गोरखपुर (ब्यूरो).बीआरडी मेडिकल कॉलेज कैंपस में 2004 में 32 बेड के प्राइवेट वार्ड बनाए गए थे। पेशेंट्स और तीमारदारों की सहूलियत के लिए बने इस वार्ड के लिए कुछ शुल्क निर्धारित किए गए थे। शुल्क देकर मरीज और उनके तीमारदार इन वार्डों रहते थे, लेकिन पिछले एक सालों से यह वार्ड में बंद हो गए हैं। इन वार्डों की स्थिति बेहद खराब हो गई। इसकी वजह से बीआरडी ने इन वार्डों को बंद कराकर बिजली और पानी की सप्लाई भी बंद कर दी। साथ ही इसके ध्वस्तीकरण के लिए शासन को पत्र भी लिख दिया है। लेकिन, अब तक इसके ध्वस्तीकरण की अनुमति शासन की ओर से नहीं मिली है। इसकी वजह से पेशेंट्स को दिक्कतें भी हो रही है। पेशेंट और तीमारदार रैनबेसरा सहित आसपास के होटलों में रहने को मजबूर है। कई पेशेंट तो कैंपस में ही इधर-उधर रात काटते हैं।

ध्वस्तीकरण में फंसा 25 वर्ष के नियम का पेंच

कॉलेज प्रशासन ने 32 बेड के प्राइवेट वार्ड के ध्वस्तीकरण के लिए शासन को लिखा-पढ़ी तो कर दी है, लेकिन ध्वस्तीकरण में 25 वर्ष के नियम का पेंच फंस गया है। इसकी वजह से शासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा है। बताया जा रहा है 2004 में इस वार्ड को बनाया गया है। नियम से सरकारी भवन तब ध्वस्त किए जाएंगे, जब उस भवन का 25 वर्ष पूरा हो चुका हो। जबकि, यह वार्ड बने अभी 18 साल हुए हैं। इन 18 सालों में वार्डों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।

प्राइवेट वार्ड की स्थिति बेहद खराब हो गई है। इसकी वजह से उसके ध्वस्तीकरण के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। इस वार्ड की जगह नए प्राइवेट वार्ड बनाने का भी प्रस्ताव भेजा गया है। अभी शासन की ओर से अनुमति नहीं मिली है।

- डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज