-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के एक्सक्यूज मी कैंपेन में नॉन वर्किग और स्कूल गोइंग ग‌र्ल्स ने रखी अपनी बात

GORAKHPUR: 'हम लोग स्कूल गोइंग ग‌र्ल्स हैं। स्कूल में तो वॉशरूम की कोई प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन अगर कभी मार्केट जाना पड़े। या फिर रास्ते में वॉशरूम को लेकर हमेशा टेंशन रहती है। कभी-कभी तो हमें हैरानी भी होती है कि हम किस युग में जी रहे हैं.' यह जवाब उन ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स ने दिया जब 'एक्सक्यूज मी, व्हेयर इज माई टॉयलेट' अभियान के दौरान दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने उनसे बात की। इस दौरान ग्रुप में खड़ी सभी ग‌र्ल्स एक सुर में बोलीं कि कहने को तो हम सीएम सिटी में रहते हैं। लेकिन यहां पर महिलाओं के लिए बेसिक एमिनिटीज तक का अभाव है। वहीं नॉन वर्किग वुमन ने भी इस मामले को लेकर अपना कंसर्न जताया है। कुछ महिलाओं ने तो जिम्मेदारों पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने यहां तक कहा दिया कि लगता है कि शहर में जिम्मेदारों के पास महिलाओं की समस्या सुलझाने का वक्त ही नहीं है।

नहीं मिलता पिंक टायलेट

मार्केट जाने से पहले कई सवाल मन में आने लगते हैं। हम तो घर से बिना पानी पिए ही निकल जाते हैं। अगर कहीं रास्ते में वॉशरूम की जरूरत पड़ी तो कहां जाएंगे, इस बात की टेंशन रहती है। कई बार इस तरह की सिचुएशन फेस कर चुकी हूं। इसलिए अब इसको लेकर अलर्ट रहती हूं। वैसे सच बताऊं तो सीएम सिटी में इतनी बेसिक एमिनिटीज तो रहनी ही चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वह प्रियॉरिटी के बेस पर यहां पिंक टॉयलेट का इंतजाम करे।

-पूजा गुप्ता

बनानी चाहिए कमेटी

अक्सर उर्दू बाजार, रेती रोड पर मार्केट के लिए जाना होता है। चूंकि पुराना मार्केट है तो कपड़े भी अच्छे मिल जाते हैं। लेकिन हम लेडीज के लिए सबसे बड़ी समस्या होती है वॉशरूम की, जो है ही नहीं। हर बड़ी मार्केट में कुछ निश्चित दूरी पर पिंक टॉयलेट तो होने ही चाहिए। मेरे साथ कई बार ऐसा हो चुका है कि मुझे बीच में ही मार्केट से ही वापस आना पड़ा है। कम से कम कमेटी ही आपस में बनाकर इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।

-प्रतिमा त्रिपाठी

सभी मिलकर उठाएं आवाज

मार्केट में महिलाओं के लिए वॉशरूम न होना बहुत बड़ी समस्या है। इसके लिए सभी को आवाज उठानी चाहिए। हम इस मूहिम का समर्थन करते हैं। मेरे हिसाब से इसमें व्यापारियों को जिला प्रशासन और नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों मिलकर कुछ करना चाहिए। इस प्रॉब्लम का ठोस सॉल्यूशन निकालना चाहिए ताकि सिर्फ आज ही नहीं, आने वाले वक्त में लंबे समय के लिए छुटकारा मिले।

-सरोज सिंह

दूर-दूर तक नहीं मिलता वाशरूम

एक बार मैं अपनी फ्रेंड के साथ मार्केट में जा रही थी। अचानक मुझे वॉशरूम जाने की जरूतर महसूस हुई। मैंने रास्ते में कई जगहों पर इधर-उधर देखा। लेकिन दूर-दूर तक कोई वॉशरूम नहीं मिला। मैंने सोचा चलो मार्केट पहुंच जाएं तो वहां पर वॉशरूम होगा ही। लेकिन मार्केट पहुंचने पर तो मैं शॉक्ड रह गई। वहां पर एक भी पिंक टॉयलेट नहीं था। आखिकार मुझे एक मॉल में जाकर वॉशरूम यूज करना पड़ा।

-सुमैया शैख

मॉर्केट में जरूर बनना चाहिए वॉशरूम

कई बार कॉलेज जाते वक्त दिक्कत होती है। रास्ते में वॉशरूम न होने पर मैंने समस्या का सामना किया है। कम से कम दो वॉशरूम हर मार्केट एरिया में होना चाहिए। विभागों के अधिकारियों व व्यापारियों को सोचना चाहिए कि यह एक बेहद गंभीर समस्या है। इससे महिलाओं को कैसे निजात दिलाया जाए। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने इस समस्या को उठाया है, इसके लिए हम महिलाएं उनके प्रति आभारी हैं।

-श्वेता त्रिपाठी

सिरदर्द भी हो गया था

लेडीज वॉशरूम न होने के कारण मैं कई बार समस्याओं का सामना कर चुकी हूं। एक बार तो मेरे साथ ऐसी कंडीशन थी कि मुझे समय पर पहुंचना था। इस बीच अचानक वॉशरूम जाने की जरूरत महसूस हुई। लेकिन रास्ते में कहीं भी वॉशरूम नजर नहीं आ रहा था। इसके चलते मेरे लिए सिचुएशन काफी ऑकवर्ड हो गई थी। इतनी ज्यादा टेंशन हो गई थी कि मेरे सिर में दर्द होने लगा था।

-दीपशिखा कसौधन

मजबूरी में जाना पड़ा मॉल में

एक बात तो मैं मॉर्केट जा रही थी। रास्ते में वॉशरूम की जरूरत महसूस हुई तो मुझे कुछ दूरी पर बने मॉल में जाना पड़ा। तब से मैं काफी ज्यादा अलर्ट रहती हूं। पहला प्रिकॉशन तो यही रखती हूं कि घर से निकलने से पहले फ्रेश हो लूं। इसके अलावा दूसरी कोशिश रहती है कि घर से पानी पीकर न निकलूं। वैसे मार्केट में महिलाओं के लिए वॉशरूम का प्रॉपर इंतजाम होना चाहिए।

-सुष्मिता सिंह

कॉम्प्लेक्स में जाना पड़ा

उर्दू बाजार, रेती रोड, अलीनगर के मॉर्केट में अक्सर खरीदारी के लिए जाना होता है। लेकिन डर इस बात का बना रहता है कि जब वॉशरूम जाना हो तो फिर क्या करेंगे। क्योंकि एक बार मैं बुरी तरह से फंस गई थी, उसके बाद से कान पकड़ लिया। कॉम्प्लेक्स में मुझे जाना पड़ा। वहां भी बहुत गंदगी थी। मेरा सजेशन है कि जहां भी वॉशरूम है, वहां पर साफ-सफाई का प्रॉपर अरेंजमेंट होना ही चाहिए।

-यामिनी

अनजाने घर में जाना पड़ा

अलीनगर के एक दुकान पर परचेजिंग करने गई थी, तभी वॉशरूम की जरूरत महसूस हुई, फिर क्या था। दुकान में बैठी लेडी स्टाफ से जब इस समस्या के बारे में बताई तो उसने ही दुकानदार के घर के पास ले गई। तब जाकर किसी तरह से रिलैक्सेशन मिला। जबकि इस समस्या का समाधान होना चाहिए। आए दिन किसी न किसी महिला को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह आइडियल सिचुएशन नहीं है।

-दनिष्ठा अंजूम

अब तो हमें कुछ करना पड़ेगा

मैं अक्सर सोचती हूं कि इस तरह के समस्याओं को उठाना चाहिए। लेकिन अकेले इस समस्या के उठाने से कोई हल नहीं निकलेगा। इसलिए हमें लगता है कि हम सभी को ही कुछ करना पड़ेगा। जब तक इस समस्या के समाधान के लिए हम लेडीज आगे नहीं आएंगे, तब तक इस समस्या से निजात नहीं मिलेगा। सभी महिलाओं को इस दिशा में आगे आकर दैनिक जागरण-आई नेस्क्ट के साथ कदम से कदम मिलाना चाहिए।

श्वेता

इन मॉर्केट में नॉन वर्किग लेडीज व ग‌र्ल्स की होती है भीड़

- छाया काम्प्लेक्स, असुरन चौक

- विजय चौक

- अलीनगर

- गोरखनाथ

- राजेंद्र नगर

- कूड़ाघाट

- खंजाची चौक

- रेती रोड

- शाहमारूफ

- पांडेयहाता

- मायाबाजार

- गीता प्रेस रोड

- आजाद चौक

- चारफाटक