गोरखपुर (ब्यूरो)। फायर ब्रिगेड अधिकारी की मानें तो जब कॉम्प्लेक्स की ओपनिंग होती है, तब तो सबकुछ ठीक रहता है। जैसे ही वो कुछ पुराना होता है, वहां आग से निपटने के इंतजाम ही राख हो जाते हैं। फायर फाइटिंग इक्विपमेेंट रखरखाव के अभाव में खराब होने लगते हैं। जबकि ये बहुत बड़ी लापरवाही है और हजारों लोग जो शॉपिंग के लिए आते हैं, उनकी जान के साथ खिलवाड़ है। आग की घटनाओं को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने कुछ शॉपिंग कॉम्पलेक्स का रियलिटी चेक किया तो कई खामियां सामने आईं।

अग्निशमन अधिकारी डीके सिंह से सीधी बात

रिपोर्टर: एक ही कॉम्प्लेक्स में दो बार लगातार आग लगी है, इसका क्या कारण है।

अधिकारी: गर्मी के दिनों में शॉर्ट सर्किट या एसी की वजह से आग लगती है। बलदेव प्लाजा में आग लगने के बाद वहां का मुआयना किया गया। कुछ कमियां मिली हैं। उसे ऑनर ने दूर करने के लिए कहा है।

रिपोर्टर: क्या सभी कॉम्प्लेक्स में आग से बचाव के इंतजाम पूरे हैं।

अधिकारी: मॉल और कई कॉम्प्लेक्स जो नए खुले हैं, वहां पर बंदोबस्त सही हैं। जबकि जो कॉम्प्लेक्स पुराने हो जाते हैं, वहां पर इंतजाम भी फेल होने लगता है। हम लोग उन्हें इसके लिए वॉर्निंग भी देते हैं।

रिपोर्टर: इस बार अप्रैल में कितनी आग लगने की कम्प्लेन आई हैं?

अधिकारी: अप्रैल में अभी तक आग लगने की 95 घटनाएं हुई हैं।

रिपोर्टर: अप्रैल में पिछली बार कितनी घटना हुई थीं?

अधिकारी: पिछले साल अप्रैल में 400 कम्प्लेन आई थीं।

बलदेव प्लाजा में 15 दिन में 2 बार आग

15 दिन मेें बलदेव प्लाजा में दो बार आग लग चुकी है। बलदेव प्लाजा में मंगलवार को आग लगने के बाद पूरा कॉम्प्लेक्स धुएं से भर गया था। बुधवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम बलदेव प्लाजा पहुंची। बलदेव प्लाजा में फायर इक्स्टिंग्विशर का पता ही नहीं है। जोकि एक कॉम्प्लेक्स में होना बेहद जरूरी है। यहां पर 400 दुकानें हैं, लेकिन आग से निपटने के लिए सिलेंडर कहीं-कहीं ही दिखे। उसमे भी कुछ खाली हो गए थे।

जीडीए टॉवर की मशीन में जंग

जीडीए टॉवर में आग से निपटने के इंतजाम काफी पुराने हो चुके हैं। वहां के दुकानदारों से ये पूछा गया कि आप आग बुझा सकते हैं, तो अधिकतर लोग मॉकड्रिल तो दूर उन्हें ये तक नहीें पता कि आग बुझाने वाला सिलेंडर कहां लगा है। यहां की सबसे बड़ी समस्या ये दिखी कि एक अलमारी जिसमें सारा सामान बंद था। देखने से ऐसा लग रहा था कि वो सभी खराब हो चुके हैं। उस अलमारी की चॉबी भी किसी के पास नहीं थी। यहां के फायर स्प्रिंक्लर जंग खाए हुए थे। फायर स्पिं्रक्लर के लगने के बाद उसका कभी यूज नहीं हुआ था।

मंगलम टॉवर में फायर इक्स्टिंग्विशर खाली

गोलघर स्थित मंगलम टॉवर के दुकानदार तो ये भी नहीं जान रहे हैं कि आग लगेगी तो कहां से बुझेगी। यहां पर जालों के बीच फंसी आग से निपटने की मशीनें दम तोड़ रही हैं। अधिकतर मशीनों में जंग लग चुकी है, यहां पर एक दो जगह आग बुझाने के लिए सिलेंडर लगाए गए हैं, जिसमें गैस ही नहीं है। इसके अलावा एक जगह पर ढेर सारे पाइप रखे थे, लेकिन उसका कनेक्शन कहां से देना है, किसी को नहीं पता।

यहां भी समस्या

इससे कहीं अधिक परेशानी घंटाघर, रेती चौक, मायाबाजार, शॉमारूफ और अलीनगर में है। इन सभी मार्केटों में डेली हजारों की भीड़ लगती है। लेकिन आग लगने के बाद उससे निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। वहीं यहां पर फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां भी नहीं पहुंच पाती हैं। इस हाल में यहां पर आग लगेगी तो बड़ा कोहराम मच सकता है।

एक सप्ताह में मॉकड्रिल - 90

अप्रैल 2022 में अब तक आग लगने की आईं कम्प्लेन- 95

पिछले साल अप्रैल में आईं कम्प्लेन- 400

फायर बिग्रेड का इंतजाम

45 ली। क्षमता वाली बड़ी गाड़ी- 7

फोम टेंडर- 3

वॉटर वाउजर- 2

मिनी टेंडर- 5

हाईप्रेशर वॉटर मिक्स- 5

बुलेट- 5