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05वें दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ एमएमएमयूटी में

1191 कुल स्कॉलर्स को बांटी गई डिग्री

16 स्कॉलर्स डिफरेंट स्ट्रीम्स के गोल्ड मेडल से हुए सम्मानित

15 पीएचडी होल्डर को भी उपाधि प्रदान की गई

-एमएमएयूटी के पांचवें कॉन्वोकेशन में चीफ गेस्ट गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने स्कॉलर्स को दिया गोल्ड मेडल

-अमेठी के रहने वाले शिवम ने सुंदर ढंग से साकार किया पिता का सपना

-मजदूर पिता की मौत के बाद भी नहीं छोड़ी पढ़ाई, हासिल किया गोल्ड मेडल

anurag.pandey@inext.co.in

GORAKHPUR: 'अभी तो असली मंजिल पाना बाकी है, अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है, अभी तो तोली है मुठ्ठी भर जमीन, अभी तोलना आसमान बाकी है.' यह लाइनें अमेठी के छोटे से गांव गौरा पूरेकंडी थाना जामो निवासी तेज तर्रार शिवशंकर पर एक दम सटीक बैठती हैं। शिवशंकर ने अपनी मेहनत के दम पर अपने पिता स्वर्गीय सत्यनारायण का सपना बेहद सुंदर ढंग से साकार किया। शिवशंकर की कहानी उन तमाम लोगों के लिए एक मिसाल है जो हालात के आगे हार मान जाते हैं।

मंगलवार को जब शिवशंकर को गवर्नर ने गोल्ड मेडल दिया तो उन्होंने आसमान की तरफ देखकर अपने पिता का आशीर्वाद लिया। मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी गोरखपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह मंगलवार को ऑर्गनाइज किया गया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने स्कॉलर्स को मेडल प्रदान किया।

पिता नहीं रहे, उनका सपना जिंदा रखूंगा

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के साथ खास बातचीत में शिवशंकर ने अपने संघर्ष की कहानी याद की। उन्होंने बताया कि आज वो दिन मुझे याद आ रहा है जब पापा स्व। सत्यनारायण ईट के भट्ठे पर जाकर दिनभर मजदूरी कर अपना हाथ जलाते थे। इस काम से जो पैसे आते थे उन पैसों से मेरी पढ़ाई होती थी। पिताजी ने कभी मुझे ये अहसास नहीं होने दिया कि मैं एक मजदूर का बेटा हूं। लेकिन इस बात का दुख हमेशा रहेगा कि जिसने मेरी जड़ मजबूत की उसे आज मैं अपनी खुशी में शामिल नहीं कर सकता।

भाई ने भी लगा दिया जी-जान

-शिवशंकर ने बताया कि आज मुझे दो गोल्ड मेडल मिले हैं।

-बताया कि फाइनेंशियल सिचुएशन इतनी टफ हैं कि मेरे घर से इस खुशी में शामिल होने कोई नहीं आ पाया।

-कहा कि 2007 में जब आठवीं क्लास में था तभी ईट-भट्ठे पर काम करने वाले मेरे पिता की मौत हो गई।

इसके बाद मेरी फैमिली के सामने खाने पीने का संकट आ खड़ा हुआ।

-इस दौरान मेरी पढ़ाई भी छूटने वाली थी। तभी मेरे बडे़ भाई श्याम लाल ने ईट के भट्ठे पर मजदूरी शुरू कर दी।

-उसने अपनी मेहनत से फैमिली का पेट भी भरा और परिवार का पेट भी भरा और मेरी पढ़ाई भी जारी रखी।

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कैंपस सेलेक्शन में मिली नौकरी

शिवशंकर ने बताया कि मैंने हाई स्कूल और इंटर की पढ़ाई अमेठी के सर्वोदय साइंस इंटर कॉलेज से पूरी की। इसके बाद संजय गांधी गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन लिया। हां से इलेक्ट्रानिक से इंजीनियरिंग करने के बाद 2014 में कैंपस सेलेक्शन में मुझे नौकरी मिली। लखनऊ में एचसीएल सर्विसेज लिमिटेड कंपनी में तीन साल काम किया। यहां पर मुझे 15 हजार सैलरी मिलती थी। 2017 में गोरखपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया। इसके बाद यहां किराए के कमरे में रहकर पढ़ाई की।

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इंडिया के लिए करना चाहते रिसर्च

शिवशंकर ने बताया कि इंडिया में रिसर्च का अभाव है। इलेक्ट्रानिक इजीनियरिंग में ही इंडिया के लिए रिसर्च करना चाहता हूं। इसके साथ ही मैंने पढ़ाई के लिए जो प्रॉब्लम झेली है। वो कोई और ना झेले इसके लिए असहाय लोगों की स्टडी में मदद करना चाहता हूं।

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प्रगति को सबसे अधिक गोल्ड

बीटेक सिविल की प्रगति सक्सेना गोरखपुर के बिछिया कालोनी में रहती हैं। प्रगति को सर्वाधिक छह मेडल मिला तो उनकी खुशी से झूम उठी। उनके साथ आए उनके पिता पुष्पेन्द्र सक्सेना और माता रंजना सक्सेना ने भी बेटी को सम्मानित होता देखा तो उनकी आंखे भर आई। ऐसा लग रहा था कि मानों उनका सारा सपना पूरा हो गया हो। प्रगति इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस में जाना चाहती हैं।

अनूप को मिला पांच गोल्ड

अम्बेडकर नगर के अनूप पाण्डेय को पांच गोल्ड मेडल मिले। उन्होंने बताया कि मुझे एक अच्छा इंजीनियर बनने के साथ ही वॉटर रिसोर्स के क्षेत्र में काम करना है। मैं अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ गुरुजनों और दोस्तों को देना चाहता हूं। अनूप को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कुलपति स्वर्ण पदक समेत पांच गोल्ड मेडल मिला।

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