गोरखपुर (ब्यूरो)।चौंका देने वाली बात यह है कि इसमें महज छह परसेंट में ही स्मोकिंग की हिस्ट्री रही है। इसमें करीब 63 परसेंट पेशेंट्स की उम्र 18 से 45 साल के बीच है। रिसर्च करने वाले डॉक्टर की मानें तो इसकी वजह धूल, धुआं, पॉल्युशन के साथ ही घरों में एयर-वेंटिलेशन है। यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल क्यूरियस में पब्लिश भी की गई है।

42 परसेंट मरीजों में पुष्टि

एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ। देवेश प्रताप सिंह व डॉ। सुबोध कुमार ने यह स्टडी की है। डॉ। देवेश ने बताया कि ओपीडी में अगस्त 2020 से जुलाई 2021 तक 2864 पेशेंट्स इलाज कराने के लिए पहुंचे। इसमें करीब 1189 पेशेंट्स में अस्थमा की पुष्टि हुई, जो कुल पेशेंट्स का करीब 42 परसेंट है। इसमें से 966 पेशेंट्स ने रिसर्च में शामिल होने की सहमति दी। इन 966 में 52 परसेंट फीमेल्स हैं, जिन्हें अस्थमा की शिकायत है। 59 परसेंट पेशेंट्स शहरी और 41 परसेंट ग्रामीण एरिया के रहने वाले थे।

फीमेल ज्यादा शिकार

ईस्ट यूपी व बिहार में अस्थमा मेल्स के मुकाबले फीमेल्स पर ज्यादा हमलावर हैं। जबकि आमतौर पर देश के दूसरे हिस्सों में अस्थता मेल्स में अधिक है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) की रिसर्च में सामने आया है। कार्यकारी डायरेक्टर डॉ। सुरेखा किशोर के निर्देशन में एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट ने ओपीडी में पहुंचे 966 अस्थमा पेशेंट्स पर रिसर्च की है। इसमें से आधे से अधिक फीमेल्स रहीं। खास बात यह है कि अनुवांशिक कारणों से अस्थमा के मामले देश के अन्य प्रांतों के मुकाबले पूर्वांचल में कम हैं।

हाईलाइट्स -

- 966 मरीजों पर एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग ने की रिसर्च।

- 552 परसेंट फीमेल्स एम्स की ओपीडी में पहुुंच अस्थमा के पेशेंट्स।

- 9 परसेंट पूर्वांचल में मिली अनुवांशिक बीमारी, देश में 35 परसेंट तक हैं।

- 6 परसेेंट में ही स्मोकिंग की हिस्ट्री मिलना सकारात्मक संकेत।

अस्थमा के करीब 80 परसेंट पेशेंट खांसी और सीने में जकडऩ की प्रॉब्लम लेकर इलाज कराने पहुंचे थे। कुछ पेशेंट्स में सीने में जकडऩ के साथ सांस लेने में घरघराहट हो रही थी। इसमें एक्टिव तौर पर स्मोकिंग करने वाले सिर्फ 1.34 परसेंट पेशेंट ही रहे।

डॉ। देवेश प्रताप सिंह, चेस्ट फिजिशियन

देश के कई हिस्सों में अस्थमा की मुख्य वजह प्रदूषण, स्मोकिंग और अनुवांशिक कारक होते हैं। रिसर्च में पता चला कि पूर्वांचल व पश्चिमी बिहार में यह कारक ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। इससे अस्थमा को नियंत्रित करने की योजना बनाने में आसानी होगी।

डॉ। सुरेखा किशोर, कार्यकारी डायरेक्टर, एम्स