-गोरखपुर में नॉर्मल डेज में डेली होता है 25 हजार क्विंटल से अधिक का प्रोडक्शन

-पूर्वाचल का मैदे का हब है गोरखपुर

-इस समय कामगारों के अभाव में घट गया प्रोडक्शन

एक समय था जब गोरखपुर में पश्चिमी यूपी के जिलों, दिल्ली और पंजाब से ज्यादा क्वांटिटी में मैदा आता था। लेकिन समय बदला और धड़ाधड़ गोरखपुर में भी फ्लोर मिल लगनी शुरू हुईं। फिर ऐसा दिन आया कि गोरखपुर पूर्वाचल में सबसे बड़ा मैदा का हब बन गया। गोरखपुर से ही ऑल इंडिया में मैदा डिलेवर होने लगा। फ्लोर मिल लगने से एक बड़ा फायदा ये हुआ कि इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिला। लेकिन लॉकडाउन में गोरखपुर में फ्लोर मिल चलाने वालों का बिजनेस अर्श से फर्श पर आ गया है। इसे एक बार फिर स्टैंड करने के लिए बिजनेसमैन को नए सिरे से मेहनत करनी होगी। सरकार को भी इस बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग करना पडे़गा। तभी एक बार फिर नीचे उतरी गाड़ी पटरी पर आ पाएगी।

25 हजार क्विंटल से अधिक का होता प्रोडक्शन

फ्लोर मिल संचालक ने बताया कि गोरखपुर में 15 बड़ी फ्लोर मिले हैं। यहां नॉर्मल डेज में 25 हजार क्विंटल से अधिक का प्रोडक्शन डेली होता है। इसमें 60 प्रतिशत मैदा, 5 प्रतिशत आटा, 3 प्रतिशत सूजी और 32 प्रतिशत चोकर का प्रोडक्शन होता है। गोरखपुर में बरगदवां और मोहरीपुर में 5, मेडिकल रोड पर 1, मनकौरा में 1, कौडिराम में 2, गीडा में 3 और खलीलाबाद में 2 फ्लोर मिल हैं। जिनके ऑफिस गोरखपुर सिटी के अंदर हैं।

ऑल इंडिया में होती है डिलेवरी

बेकरी, होटल, रेस्टोरेंट और ढाबा पर सबसे अधिक मैदे की खपत होती है। गोरखपुर से बंगाल, बिहार, बनारस, कोलकाता, छत्तीसगढ़, दिल्ली, बंगलुरु, महाराष्ट्र तक मैदा डिलेवर किया जाता है। इसके अलावा सूजी और चोकर की भी डिमांड रहती है। फ्लोर मिल संचालक ने बताया कि धीरे-धीरे और भी जगह से ऑर्डर गोरखपुर में ही आने लगे हैं। लेकिन लॉकडाउन के बाद से बना बनाया बिजनेस बैकफुट पर आ गया है।

होटल, बेकरी बंद होने से आई दिक्कत

फ्लोर मिल संचालक ने बताया कि लॉकडाउन से होटल, रेस्टोरेंट, बेकरी, ढाबा और छोट-छोटे होटल्स सभी बंद हो गए हैं। सबसे अधिक मैदे की खपत भी यहीं पर होती है। इस वजह इधर मिले खुली भी तो आर्डर भी नहीं आ रहा है। वहीं ट्रांसपोटेशन की व्यवस्था भी ठप है। इससे गोदाम में जो माल पड़ा है उसे भी कहीं भेजा नहीं जा सकता है।

कामगारों की दिक्कत

एक फ्लोर मिल में 40-50 कामगार होते हैं। इनके अलावा गांव के किसान और डिलेवरी ब्वॉय भी 50 से अधिक जुड़े होते हैं। गोरखपुर की फ्लोर मिल में सबसे अधिक कामगार बिहार के हैं। संचालक ने बताया कि लॉकडाउन शुरू होने के पहले ही वे अपने-अपने घरों पर गए। इसके बाद वे लौट नहीं पाए। इससे इधर उधर से कामगारों को बुलाकर काम करवाना पड़ रहा है वो हम लोगों के लिए महंगा भी पड़ रहा है। हम अपने कामगारों को खाने रहने की नि:शुल्क व्यवस्था करते हैं।

फ्लोर मिल संचालकों की प्रॉब्लम

-लॉकडाउन में फंस गए बिहार अपने घर गए कामगार।

-ठप हो गई ट्रांसपोटेशन की व्यवस्था।

-नहीं मिल रहे गेहूं उठाने वाले।

-प्रोडक्शन कर माल कहां ले जाएं।

-बंद हैं बेकरी और होटल।

-हर महीने बढ़ रहा बैंक का ब्याज।

-देना पड़ रहा बिजली का फिक्स चार्ज।

-मजदूर आने को तैयार लेकिन लाएं कैसे।

फैक्ट फिगर

गोरखपुर में बडी फ्लोर मिल- 15

गोरखपुर में डेली का प्रोडक्शन- 25 हजार क्विंटल से अधिक

फ्लोर मिल कामगारों को मिला रोजगार- 100 अधिक

मैदा का प्रोडक्शन- 60 प्रतिशत

चोकर का प्रोडक्शन-32 प्रतिशत

आटा का प्रोडक्शन-5 प्रतिशत

सूजी का प्रोडक्शन- 3 प्रतिशत

कोट-

हमारे यहां मैदा, आटा, चोकर, सूजी निकलता है। इसके लिए अच्छे एक्सपर्ट कामगार भी रखे गए हैं। लेकिन लॉकडाउन के पहले कामगार अपने घर गए उसके बाद वापस नहीं लौट पाए। अब वे आना भी चाहते हैं तो उन्हें लाने के लिए कोई पास नहीं जारी हो पा रहा है।

संत सेवक जायसवाल, मैनेजर, सुयश एग्रो इन्डस्टीज

लॉकडाउन के बाद से ही बिजनेस डाउन है। बेकरी, होटल, रेस्टोरेंट सभी बंद है। जिससे 20 से 25 प्रतिशत पर बिजनेस आ गया है। इसी बिजनेस के सहारे ही और कामगारों का खर्च और अन्य खर्चे भी पूरे किए जाते हैं। अब बिजनेस ही ठप हो जाएगा तो काम कैसे चलेगा।

दुर्गेश जायसवाल, ओनर, हर हर महादेव इंडस्टीज

मेरे यहां से खासतौर से कोलकाता, छत्तीसगढ़ और बिहार में मैदा की सप्लाई होती है। इस समय ट्रांसपोटेशन बिल्कुल ठप है। थोड़ा बहुत ऑर्डर मिल भी रहा है तो माल भेजने की दिक्कत सामने आ रही है। लेबर की प्रॉब्लम भी टेंशन दे रही है।

रवि लखमानी, ओनर, आरटीएम एग्रो इन्डस्टीज

बिस्कुट कंपनियां, शादी विवाह समारोह, होटल, रेस्टोरेंट सभी बंद चल रहे हैं। इससे बिक्री पर भी असर पड़ा है। वहीं फ्लोर मिल से संबंधित लोगों के लिए पास की भी व्यवस्था नहीं हो पाई है। पास और मार्केट खुलवाने के लिए सरकार से मांग की गई है।

संजय सिंहानियां, अध्यक्ष, चैम्बर ऑफ कामर्स ट्रेडस