गोरखपुर (ब्यूरो).बता दें, बीते दिनों जगन्नापुर मोहल्ले में खपरैल का जर्जर मकान भरभराकर गिरने से उसके मलबे में दबकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि पिता, भाई व बहन समेत पांच लोग घायल हो गए थे। यह जर्जर मकान नगर निगम की सूची में भी शामिल नहीं था। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि नगर निगम के रिकॉर्ड में जितने जर्जर मकान है, वास्तविक संख्या उससे अधिक हो सकती है। वहीं, विगत दिनों देवरिया में दो मंजिला जर्जर मकान गिरने से दंपति और बेटी की मौत हो गई थी।

100 से अधिक घोषित हैं जर्जर भवन

सिटी में तकरीबन 136 जर्जर भवन हैं। नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक सबसे ज्यादा जर्जर भवन तिवारीपुर और माधोपुर इलाके में हैं। सबकी दीवारों और छतों से प्लास्टर छूट चुका है। बारिश के दौरान छत से पानी भी टपकता है। निगम की ओर से नोटिस जारी कर मकान मालिकों को आवास खाली करने का आदेश दिया गया है, लेकिन न तो कई मकान खाली हुए और न ही कोई कार्रवाई की गई।

कहां कितने जर्जर मकान

धर्मशाला बाजार - 02

दीवान बाजार - 04

गिरधरगंज - 01

इस्माइलपुर - 02

छोटे काजीपुर - 01

रायगंज रोड - 01

बसंतपुर - 02

चकसा हुसैन - 09

भरटोलिया - 01

हांसूपुर - 01

दीवान दयाराम- 01

जंगल तुलसीराम - 01

अयोध्या टोला - 01

मानबेला - 03

बंगला टोला - 01

सुडिय़ा कुआं - 02

चरगांवा - 01

भेडिय़ागढ़ - 05

सूरजकुंड - 13

रसूलपुर - 03

अलहदादपुर - 03

माधोपुर - 43

तिवारीपुर - 27

गोरखनाथ - 01

दिलेजाकपुर - 01

मोहद्दीपुर - 01

असकरगंज - 01

दाउदपुर - 01

मिर्जापुर - 01

ऐसे होता है सर्वे

जर्जर मकानों का दो तरह से सर्वे होता है, जिन जर्जर मकानों के अचानक गिरने से उसमें रहने वालों और आसपास के लोगों के जीवन पर संकट होता है, उसे नगर निगम अत्याधिक संवेदनशील की श्रेणी में रखता है। जिन मकानों के गिरने से उसमें रहने वालों को खतरा होता है उसे संवेदनशील की रखा जाता है।

ज्यादातर जर्जर मकानों का कोर्ट में केस चल रहा है। ऐसे में कोर्ट के फैसले के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है। फिर से एक अभियान चलाकर जर्जर मकानों का सर्वे किया जाएगा। साथ ही मकानों को खाली कराने का नोटिस दिया जाएगा।

- संजय चौहान, चीफ इंजीनियर नगर निगम

मुख्य अभियंता संजय चौहान को जर्जर भवनों को फिर से सर्वे कराकर सूची बनाने के लिए कहा गया है। यदि भवन जर्जर हैं तो नागरिक उसे बिना अनुमति ध्वस्त करा सकते हैं। यदि वह खुद ऐसा नहीं करना चाह रहे तो ध्वस्त कराने का पूरा खर्च नगर निगम में जमा करें। हम कार्रवाई करेंगे। बस मकान खाली रहना चाहिए। यदि कोर्ट में केस है तो नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करेगा।

- अविनाश सिंह, नगर आयुक्त