- बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड फुल बताकर लौटा दिए जा रहे हैं तीमारदार, वहीं कंट्रोल रूम के रिकॉर्ड में खाली हैं बेड

- बेड न मिलने से कोरोना के गंभीर मरीजों को एंबुलेंस में लगाने पड़ रहे चक्कर

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GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों को बेड फुल होने का हवाला देकर लौटा दिया जा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स की भी हालत ऐसी ही है, मगर कलेक्ट्रेट परिसर में बनाए गए इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम के आकंड़े कुछ और कह रहे हैं। यहां रिकॉर्ड में मेडिकल कॉलेज में काफी बेड खाली पड़ी हुई हैं। ऐसे में बार-बार कंट्रोल रूम से मरीजों को मेडिकल कॉलेज भेज दिया जा रहा है, लेकिन वहां से उन्हें वापस लौटना पड़ जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि या तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन सही सूचना कंट्रोल रूम को नहीं दे रहा है या फिर कंट्रोल रूम में प्रॉपर मैनेजमेंट नहीं हो पा रहा है। फिलहाल यह तो जांच का विषय है, लेकिन इस मिस मैनेजमेंट और मिस कोऑर्डिनेशन में पहले से परेशान मरीजों को और मुसीबतें फेस करनी पड़ रही हैं।

बेड खाली फिर भी कर रहे मना

इन दिनों ने गोरखपुर में कोरोना के तेजी के साथ केसेज बढ़ रहे हैं। होम आईसोलेशन वाले ऐसे 2300 संक्रमित हैं, जिनका ऑक्सीजन लेवल डाउन होने पर उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराना जरूरी हो गया है। लेकिन जब उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराने की बारी आ रही है तो कंट्रोल रूम के जिम्मेदारों का पसीना छूट जा रहा है। बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन आईसोलेशन वार्ड में मरीजों को एडमिट करने से मना कर रहा है, जबकि कंट्रोल रूम के पास मौजूद आंकड़ों में आईसोलेशन वार्ड में 116 बेड, जबकि आईसीयू में 18 बेड खाली है।

कहीं भी बेड दिलाने की कोशिश

डीएसएचई सुनीता पटेल बताती हैं कि बेड की कमी के कारण दिक्कतें ज्यादा है। कंट्रोल रूम में आ रहे कॉल्स को अटैंड कर प्रॉब्लम सॉर्ट आउट कराने की कोशिश की जा रही है। सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटल में किसी भी तरह से मरीजों को एडमिट कराया जा रहा है। मगर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड फुल होने से मरीजों को भर्ती कराने में दिक्कत हो रही है। कमोबेश यही हाल प्राइवेट हॉस्पिटल का भी है।

मैन पॉवर की है कमी

- बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉ। गणेश कुमार ने बताया कि उनके 500 बेड वाले कोविड हॉस्पिटल में मरीजों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

- ऐसे में उनके पास मरीजों को भर्ती करने की कोई जगह नहीं है।

- जो जगह है भी वह 200 बेड वाले आईसोलेशन वार्ड में है।

- उसमें 23 बेड खाली हैं। जहां मरीज एडमिट किए जा रहे हैं।

- जो बेड खाली भी हैं उन्हें ऑपरेट कैसे करें यह बड़ी चुनौती है।

- मैन पॉवर की आवश्यकता है। डॉक्टर, स्टाफ नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ व वार्ड ब्वॉय को किसी तरह से थर्ड पार्टी के जरिए रखा जा रहा है।

केस वन

खजनी की रहने वाली सरिता देवी की उम्र 56 वर्ष थी। वह कोविड पॉजिटिव थी। उनका आक्सीजन लेवल बेहद कम था। वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एडमिट होने के लिए कंट्रोल रूम से भेजी गई। लेकिन वहां बेड नहीं मिलने के कंडीशन में उन्हें लौटा दिया गया। परिजनों ने प्राइवेट हास्पिटल में एडमिट कराने के लिए ले जा रहे थे कि एंबुलेंस में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

केस टू

थाना गोला के भरषि गांव की रहने वाली गीता देवी की उम्र 55 वर्ष है। वह कोविड पॉजिटिव हैं। वह होम आईसोलेट थी। उनकी हालत सीरियस होने पर डॉक्टर ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराने की सलाह दी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोविड हॉस्पिटल के गेट पर पहुंचने के बाद परिजनों से बेड खाली न होने की बात कहकर उन्हें वापस कर दिया। परिजनों ने थक हारकर अपने मरीज को फिर टीबी अस्पताल जहां लेवल टू के इलाज की व्यवस्था है। वहां ले गए, लेकिन वहां भी एडमिट करने से मना कर दिया गया। परिजनों ने थक हारकर फातिमा हास्पिटल के सामने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया है।

केस थ्री

बरवा के रहने वाले बबलू कुशवाहा के पिता की तबीयत बेहद खराब होने के बाद वह एडमिट कराने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचने पहुंचने पर उन्हें बेड नहीं खाली होने की बात कहते हुए वापस कर दिया गया। फिर वह थक हारकर एंबुलेंस से एक प्राइवेट हास्पिटल में एडमिट कराने पहुंचे। जहां उनसे 50 हजार रुपए एक मुश्त जमा कर लिया गया। इलाज जारी है।

फैक्ट फीगर

- बीआरडी मेडिकल कालेज के 300 बेड वाले हास्टिपल लेवल टू में - 116 बेड खाली है।

- बीआरडी मेडिकल कालेज के 200 बेड वाले हास्पिटल लेवल थ्री में - 18 बेड खाली है।

बेड की कमी है, लेकिन हमारी कोशिश है कि प्राइवेट हॉस्पिटल में जहां बेड खाली है। वहां मरीजों को एडमिट कराया जाए। बेड की संख्या आगे और बढ़ाई जाएगी।

- डॉ। सुधाकर पांडेय, सीएमओ