गोरखपुर (ब्यूरो).खबर है कि लखनऊ में ड्रग कार्पोरेशन के स्टॉक में भी एआरवी खत्म हो चुका है। इस वजह से दिक्कत बढ़ गई है। इसने हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसरों को चिंता में ला दिया है। जिला अस्पताल में शनिवार को वैक्सीन लगवाने पहुंचे लोगों ने इसे लेकर हंगामा किया। साथ ही सीएमओ से शिकायत करने कार्यालय पहुंच गए। इस पर सीएमओ कार्यालय ने भी एआरवी एआरवी उपलब्ध कराने से हाथ खड़ा कर दिया। दरियाचक निवासी जमशेद जिद्दी ने बताया कि परिजन नीतू को कुत्ते ने काट लिया था। एआरवी को लगवाने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। वहां से बैरंग लौटा दिया गया।

पीएचसी-सीएचसी पर खत्म हो गई एआरवी

जिले में एंटी रेबीज वैक्सीन की किल्लत बीते एक पखवारे से चल रही है। सीएचसी-पीएचसी पर वैक्सीन नहीं लग पा रही है। इसकी वजह से सबसे अधिक भीड़ जिला अस्पताल में हो रही है। प्रतिदिन 200 से अधिक लोग वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। आसपास के जिलों से भी लोग यहां एआरवी लगवाने पहुंचते हैं।

एक हफ्ते में खप गए 270 वायल

मानसून के रूठने से जिले में कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जिला अस्पताल में काफी संख्या में लोग एआरवी लगवाने पहुंच रहे हैं। बीते सोमवार को जिला अस्पताल को 270 वॉयल एआरवी मिली। यह खेप सिर्फ छह दिन में ही खप गई। शनिवार को सुबह कुछ लोगों को एआरवी लगी। उसके बाद वैक्सीन लगाना बंद करना पड़ा।

एक वॉयल में लगते हैं पांच डोज

चिकित्सा अधीक्षक एवं एआरवी एक्सपर्ट डॉ। अंबुज श्रीवास्तव ने बताया कि जिला अस्पताल में रैबीज वैक्सीन और एंटी रैबीज वैक्सीन के नाम से सप्लाई होती है। एक वायल में पांच डोज होते हैं। कुत्ता काटने पर अमूमन तीन डोज लगाए जाते हैं। इसे प्रिकॉशन डोज कहते हैं। अगर काटने वाले कुत्ते को रैबीज हो गया है, या फिर वह आवारा कुत्ता है तो एक अतिरिक्त इंजेक्शन पेशेंट को लगाया जाता है।

डेढ़ हजार वायल की मांग की गई

जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ। अंबुज ने बताया कि वैक्सीन संकट को देखते हुए फौरी तौर पर एक हजार से अधिक वॉयल की मांग की गई है। इस खेप के मिलने के बाद पेशेंट्स को राहत मिलेगी।

सीएमओ के पास भी खत्म है स्टॉक

शहरी एरिया के अलावा रूरल एरियाज में भी कुत्ता, बंदर, सियार, बिल्ली के काटने के मामले सामने आते हैं। ऐसे में 21 सीएचसी और 38 पीएचसी पर एआरवी लगाने के इंतजाम किए गए हैं। इनमे से अधिकांश अस्पतालों में एआरवी खत्म हो गई है। सिर्फ खोराबार पीएचसी समेत तीन अस्पतालों में ही एआरवी के कुछ वायल बचे हैं।

ड्रग कॉरपोरेशन के पास ही वैक्सीन नहीं

ड्रग कार्पोरेशन के पास भी एआरवी की किल्लत है। बताया जाता है जिला अस्पताल द्वारा बीते एक महीने से एआरवी की खेप की मांग की जा रही है। राजधानी स्थित मुख्यालय से ही सप्लाई नहीं हो पा रही हैं।

बीआरडी में नहीं लगती एआरवी

आवारा कुत्तों के हमले से प्रतिरक्षण के इस जंग में बीआरडी मेडिकल कॉलेज का साथ हेल्थ डिपार्टमेंट को नहीं मिल रहा है। कॉलेज में एआरवी आम लोगों को नहीं लगाई जाती। यहां सिर्फ डॉक्टर व कर्मचारियों के परिजनों को ही एआरवी लगती है। इसके अलावा डॉक्टरों के परिचितों को भी एआरवी की सुविधा मिल जाती है। मेडिकल कॉलेज में रैबीज संक्रमण से होने वाली हाइड्रोफोबिया बीमारी का इलाज भी नहीं होता है। ऐसे पेशेंट्स को लखनऊ रेफर कर दिया जाता है।

एआरवी खत्म हो गई है। लखनऊ में डिमांड भेज दी गई है। वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना भी दे दी गई है। लखनऊ से अगले दो से तीन दिन में खेप मिलने का आश्वासन मिला है। खेप मिलने के बाद मरीजों को लगाई जाएगी।

- डॉ। अंबुज श्रीवास्तव, चिकित्सा अधीक्षक