गोरखपुर (ब्यूरो)। बीआरडी मेडिकल कॉलेज, एम्स व जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन का ग्राफ गिर गया है। दूसरी अन्य बीमारियों के ऑपरेशन की गति भी धीमी हो गई है। एडीनो (कंजेक्टिवाइटिस) से जूझ रहे मरीजों को डॉक्टर ऑपरेशन के लिए आगे की डेट दे रहे हैं। इस संक्रामक बीमारी का सबसे ज्यादा असर मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर पड़ा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तो मोतियाबिंद के ऑपरेशन का ग्राफ करीब 30 परसेंट गिर गया है। एम्स और जिला अस्पताल में यह आंकड़ा 20 परसेंट का है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉ। रामयश यादव ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में डेली 10 से 12 मोतियाबिंद की सर्जरी सामान्य दिनों में होती थी। अब यह सात से आठ पर आ गई है। इसकी मुख्य वजह आईफ्लू है। एम्स के नेत्र रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। अल्का त्रिपाठी ने भी माना कि आईफ्लू के कारण कुछ मरीजों की मोतियाबिंद की सर्जरी टालनी पड़ी है।

जनरल सर्जरी और आर्थो सर्जरी पर भी असर

ऐसा नहीं है कि आईफ्लू के कारण सिर्फ आंखों की सर्जरी प्रभावित हुई है बल्कि डॉक्टर दूसरे अंगों की सर्जरी से भी बच रहे हैं। क्योंकि ऑपरेशन के बाद इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। जिला अस्पताल के सीनियर आर्थो सर्जन डॉ। अंबुज श्रीवास्तव ने बताया कि हड्डी के कुछ मरीजों को कंजेक्टिवाइटिस हो गया है। उनका ऑपरेशन टाल दिया गया है। जरनल सर्जरी और ईएनटी के डॉक्टर भी कंजेक्टिवाइटिस की सर्जरी करने से परहेज कर रहे हैं।

आईफ्लू की वजह से मोतियाबिंद के ऑपरेशन टाल दिए जा रहे हैं। सामान्य दिनों में जहां 10 से 12 ऑपरेशन होते थे। अब संख्या घट गई है। इसकी मुख्य वजह आईफ्लू है।

- डॉ। रामयश यादव, एचओडी आई विभाग बीआरडी