिताजी नास्तिक थे। चूंकि मेरा धर्म से कोई लेना देना नहीं है, इसलिए अधर्म से भी लेना देना नहीं है। मुझे किसी से आसक्ति नहीं इसलिए भी तो नास्तिक बन गया। पैसा ही मेरा धर्म है पैसा ही मेरा ईमान है पर पैसे के लिए चोरी नहीं करूंगा, ईमान नहीं बेचूंगा, ठगूंगा नहीं और देश नहीं बेचूंगा। उन्होंने महात्मा बुध्द के महापरिनिर्वाण की कथा सुनाते हुए कहा कि बुद्ध ने स्वर्ग के द्वार पर यह कहकर प्रवेश से ठुकरा दिया कि जबसे बोध हुआ इस बात की इच्छा है हर व्यक्ति को स्वर्ग के द्वार तक जबतक पहुंचा न दूं तबतक इस स्वर्ग की मुझे कामना नहीं।

भारत में हीरो वर्शिप ज्यादा

माता-पिता आपको जन्म ही नहीं देते बल्कि सन्तानों की खुशी का पूरा ख्याल रखते हैं। इसलिए उन्हें भूलना या छोडऩा पाप है। आज संयुक्त परिवार को तोडऩे का षड़्यंत्र हो रहा है। हमें उससे लडऩा है। संयुक्त परिवार आज के दौर में बहुत जरूरी है। उन्होंने अनिल कपूर से अन्नू कपूर बनने को महज एक संयोग बताया। भारत में हीरो वर्शिप ज्यादा है। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती भले मनाई जाती है, लेकिन लोग शास्त्री जी को अक्सर भूल जाते हैं। इस दौरान अन्नू कपूर ने का 'अंत्याक्षरीÓ जैसा फेमस अंदाज भी नजर आया। राग देस में राजा भर्तृहरि के नीति शतक श्रृंगार शतक और वैराग्य शतक की पृष्ठभूमि की कथा अमरफल की कहानी भी संगीतमय अंदाज में सुनाया और राजा भर्तृहरि और पिंगला के मध्य भिक्षाटन का संवाद भी पेश किया। उन्होंने राजस्थानी लोकगीत केसरिया बालम आवो जी पधारो म्हारा देस गुनगुना कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मां के मातृत्व को समर्पित 'मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में, शीतल छाया तू दुख के जंगल मेंÓ गुनगुनाकर दर्शकों को भावुक कर दिया। इस दौरान उन्होंने दर्शकों के सवालों का मजेदार और रोचक जवाब भी दिया। अपनी निजी जीवन और शादी के किस्से को बड़़े ही मनोरंजक अंदाज में सुनाया। सेशन का संचालन डॉ। प्रियंका श्रीवास्तव ने किया। सेशन को प्रो। हर्ष कुमार सिन्हा ने मॉडरेट किया।