गोरखपुर (ब्यूरो)। बता दें, गोरखपुर यूनिवर्सिटी और प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (टीआईएफएसी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, (टीआईएफएसी) का एक स्वायत्त निकाय छह महीने में अपने लक्ष्य को पूरा करेगा। सेंसर आधारित डायग्नोस्टिक्स पर आधारित हेल्थकेयर के डेटाबेस को बनाए रखने के लिए यह प्रधानमंत्री कार्यालय की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफिक एग्जाम (हार्ट चेक-अप), हृदय गति माप, रक्तचाप, शर्करा ग्लूकोज, शरीर का तापमान, रक्त ऑक्सीजन, लिपिड प्रोफाइल, हीमोग्लोबिन, मां और बच्चे की देखभाल (भ्रूण डॉपलर) आदि जैसे स्वास्थ्य मानकों पर डेटा बनाए रखना है। इसके अंतर्गत व्यक्ति के स्वास्थ्य संबंधी डेटा को ऑनलाइन रखा जाएगा और इसे क्लाउड पर सहेजा जाएगा और जब भी डॉक्टर की आवश्यकता हो, इसका उपयोग किया जा सकता है।

डॉक्टरों का पैनल रखेगा निगरानी

इस सेवा को जमीन पर उतारने के लिए कवायद भी तेज कर दी गई है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। राजेश ने बताया कि दिल्ली या अन्य सुदूर जगहों पर बैठे डॉक्टरों का एक पैनल गठित किया गया है, जो एकत्रित आंकड़ों और सलाह का आकलन करने और दूरस्थ स्थानों में रहने वाले लोगों को निदान के आधार पर दवाएं निर्धारित करेंगे।

गोरखपुर के 20 हजार परिवारों का टारगेट

इस परियोजना के तहत गोरखपुर में 20 हजार परिवारों को टारगेट किया जाएगा। औसतन की बात की जाए तो यह एक लाख से ज्यादा की आबादी को इसका लाभ मिलेगा, क्योंकि जिस परिवार का चयन किया जाएगा। उस परिवार के सभी सदस्य इसका लाभ उठा सकेंगे।

वर्जन.

इस परियोजना का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाली वंचित महिलाओं और बच्चों को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल प्रदान करना है। इस परियोजना का उद्देश्य उन तक पहुंचने में अत्याधुनिक टेली डायग्नोस्टिक तकनीकों को लागू करने की प्रभावकारिता का प्रदर्शन करना है। यह परियोजना गोरखपुर, वाराणसी और मणिपुर के कामजोंग के लिए पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर स्वीकृत की गई है।

- प्रो। राजेश सिंह, वीसी डीडीयूजीयू