गोरखपुर (ब्यूरो)।बाल कल्याण समिति के सामने पेश होने के बाद फिर यह रेस्क्यू किए बच्चे वापस सड़कों पर नजर आ रहे हैं। चाइल्ड लाइन का दावा है कि 82 बच्चों को पकड़कर बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार परिजन को सुपुर्द किया है। वहीं, 172 बच्चों को शेल्टर होम के जरिए परिजनों को सुपुर्द किया गया है। जनवरी से नवंबर 2022 तक रेस्क्यू किए गए बच्चों में नशा करने वालों की संख्या लगभग 12 रही है।

हिदायत के बाद भी नजर आते हैैं सड़क पर

रेलवे स्टेशन रोड, बस स्टेशन, सिविल लाइंस स्थित आरटीओ रोड आदि पर नशे के आगोश में डूबे बच्चे आए दिन सड़कों पर नजर आते हैैं। यह 8-13 वर्ष व 14 से 20 वर्ष तक बच्चे हैैं। इन्हें अक्सर इन वीआईपी इलाकों में नशे की हालत में डूबे हुए देखा जा सकता है। इन बच्चों को कुछ दिनों तक बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार शेल्टर होम में रखा गया। उसके बाद परिजनों को सुपुर्द किया गया।

चाइल्ड बुलाकर की जाती है काउंसलिंग

गोरखपुर क्षेत्र में किसी भी बच्चे से संबंधित मामलों में चाइल्डलाइन की टीम एक्टिव है। अगर किसी को भूला-भटका, घर से भाग गया हो या परिजन से नाराज बच्चा या बच्ची मिले तो वह चाइल्डलाइन के टोल फ्री नंबर 1098 पर इसकी सूचना दे सकते हैं। सूचना के बाद चाइल्डलाइन टीम बच्चे तक पहुंचती है और संबंधित थाने के जीडी पर आमद करा कर बच्चे की काउंसलिंग करती है। काउंसलिंग के लिए चाइल्डलाइन की तरफ से एक्सपर्ट रखे गए हैैं। उसके बाद बच्चे का मेडिकल जांच कराकर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश किया जाता है।

परिजनों से करते हैं संपर्क

कुछ बच्चे काउंसलिंग के दौरान अपने घर का पता और मोबाइल नंबर बता देते हैं, तो उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हे चाइल्डलाइन कार्यालय पर बुलाया जाता है। बाल कल्याण समिति के आदेश पर उन बच्चों को उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया जाता है। जो बच्चे अपने घर का पता नहीं बताते हैं, उन्हें बाल कल्याण समिति के आदेश पर शेल्टर होम में रखा जाता है। जब बच्चों के परिजन मिल जाते हैं तो उन्हें बाल कल्याण समिति के आदेश पर परिजन को सुपुर्द कर दिया जाता है।

माह - रेस्क्यू किए गए बच्चे

जनवरी - 57

फरवरी - 52

मार्च - 62

अप्रैल - 61

मई - 104

जून - 79

जुलाई - 60

अगस्त - 68

सितंबर - 50

अक्टूबर - 46

नवंबर - 50

जो भी बच्चे पकड़े जाते हैैं, उनकी काउंसलिंग की जाती है। फिर उन्हें सीडब्लूसी के सामने पेश किया जाता है। उसके बाद उन्हें उनके पेरेंट्स के सुपुर्द कर दिया जाता है। अगर वह फिर से पकड़े जाते हैं तो फिर से उनकी काउंसलिंग की जाती है।

- सरबजीत सिंह, डीपीओ