- शवदाह गृह पर शुल्क लगाए जाने का कर रहे हैं विरोध

- नगर आयुक्त और मेयर से शुल्क हटाने की कर चुके हैं मांग

शवदाह गृह पर शुल्क लगाए जाने का विरोध काफी तेज हो गया है। सपा और निर्दलीय पार्षद शुल्क हटाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। इस कड़ी में मंगलवार को पार्षदों ने नगर निगम के शुल्क लगाए जाने के विरोध में नगर निगम कैंपस और गोलघर की सड़कों पर भीख मांगी। पार्षदों की अगुवाई कर रहे जियाउल इस्लाम का कहना था कि भीख मांग कर जुटाए गए पैसों को वह निगम के आलाधिकारियों को सौंपेंगे। इससे वह अपने शवदाह गृह का मेनटेनेंस कराते रहे और राजघाट पर दाह संस्कार के लिए जाने वाले लोगों से पैसा न वसूल किया जाए।

400 रुपए लग रहा शुल्क

राप्ती नदी में बाढ़ आ जाने के कारण घाट पर दाह-संस्कार नहीं हो पा रहा है। राप्ती नदी के तट पर बन रहे अत्याधुनिक शवदाह गृह स्थल पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अंतिम संस्कार की इजाजत दी गई थी। शुरू में तो शवदाह के लिए तो किसी तरह की कोई रकम नहीं ली गई, लेकिन बाद में चार सौ रुपए लिए जाने लगे। पार्षदों का कहना है कि इस मामले को कार्यकारिणी में रखा नहीं गया और न ही वहां से पास कराया गया, इसके बाद भी शुल्क लिया जाना उचित नहीं है। जानकारी के मुताबिक, शवदाह गृह का निर्माण करा रही कार्यदायी संस्था के कर्मचारी मृतक के स्वजन से पहले पंजीकरण कराते हैं। संस्था के कर्मचारी पंजीकरण के साथ चार सौ रुपए भी जमा करा रहे हैं।

दो हजार लेने की तैयारी

राप्ती नदी के तट पर स्थित राजघाट में शवदाह के लिए जल्द ही लोगों को दो हजार रुपए शुल्क देना होगा। इसमें लकड़ी, कर्मकांड के पंडित का शुल्क व अंतमि संस्कार से जुड़ी अन्य सामग्री के मद की रकम शामिल हैं। अभी जो चार सौ रुपए लिए जा रहे हैं, उसमें नगर निगम प्रति शव चार सौ रुपए जमा कराने के बाद ही शवदाह की इजाजत दे रहा है। रुपए जमा करने की रसीद भी दी जा रही है। यह रकम साफ-सफाई के नाम पर ली जा रही है।

फर्म साफ-सफाई के लिए रुपए जमा करा रही है। भविष्य में दो हजार रुपए में अंतिम संस्कार की योजना है। इसमें लकड़ी, ब्राह्मण का शुल्क और अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी व्यवस्था शामिल होगी। कार्यकारिणी की मीटिंग नहीं हो पाई है, जिसकी वजह से मेयर के अप्रुवल के बाद शुल्क लिया जा रहा है। बैठक होगी तो इसका अप्रुवल करा लिया जाएगा।

-सुरेश चंद, चीफ इंजीनियर, जीएमसी