गोरखपुर (ब्यूरो)।प्रतिरोधक क्षमता भी कम पाई जा रही है। वहीं गैस्ट्रो एंटरोलॉजिस्ट की मानें तो पेरेंट्स को इसकी लत छुड़वाकर पौष्टिक भोजन पर जोर देना होगा। फास्ट फूड खाने वाले बच्चों में आठ से 14 साल तक के बच्चे ज्यादा हैं। इनमें औसत वजन 24 से 44 किलो होना चाहिए, लेकिन इनमें आठ से 12 किलो ज्यादा वजन मिला। यह बच्चे सप्ताह में तीन से पांच दिन फास्ट फूड खाकर पेट भरते हैं।

संपन्न परिवार के बच्चे हो रहे शिकार

बदलते हुए लाइफ स्टाइल के दौर में बच्चे फास्ट फूड के शौकीन होते जा रहे हैैं। वहीं इसके शौकीन बच्चों के पेट में दर्द होने और जलन के साथ भूख कम लगने के मामले तेजी के साथ आ रहे हैैं। वहीं बच्चों के फास्ट फूड के सेवन से उनके पेट भर जाते हैैं, लेकिन इस तरह के मामले जिला अस्पताल के ओपीडी में आने के बाद उन्हें गैस्ट्रो एंटरोलॉजी के पास भेज दिया जा रहा है।

35 फीसद ओवरवेट

सीनियर फिजिशियन डॉ। राजेश कुमार ने बताया कि बच्चों मेें पेट दर्द की समस्या तेजी के साथ आ रही है। लेकिन उन्हें गैस्ट्रो एंटरोलॉजी के पास भेज दिया जाता है। वे बताते हैैं कि बच्चों के फास्ट फूड के सेवन से उनके पेट भर जाने के बाद यह पौष्टिक भोजन (हरी तरकारी, सलाद, दालें, चपाती, फल) नहीं करते। इनमें अधिकांश बच्चे संपन्न परिवार के हैं। इन बच्चों में औरों के मुकाबले शारीरिक गतिविधियां भी कम जाती हैैं। वहीं गैस्ट्रो एंटरोलॉजी डॉ। अमिताव रॉय ने बताया कि 30-35 फीसदी बच्चे ओवरवेट मिल रहे हैं। फास्ट फूड में कई हानिकारक तत्व होते हैं जो मोटापा बढ़ाते हैं, भूख कम करते हैं। लंबे समय तक ऐसा होने से बच्चे ओवरवेट के साथ कई बीमारियां के शिकार होने लगते हैं। इनमें प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक विकास भी प्रभावित मिला।

बच्चे पड़ जाते हैैं बीमार

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि कई बार पेरेंट्स भी पौष्टिक भोजन बनाने में आलस करते हैं और फास्ट फूड पर टोका-टाकी नहीं करते, बाद में बच्चों की यह आदत बन गई। आमतौर पर ऐसा हर दूसरा बच्चा ओवरवेट है। प्रतिरोधक क्षमता कम होने से यह जल्द बीमार भी पड़ रहे हैं। वहीं बीआरडी मेडिकल कॉलेज की पूर्व डायटीशियन पदमिनी शुक्ला ने बताया कि इस उम्र में शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है। ऐसे में हाईप्रोटीन वाला भोजन जरूरी है, जो फास्ट फूड से नहीं मिलता। बच्चों को नियमित फल के साथ दाल, हरी तरकारी भरपूर देनी जरूरी है।