गोरखपुर (ब्यूरो).इसका केंद्र बिंदू उत्तराखंड के पास नेपाल का कालूखेती रहा, लेकिन इसे महसूस गोरखपुर में भी किया गया। भूकंप जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने पुष्टि करते हुए आगामी झटके को लेकर आपदा टीम को एक्टिव कर दिया है।

घर से बाहर निकले लोग

बता दें, रोज की तरफ हर कोई डिनर करके सोने चला गया, लेकिन जब मध्य रात्रि में अचानक से भूकंप के झटके लगे तो रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों ने रात के वक्त भूकंप के झटके महसूस किए। रेलवे बस स्टेशन पर कैंटीन संचालक सोनू ने बताया कि वह पान की दुकान पर बैठा था, अचानक से उसके सारे गुटखे हिलने लगे और सर भारी लगने लगा, लेकिन कुछ देर बाद पता चला कि भूकंप के झटके लगे हैैं। वहीं, देर रात अचानक भूकंप के झटकों से कई लोग घरों से बाहर निकलकर सड़कों पर आ गए।

2015 में भी आया था भूकंप

जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता ने बताया, गोरखपुर जिला भूकंप के दृष्टिगत सेसमिक जोन 4 के अंतर्गत आता है। चूंकि गोरखपुर नेपाल से 170 किमी दूर है, ऐसे में भूंकप के झटके गोरखपुर में भी महसूस किए गए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में नेपाल में जो भूकंप आया था। इसी के दृष्टिगत गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत एक ट्रांसिट प्वाइंट बनाया गया था, जहां पर नेपाल के रास्ते भारत में आ रहे प्रभावित व्यक्तियों को समुचित सुविधाएं विशेष रूप से करेंसी एक्सचेंज काउंटर, एटीएम की सुविधाएं विश्राम करने की सुविधाएं रेलवे द्वारा एक विशेष काउंटर स्थापित किया गया था। जहां से गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए एक फार्म दिया गया था, ताकि व्यक्ति नि:शुल्क यात्रा कर सके। महिलाओं और पुरुषों को ठहरने की पृथक रूप से विशेष व्यवस्था की गई थी और 24 घंटे भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। जिले में भूकंप की संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस आदि अन्य संस्थाओं के सहयोग से जिला आपदा कार्यालय द्वारा निरंतर स्कूलों में ट्रेनिंग प्रोग्राम कार्यक्रम करता रहता है। उन्होंने बताया कि 2015 के भूकंप में गोरखपुर में तीन जनहानि हुई थीं।

स्कूलों में चलेगी स्पेशल ड्राइव

- सिटी में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गोरखपुर द्वारा जल्द ही स्कूलों में एक स्पेशल ड्राइव चलाई जाएगी।

- भूकंप किसी को नहीं मारता है। असुरक्षित भवन लेकिन उससे भी ज्यादा खतरनाक होता है।

- लोग अपने घरों में गमलों में पौधे बालकनी में लटकते हुए गमले अथवा कोने पर रखते हैं जो कि बेहद खतरनाक हैं।

- जहां पर लोग कार्य करते हैं अथवा बैठते हैं उसके पीछे दीवारों पर बड़े-बड़े तस्वीर लगाते हैं जो कि भूकंप के समय उनके सिर पर गिर सकता है।

- अलमारियों के ऊपर रखे हुए बड़े बड़े और भारी वजनदार सामान को सर के नीचे न रखें।

नींद नही आ रही थी तो मोबाइल में मूवी देख रहा था, अचानक भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिर लगा कि मूवी देख रहा हो सकता है की सिर घूम रहा होगा। लेकिन बाद में पता चला कि भूकंप था।

अभिषेक, गीता वाटिका

रात में खाना खाकर जल्दी सो गए थे। लेकिन जब रात में पानी पीने के लिए उठे तो वैसे ही चक्कर जैसा लगा, फिर चेयर पर बैठ गया। लेकिन बाद में पता चला कि भूकंप का झटका था।

रिंकू शर्मा, जेल रोड

रात में जब भूकंप आया तो कुछ महसूस हुआ। मुझे लगा कि दवा का असर है। सुबह उठी तो पता चला कि भूकंप आया था। हज्बैंड को बताया तो उन्होंने भी मुझे बताया कि रात में भूकंप का अहसास हुआ था।

अर्चना चौरसिया, सूरजकुंड