ईद-उल-अज़हा का त्योहार 1 अगस्त को मनाया जायेगा

GORAKHPUR: तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की बैठक मंगलवार को नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर हुई। तंजीम की चांद कमेटी ने जिलहिज्जा माह का चांद देखने की कोशिश की, चांद नजर न आया। आसपास के इलाकों से चांद देखने की कोई शहादत नहीं मिली। लिहाजा चांद कमेटी ने ऐलान किया कि ईद-उल-अजहा 1 अगस्त शनिवार को अकीदत के साथ मनाया जाएगा। वहीं 1, 2, व 3 अगस्त तक लगातार तीन दिन कुर्बानी की जाएगी।

बैठक में मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही (काजी-ए-शहर), मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर), मुफ्ती मो। अजहर शम्सी (नायब काजी), दरगाह इमाम कारी अफजल बरकाती, मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी, दरगाह सदर इकरार अहमद, मो। साजिद, सैयद शहाब, हाफिज नूर मोहम्मद, गुलाम सरवर वारसी आदि मौजूद रहे।

कुरआन में है कुर्बानी करने का हुक्म - मुफ्ती अख्तर

मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में कुर्बानियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अजमत-ए-इस्लाम व मुस्लिम सिर्फ कुर्बानी में है। उसी में से एक ईद-उल-अजहा त्योहार है। अल्लाह का इरशाद है कि ऐ महबूब अपने रब के लिए नमाज पढ़ों और कुर्बानी करो। ईद-उल-अजहा त्योहार एक अजीम बाप की अजीम बेटे की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है। पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैगंबर हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम से मंसूब एक वाकया इस त्योहार की बुनियाद है।

कुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है - मुफ्ती अजहर

मुफ्ती मो। अजहर शम्सी ने बताया कि कुर्बानी का अर्थ होता है कि जान व माल को अल्लाह की राह में खर्च करना। इससे अमीर, गरीब इन अय्याम में खास बराबर हो जाते है। कुर्बानी हमें दर्स देती है कि जिस तरह से भी हो सके अल्लाह की राह में खर्च करो। कुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है। हदीस में है कि कुर्बानी हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जो इस उम्मत के लिए बरकरार रखी गयी है और पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को इसका हुक्म दिया गया है। हदीस में इसके बेशुमार फजीलतें आई है। हदीस में है कि जिसने खुश दिली व तलबे सवाब होकर कुर्बानी की तो वह जहन्नम की आग से बच जाएगा। हदीस में है कि जो रुपया ईद के दिन कुर्बानी में खर्च किया गया उससे ज्यादा कोई रुपया प्यारा नहीं।