गोरखपुर (ब्यूरो).पंडित शरद चंद्र मिश्र के अुनसार, इस दिन ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र की स्थिति है। नक्षत्र स्वामी भौम और बृहस्पति दोनों है। लेकिन, सोमवार के दिन सुबह ज्येष्ठा नक्षत्र होने से पद्म नामक औदायिक योग है। इस दिन का व्रत सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहेगा। इस दिन के व्रत से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

ऐसे करें पूजन

ज्योर्तिविद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, सोमवार को शिवालय जाकर पंचाक्षरी मंत्र के साथ दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचामृत, इत्र, फलों के रस, गंगाजल से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करें। चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से महादेव का अभिषेक करें। इसके बाद फूल, दूर्वा, बिल्वपत्र, आकपुष्प, धतूरा, कनेल आदि चढ़ाएं। अभ्रक, भांग आदि अर्पित करने के बाद भोग लगाएं। अंत में धूप-दीप से आरती करें।

सावन के अंतिम सोमवार को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुबह चार बजे मंदिर के कपाट श्रद्धलुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। श्रद्धालुओं को मंदिर के उत्तरी द्वार से प्रवेश मिलेगा और वह पूर्वी गेट से बाहर निकल सकेंगे। सावन का अंतिम सोमवार होने के कारण उम्मींद है की 70-80 हजार लोग महादेव का जलाभिषेक करने मंदिर पहुंचेंगे।

शिवपूजन तिवारी, कोषाध्यक्ष महादेव झारखंडी शिव मंदिर सेवा समिति

सावन के अंतिम सोमवार की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। दर्शनार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए स्वयंसेवक लगाए गए हैं। सुबह चार बजे भक्तों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए जाएंगे। देर शाम तक भक्त मंदिर मेें महादेव का पूजन-अर्चन और जलाभिषेक कर सकेंगे।

पंडित रमानाथ, पुजारी मुक्तेश्वरनाथ शिव मंदिर राजघाट