गोरखपुर (ब्यूरो)। पहले सेशन में जहां कवियों की महफिल में लोग काव्य रस में गोते लगाते नजर आए, वहीं इसके बाद आयोजित हुए सेशन में युवा रचनाकारों ने अपनी किताबों से जुड़़े एक्सपीरियंस शेयर किए। इसके बाद फेमस एक्टर, एंकर, और रंगकर्मी अन्नू कपूर का सेशन हुआ, जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी की दास्तान सुनाते हुए लोगों के रोंगटे खड़़े कर दिए। दास्तान सुनाने में उनके लब भी खूब थर्राए। उन्होंने बेबाकी से अपनी जिंदगी के अच्छे और खराब दोनों ही पहलुओं से लोगों को रूबरू कराया। चौथे सेशन में सांसद रवि किशन शुक्ल ने अपने जिंदगी के किस्से साझा किए, तो वहीं पत्रकारों की मंडली ने भी आज के हालात पर विमर्श किया। देर शाम सम्मान समारोह आयोजित किया गया।

'नए पत्ते, नई खुशबूÓ में बहा काव्य रस

जीएलएफ का पहला सेशन काव्य रस पर ऑर्गनाइज किया गया। इस दौरान कनिष्का श्री, अमित श्रीवास्तव, अमर श्रीवास्तव, कुमार आशू, फलक आनन्द, पल्लवी शर्मा, सुष्मिता शुक्ला ने अपनी रचनाएं सुनाई। सबसे पहले कनिष्का श्री ने रश्मिरथी का वाचन किया। इसके बाद मेजर डॉक्टर अमित श्रीवास्तव ने 'बच्चों में नादानी कम है, हरकत अब बचकानी कम हैÓ पढ़ा। वहीं पल्लवी शर्मा ने 'आओ मिलकर दीप जलाएं हम गांधी के देश मेंÓ, सुष्मिता शुक्ला ने जैसे नभ पर खग दल चहक रहा है, वह देखो बेटी दूरÓ, फलक आनन्द ने पढ़ा कि बहू की बात से नाराज नहीं होता हूं, कभी कभी मेरी बेटी भी डांट देती थीÓ, अमर हिंदुस्तानी ने अनकहा सा अनसुना सा चैप्टर हूं इश्क का, इश्क बीमारी है और मैं डॉक्टर हूं इश्क काÓ पढ़ी। कुमार आशू ने 'तेरे घट पर पानी भरता गीतों का मधुमास, नयन को लागी तुमसे आस रचना पेश की। श्रोताओं ने युवा कवियों की रचनाओं को जम कर सराहा। इस अवसर पर अनेकनसत्रों में पधारे ख्यातिलब्ध साहित्यकारों ने भी युवा कवियों की रचनाएं सुनीं और उन्हें सराहा। संचालन सलीम मजहर ने किया।

रचनाकारों को जमीन पर मिला 'नई कलम, नया आसमानÓ

रचनाकारों पर केंद्रित 'नई कलम, नया आसमानÓ सेशन में लेखिका, संवेदना और भावों की प्रधानता से युक्त साहित्यों की रचनाकार, अनुवादिका विनीता अस्थाना ने अपने एक्सपीरियर शेयर करते हुए कहा कि मेरी कलम पत्रकारिता के नजरिए से चलती है। सम सामयिक मुद्दों और खबरों से मेरा लेखन प्रभावित होता है। बेहया के लेखन में मैंने कहानियों के लिखने के लिए महिलाओं की राय जानने को एक अनूठा प्रयोग किया और गूगल फॉर्म के जरिए उनके विचारों से तथ्य संकलित किये। बेहया के प्रकाशित होने के बाद मुझे बहुत ट्रोल किया गया और काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ीं पर उसके बाद सच को स्वीकार करना ही पड़ा। इसलिए मुझे लगता है कि सच लिखने के लिए दुस्साहसी होना बेहद जरूरी है। मेरे लेखन में मेरे पात्रों में उनके गुणों के हिसाब से कमियां रहतीं हैं। क्योंकि वे ही उन्हें सहज, सामाजिक व स्वाभाविक बनाता है।

कंटेंट बहुत जरूरी

व्यंग्य लेखक, पब्लिक स्पीकर और शौकिया फोटोग्राफर ने नवीन चौधरी ने बताया कि वरिष्ठ की जगह युवा रचनाकार कहा जाना ज्यादा पसंद है। कॉरपोरेट और मैनेजमेंट जगत के अनुभवों से व्यंग्य लेखन की प्रेरणा मिली। उपन्यास लिखने का बदलता दौर देश में हुए राजनैतिक परिवर्तनों से उपन्यास लेखन भी प्रभावित हुआ और मैंने उन मसलों पर ध्यान केंद्रित किया जो युवाओं से जुड़़े थे। आज का साहित्य केवल ब्रांडिंग या पब्लिसिटी पर ही लोकप्रिय नहीं होता बल्कि कंटेंट भी बहुत जरूरी है।

पत्रकार नहीं लिखेगा तो कौन लिखेगा

शिक्षक, कहानीकार, लेखक एवं स्तम्भकार प्रवीण कुमार ने बताया कि भूमंडलीकरण इतिहास की प्रक्रिया है उसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन उसके अंदर औपनिवेशिक शक्तियों का प्रतिकार जरूरी है। सरकार बदलने से लेखक का लेखन नहीं बदलना चाहिए। धारा को तुष्ट करने की बजाय समस्याओं को केंद्रित करना जरूरी है। समस्याओं पर अगर साहित्यकार और पत्रकार नहीं लिखेगा तो कौन लिखेगा। लेखक और पत्रकार को निर्भय होना जरूरी है।

रचनाकार को जमीन से जुड़ा होना जरूरी : अलका सरावगी

लेखक पाठक और प्रकाशक 'त्रिकोण के अनमने कोणÓ सेशन में अतिथि वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं। अपनी बातें रखते हुए अलका सरावगी ने नए लेखकों के लिए फेसबुक को मौका देने वाला प्लेटफॉर्म बताया। हर लेखक सबसे पहले खुद को सुख देने के लिए लिखता है। जब तक रचना खुद के मर्म से न निकली हो तब तक वह लोगो के मर्म का विषय नहीं बन सकती। रचनाकार को जमीन से जुड़ा होना बहुत जरूरी है। इस दौरान संजय निरुपम ने कहा कि जो लिखा है वह छाप देना प्रिंटर का काम है। वहीं किसी रचना को एक दायरे से दूसरे दायरे तक पहुचाने की जिम्मेदारी एक प्रकाशक की होती है। अगर आलोचक अपनी जगह पर नही है तो सारी बाते चूक जाती है। बहुत सारी किताबो को प्रकाशकों ने नकार दिया लेकिन पाठको ने कालजयी बना दिया। इसलिए आलोचक भी जरूरी है पाठक भी जरूरी है। वहीं केशन मोहन पांडेय ने कहा कि लेखक की जो वृत्ति होती है वही उसकी रचना में परिलक्षित होती है। प्रकाशक उस कृति को प्रकाशित कर लोक का बना देता है। हालांकि, जीवन में वृत्ति और वित्त दोनों का होना जरूरी है। कार्यक्रम का संचालन रेनू सिंह और मॉडरेशन आशीष श्रीवास्तव ने किया।

इस अवसर पर स्व। पी के लाहिड़ी स्मृति "प्राइड ऑफ गोरखपुर अवार्ड" से शहर की दो मशहूर हस्तियों को सम्मानित किया गया।

- उद्यमिता के लिए श्री एस० के० अग्रवाल जी

- वनवासी कल्याण आश्रम को सेवा हेतु (श्री ध्रुव दास मोदी ने प्राप्त किया)

डॉ० रजनीकांत श्रीवास्तव स्मृति युवा रचनाकार प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों के नाम इस प्रकार हैं:

कविता प्रतियोगिता - वरिष्ठ वर्ग

प्रथम - साधना मिश्रा

द्वितीय - सबरीन निजाम

तृतीय - सत्यम पाण्डेय एवं हर्ष पाण्डेय

सांत्वना - रोहन मिश्रा

कविता प्रतियोगिता - कनिष्ठ वर्ग

प्रथम - अनुज पाण्डेय

द्वितीय - उदय प्रताप सिंह

तृतीय - अमरत्व ओझा

लघुकथा प्रतियोगिता - वरिष्ठ वर्ग

प्रथम - तान्या धर दुबे

द्वितीय - समृद्धि चौधरी

तृतीय - रफत अमीन

लघुकथा प्रतियोगिता - कनिष्ठ वर्ग

प्रथम - आदर्श राज

द्वितीय - वाग्मीता सिंह

तृतीय - अर्शिता नागवंशी एवं अंकित मौर्य

डॉ। राजीव केतन स्मृति पोर्ट्रेट प्रतियोगिता के पुरस्कृत प्रतिभागियों के नाम :

प्रथम पुरस्कार-पूजा, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर

द्वितीय पुरस्कार-मेनका, शहीद बंधू सिंह डिग्री कॉलेज, सरदार नगर, गोरखपुर

तृतीय पुरस्कार-शाम्भवी सिंह, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर तथा शिल्पी राय, चन्द्रकान्ति रामावती देवी आर्य महिला पीजी कॉलेज, गोरखपुर

सांत्वना - सृष्टि अग्रवाल, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, अभिषेक कुमार, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, निखिल कुमार रैना, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर।