-तीन बार यूपी टीम से नेशनल खेल कर दिखा चुके हैं प्रतिभा

-हैडबॉल का उभरता सितारा कार्तिक यादव आर्थिक तंगी से परेशान

-कार्तिक के कंधे पर मां और तीन बहनों की जिम्मेदारी

छोटी सी मुसीबत से जो घबरा जाए वो अनाड़ी होता है, हार को भी सामने देखकर जो लड़ जाए वो खिलाड़ी होता है ये लाइनें गोरखपुर के 17 साल के हैंडबॉल प्लेयर कार्तिक यादव पर सटीक बैठती है। खेलने की उम्र में पिता का साया उठ गया। चार बहनें और मां की भी जिम्मेदार कार्तिक के कंधो पर आ गई। लेकिन कार्तिक कंधे इतने कमजोर नहीं थे, वे बिना घबराए घर की जिम्मेदारियों के साथ ही हैंडबॉल में भी अपना जोर आजमाते रहे। कार्तिक ने अपने अच्छे खेल की बदौलत यूपी सब जूनियर टीम से 3 बार नेशनल गेम खेल चुके हैं। लेकिन घर की आर्थिक परेशानियों की वजह से छोटी सी उम्र से ही साइकिल व मोटरसाइकिल का पंचर बनाते हैं। समय मिला तो रीजनल स्टेडियम में सपने को पूरा करने के लिए हैंडबॉल की भी प्रैक्टिस करते हैं।

11 साल पहले पिता का साथ छूटा

गोरखपुर के दुर्गाबाड़ी चौराहे पर किराए के मकान में रहने वाले चार बहनों के अकेले भाई कार्तिक जब 6 साल के थे, तभी उनके पिता की मौत हो गई। ऐसे में उनके नाजुक कंधो पर घर संभालने की जिम्मेदारी आ गई। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कार्तिक ने दुर्गाबाड़ी चौराहे पर नरसिंह मंदिर के बगल में पंचर बनाने की दुकान खोल दी। इस दौरान पढ़ाई के साथ साथ अपने गेम पर भी ध्यान देते रहे। इसी बीच उन्होंने एक बहन की शादी भी की। अब तीन बहनें जो कि पढ़ने में भी तेज हैं उनके लिए कार्तिक दिन रात मेहनत करते रहते हैं। कार्तिक ने हाई स्कूल 55 और इंटर 65 परसेंट नंबर से पास कर बीए में एडमिशन भी लिया है। खेल के साथ- साथ कार्तिक पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देते हैं।

इंडिया से खेलने का सपना

कार्तिक यादव 2017 में यूपी हैंडबॉल की 16 सदस्यीय टीम सेलेक्शन के बाद शामिल हुए। कार्तिक ने बताया कि प्रदेश भर से ढेरों प्लेयर ट्रॉयल देने केडी सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ गए थे। इतने खिलाडि़यों के बीच उनका सेलेक्शन हुआ तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसके बाद यूपी हैंडबॉल टीम की तरफ से तमिलनाडु गए। जहां पर कार्तिक ने अपने खेल से सबको चौंकाया। इसी तरह कार्तिक अलग-अलग टूनार्मेंट में तीन बार यूपी टीम के हिस्सा रह चुके हैं। स्कूल स्तर पर भी कई कॉम्प्टीशन खेल कर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। कार्तिक का सपना है कि एक दिन इंडिया टीम से खेलें।

घुटने के साथ ही टूटा था सपना

अभी एक साल पहले कार्तिक का खेल के दौरान घुटना टूट गया था। उन्हें ऐसा लग रहा था कि घुटना नहीं बल्कि उनका सपना टूटा है। ऑपरेशन में लाखों का खर्च था। पैसे के अभाव में वे कई दिनों तक बिस्तर पर ही पडे़ रहे है। जब कहीं से मदद नहीं मिली तब रीजनल स्टेडियम के खिलाडि़यों और कोच नफीस अहमद ने पैसा कलेक्ट कर कार्तिक के घुटने का ऑपरेशन कराया। अब एक बार फिर कार्तिक ग्राउंड पर उतर चुके हैं।

कोट-

गेम में कोई खिलाड़ी कमजोर पड़ता है तो वहां कार्तिक को लगा दिया जाता है। वैसे इनकी पोजिशन 7 नंबर है। लेकिन वे हर पोजिशन पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इस खिलाड़ी को समय और मदद मिले तो आगे जाने से कोई रोक नहीं पाएगा।

नफीस अहमद, कोच, हैंडबॉल

कार्तिक का गेम बहुत अच्छा है। आर्थिक परेशानियों की वजह से खेल पर वो पूरा ध्यान नहीं लगा पाता है। अगर अच्छे से खेले तो कार्तिक को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पाएगा।

राजकुमार यादव, असिस्टेंट कोच, एनईआर