गोरखपुर (ब्यूरो)।ट्रेनिंग के बाद आरएमआरसी ने जीनोम सीक्वेंसिंग का फैसला लिया है। अब जिले में कोरोना के पॉजिटिव मरीज मिलते हैं, तो जीनोम सीक्वेंसिंग जांच के लिए सैंपल बाहर नहीं भेजा जाएगा। जीनोम सीक्वेंसिंग जांच के लिए सबसे ज्यादा जरूरी के लिए सबसे ज्यादा जरूरत जीन सिक्वेसिंग मशीन की होती है। आरएमआरसी में जीन सीक्वेंसिंग मशीन लग चुकी है। इसके अलावा आरटीपीसीआर की तीन और मशीनें हैं। तीन आरएनए एक्सट्रेक्टर भी लगा गया है। जीनोम सीक्वेसिंग के लिए आवश्यक रसायन और किट भी संस्थान में मौजूद है। संस्थान के मीडिया प्रभारी डॉ। अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.हीरावती देवल की अगुवाई में तीन सदस्यीय टीम ट्रेनिंग लेकर लौट आई है। यह टीम नए वेरिएंट की पहचान के लिए सीक्वेंसिंग के तरीके सीख ली है। टीम द्वारा ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आरएमआरसी में जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू की जाएगी। इसके बाद से जिले के मरीजों का सैंपल अब केजीएमयू और दिल्ली भेजने की जरूरत नहीं होगी। बताया कि अब जब भी कोरोना संक्रमित मिलेंगे, तो उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग जांच के लिए सैंपल आरएमआरसी आएगा। जांच के लिए अनुमति भी मिल चुकी है।