रोज बचना पड़ता है हादसों से

प्लेस- डॉ। ओपी राय क्लीनिक गली राजेंद्र नगर पश्चिमी

कॉलोनियों में झूलते इन तारों से कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। राजेंद्र नगर पश्चिमी में डॉ। ओपी राय के क्लीनिक के सामने ही 440 केवीए की लाइन क्रास हुई है। जब आई नेक्स्ट टीम ने यहां 10 मिनट समय बिताया तो देखा कि लोग तारों से बचते हुए निकल रहे हैं और एक दूसरे को सलाह भी दे रहे थे कि हाथ ऊपर न करें। यहां तार जमीन से मात्र 4 से 5 फीट ऊपर है। तार नीचे होने के कारण क्लीनिक के गेट से काफी पहले ही मरीजों की गाडिय़ां रुकती हैं। मानक के हिसाब से इलेक्ट्रिक पोल न लगने और हर साल तार न कसने के कारण सिटी में यह प्रॉब्लम आ रही है। यह हाल डॉ। ओपी राय की गली का नहीं है, बल्कि राजेंद्र नगर की अधिकांश गली का यही हाल है। जहां जमीन से 4 से 5 फीट ऊपर तार गुजर रहे हैं।

यहां तो घर के ऊपर से गुजार दिया है तार

प्लेस- आवास विकास कॉलोनी शाहपुर पूर्वी

शाहपुर एरिया में कई मकानों में कॉर्पोरेशन ने हादसों का घर बना दिया है। घर में रहने वाले हमेशा डरते रहते हैं। बरसात के मौसम में तो उनका डर और बढ़ जाता है। जब आई नेक्स्ट टीम ने इन कॉलोनियों का जायजा लिया तो देखा कि तार को रस्सी से बांधकर घर से दूर रखा गया है। वहीं देवेंद्र मिश्रा के घर के ठीक 2 फीट दूरी पर 220 केवीए सप्लाई के लिए पोल लगा दिया है। पोल इतना कमजोर हो गया है कि जब हवा चलती है तो पोल दीवार से टकराने लगाता है। लोगों ने डर के मारे पोल की तरफ आना-जाना बंद कर दिया है। उनके घर के बगल में ठीक ऊपर से बिजली का तार गुजरा है। यहां रहने वाले लोग कई बार इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन से लिखित शिकायत कर पोल और तार को हटाने के लिए कह चुके हैं, लेकिन कॉर्पोरेशन नियमों का हवाला देकर कान बंद कर बैठा है।

इंडस्ट्रियल एरिया में तो खतरा ही खतरा

प्लेस- इंडस्ट्रिरियल एरिया गोरखनाथ

गोरखनाथ और राजेंद्र नगर के बीच का इंडस्ट्रियल एरिया के नाम से जाना जाता है। यहां कॉर्पोरेशन द्वारा विशेष व्यवस्था करने का नियम है क्योंकि यहां हमेशा बड़ी गाडिय़ां आती-जाती रहती है, लेकिन जब आई नेक्स्ट टीम ने इस एरिया का दौरा किया तो पता चला कि चार साल पहले ढीले तार कसे गए थे। उसके बाद से आज तक कोई काम नहीं हुआ। कई फैक्ट्रियों के गेट के सामने तार झूल रहे थे। जिसके कारण कंपनी को अपना गेट तक बदलना पड़ गया था। नीचे और ढीले तार होने के कारण कई बार हवा अपने हाथ हादसे की दस्तक लाती है।

जीडीए ने कैसे पास कर दिया नक्शा!

प्लेस- कैलाशपुरी तारामंडल और विकास नगर बरगदवां

सिटी का नई बस रही कॉलोनी कैलाशपुरी कॉलोनी और वर्षों पहले जीडीए द्वारा बसाई गई कॉलोनी विकास नगर बरगदवां में सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया है। कैलाशपुरी कॉलोनी के बीच से गुजरे 1 लाख 25 हजार केवीए के तार के नीचे जीडीए धड़ाधड़ मकानों का नक्शा पास कर रहा है। कई मकानों के इतने करीब से यह तार गुजरा है कि कोई भी हादसा कभी भी हो सकता है। विकास नगर बरगदवां में तो जीडीए ने हद पार कर दी है। इतने हाई वोल्टेज तार के नीचे स्कूल बनाने का परमिशन दे कर मासूमों को खतरे में डाल दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि यह पूरी कॉलोनी जीडीए ने बसाई है।

एक लाख खर्च, फिर भी झूलते हैं तार

इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट द्वारा ढीले तारों को टाइट करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है, लेकिन हर साल एक डिविजन को एक लाख रुपए मिलते हैं। यह पैसा तारों के मरम्मत और रखरखाव पर खर्च होने होते हैं। यह पैसा खर्च भी हो जाता है, लेकिन सिटी के तार ढीले के ढीले ही रहते हैं। कॉर्पोरेशन के एक जूनियर इंजीनियर का कहना है कि ढीले तार कभी भी हादसे को दावत दे सकते हैं, लेकिन कोई योजना न होने के कारण तारों को टाइट नहीं कर पाते हैं। हालांकि अधिक कंप्लेन आने पर मरम्मत के नाम पर तार कसने की खानापूर्ति कर दी जाती है।

पोल्स की है भारी कमी

सिटी में लगभग 75 हजार बिजली के पोल्स हैं। महानगर विद्युत वितरण निगम का मानें तो सिटी में इस समय यह पोल्स जरूरत से 50 हजार कम हैं। जिसके कारण एक पोल से दूसरे पोल की दूरी अधिक से अधिक 50 मीटर होनी चाहिए, लेकिन पोल्स की कमी के चलते यह दूरी कहीं 80 मीटर से अधिक है। यही वजह है कि अधिकांश तार ढीले हैं। एक जूनियर इंजीनियर का कहना है कि पोल की मांग बनारस से हमेशा मांग होती है लेकिन केवल आश्वासन मिलता है। अगर इतने पोल मिल जाते तो सिटी के झूलते तार को ऊपर किया जा सकता है।

क्या है नियम

सिटी में तीन तरह की लाइन बिछाई गई है। सबसे अधिक एलटी लाइन है। जिसमें 440 वोल्ट बिजली सप्लाई होती है। इसका मानक यह है कि यह जमीन से कम से कम 5 मीटर ऊपर होना चाहिए। हाई वोल्टेज की दो लाइन सिटी में हैं। इनमें 11 हजार वोल्टेज 33 हजार वोल्टेज के तार शामिल हैं। 11 हजार वाले तार की ऊंचाई कम से कम 7 मीटर और 33 हजार वोल्टेज तार की उंचाई 8 मीटर होनी चाहिए।

पोल्स की कमी के कारण यह प्रॉब्लम आती है। शिकायत आने पर कोशिश की जाती है कि किसी प्रकार तार को कस दिया जाए।

एसपी पांडेय, एसई महानगर विद्युत वितरण निगम