गोरखपुर (ब्यूरो)। बंगाली पंचांग के अनुसार रात्रि 10 बजे पूजन शुरू हुआ। विधि-विधान से पूजन के बाद महाआरती हुई। आधी रात को मां काली को पुष्पांजलि अर्पित की गई। बंगाली समिति के सचिव अभिषेक चटर्जी ने बताया, कोविड-19 के कारण इस बार कालीबाड़ी मंदिर में कोई सांस्कृतिक प्रोग्राम ऑर्गनाइज नहीं हुए। इस दौरान हर वर्ष श्रद्धालु भोग प्रसाद ग्रहण करते थे, वह आयोजन भी इस बार नहीं हुआ। इस अवसर पर पार्थो चटर्जी, परेश नाथ चटर्जी, डॉ। अजय कुंडू, विश्वनाथ दास आदि मौजूद रहे।

ग्रह और नक्षत्रों के संयोग से बन रहे योग जनमानस के लिए होंगे शुभकारी पांच दिवसीय दीपोत्सव महापर्व के तहत शुक्रवार को अन्नकूट व गोवर्धन पूजा एवं शनिवार को यम द्वितीया, भैया दूज एवं चित्रगुप्त पूजा का पर्व मनाया जाएगा।

फेस्टिवल मुहूर्त

वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, अन्नकूट और गोवर्धन पूजा के दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का मान पूरे दिन और रात को एक बजकर 21 मिनट तक, स्वाती नक्षत्र सुबह छह बजकर 52 मिनट, पश्चात विशाखा नक्षत्र। इस दिन आयुष्मान और सौभाग्य दोनों योग हैं। वहीं दीपोत्सव के अंतिम पर्व यम द्वितीया एवं भैया दूज शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया का मान रात को 11 बजकर एक मिनट तक, अनुराधा नक्षत्र संपूर्ण दिन और रात्रि तीन बजकर 43 मिनट तक। इस दिन अमृत नामक महा औदायिक योग है। ग्रह-नक्षत्रों की अच्छी स्थिती होने के कारण दोनों ही पर्व जनमानस के लिए लाभकारी होंगे।

अन्नकूट व गोवर्धन पूजा

पंडित जोखन पांडेय शास्त्री के अनुसार, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजा का पर्व होता है। ब्रज क्षेत्र से आरम्भ हुआ यह पर्व संपूर्ण उत्तर भारत में मनाया जाता है। कृष्ण भगवान के अवतार के पूर्व इस दिन इंद्रदेवता की पूजा की जाती थी, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ करवाई और उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह पर्वत के रूप में विराजमान हैं। गोवर्धन पूजा के साथ-साथ इस दिन मन्दिरों एवं घरों में अन्नकूट महोत्सव होता है। खरीफ फसल के लिए नये अन्न एवं शाक सब्जियों को पहली बार इस मौसम में अन्नकूट के रूप में बनाने का प्रचलन है। अन्नकूट बनाकर भगवान विष्णु का भोग लगाया जाता है।

यम द्वितीया, भाई दूज व चित्रगुप्त पूजा

पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया, भैया दूज एवं चित्रगुप्त पूजा मनाई जाएगी। द्वितीया को यमी ने अपने भाई यमराज को अपने घर बुलाकर भोजन कराया था। इसलिए इस दिन भाई अपने बहन के घर जाता है और उसके हाथ का भोजन करता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तिष्क पर टीका करती है और भाई उसे यथोचित भेंट प्रदान करता है। बहन अपने भाई के दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती है। इस दिन चित्रगुप्त की पूजा भी मनाई जाती है।