गोरखपुर (ब्यूरो)। बच्चे जहां मायोपिया का शिकार हो रहे हैं, वहीं ब्लरी वीजन यानि कि कैरोटोकॉनस भी उनकी परेशानी बढ़ा रहा है। बच्चों की दूर तक देखने की क्षमता भी कम हो रही है। मेडिकल कॉलेज से लेकर निजी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टर्स की मानें तो अगर बच्चे कम दिखने की शिकायत करें तो उन्हें फौरन एक्सपर्ट को दिखाएं, वरना मुश्किल हो सकती है।

मायोपिया के बाद कैरोटोकॉनस

लगातार रील्स वीडियो देखने से बच्चे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का शिकार बना रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आई डिपार्टमेंट में 100 में से 12 से 15 बच्चों की आंखों की जांच में दृष्टि कमजोर मिल रहा है। मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के पूर्व एचओडी राम कुमार जायसवाल ने बताया कि मायोपिया निकल दृष्टि दोष पहले के समय में अनुवांशिक हुआ करता था। अब जो मामले सामने आ रहे हैं, उसमें माता-पिता को कोई प्रॉब्लम नहीं होती, लेकिन बच्चों में मायोपिया जैसी बीमारी पाई जा रही है। इस बीमारी के बढऩे पर यह कैरोटोकोनस आंख की पुतली का सफेद होना की समस्या का रूप ले लेती है। इस बीमारी में कॉर्निया का आकार गोलाकर से शंककार हो जाता है।

कम उम्र में लग रहा चश्मा

मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग में अपने तीन साल के बच्चे के साथ पहुंची गौरीबाजार की आरती ने बताया कि काफी समय से बच्चे की आंखों से पानी आ रहा था। जैसे ही वो फोन का इस्तेमाल करता है तो आंखों से लगातार पानी आने लगता था। उसे मोबाइल पर वीडियो और रील्स देखने का शौक है। उसे फोन न दिया जाए तो वो गुस्सैल और चिड़चिड़ा हो जाता है। तीन साल की उम्र में उसको चश्मा बता दिया गया है। फिलहाल उसका इलाज चल रहा है।

टूट जाते हैं टिश्यू

पैरेंट्स का कहना है कि बच्चों को क्लास में ब्लैकबोर्ड देखते समय आंखों पर जोर डालना पड़ रहा है। कारण बच्चों की दूर की दृष्टि हाइपरमेट्रोपया पर बुरा असर पड़ रहा है। एकटक रील्स देखने से बच्चों का पलक झपकना काफी कम हो जाता है। आंखों में सूखापन रहने लगता है। वे आंखों को मसलते हैं, जिससे अंदरूनी टिश्यू टूट जाते हैं और दूर दृष्टि पर असर पड़ता है।

तिरछी हो सकती हैं आंखें

बच्चे बहुत समय तक मोबाइल स्क्रीन, ऑनलाइन लगे रहते। इससे आंखे ड्राई होने लगती है। बच्चों की दूर और नजदीक दृष्टि की मांसपेशिया कमजोर होने लगती है। साथ ही आंखें तिरछी भी हो सकती हैं। इससे सिरदर्द, आंखों से लगातार पानी निकलना, आंखें लाल होना आदि प्राब्लम होती है। यदि समय पर जांच नहीं कराने पर आंख तिरछी भी हो जाती हैं।

छोटो बच्चे आंखों की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लगातार मोबाइल देने से बचें और डॉक्टर्स से संपर्क कर समय से जांच कराए और पौष्टिक आहार का सेवन करें स्क्रीन टाइम पर कंट्रोल करें।

- राम कुमार जायसवाल, नेत्र रोग विशेषज्ञ, बीआरडी मेडिकल कॉलेज