गोरखपुर (ब्यूरो)।साइकिल संचालित फॉगिंग मशीनें निगम में खड़ी रहती हैं और पब्लिक निगम के कंट्रोल रूम में फॉगिंग कराने के लिए कंप्लेन करती रहती है। आलम यह है कि टेम्प्रेचर बढऩे के साथ मच्छर लगातार काट रहे हैं, लेकिन मच्छरों पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।

संकरी गलियों में नहीं जातीं फॉगिंग मशीनें

गर्मी के साथ-साथ शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। निचली और घनी आबादी वाले एरियाज में मच्छर सबसे अधिक हैं। मच्छरों के चलते लोगों की रातों की नींद हराम है। यहां पर दिन में बैठना भी मुश्किल हो जाता है। मोहल्ले वालों का कहना है कि सफाई कर्मी तो प्रतिदिन झाडू लगाने के बाद नालियों व गलियों में कूड़ा डाल देते हैं। नालियां जाम होने से मच्छर व संक्रमण फैलने का खतरा मंडराने लगा है। वहीं, संकरी गली होने के कारण नगर निगम मशीन से फॉगिंग कराने के बजाय सड़क से ही लौट जाते हैं। वैसे तो इन दिनों गली-मोहल्लों में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है।

मलेरिया के सेंसेटिव एरिया

रुस्तमपुर, भगत चौराहा, तारामंडल, शेषपुर, तिवारीपुर, डोमिनगढ़, निजामपुर, मोहद्दीपुर, कूड़ाघाट, चरगांवा, राप्तीनगर, खूनीपुर, बक्शीपुर, रायगंज, शाहपुर, धर्मपुर, इंजीनियरिंग कॉलेज, मानबेला, बशारतपुर, गोपलापुर, गिरधरगंज, अंधियारीबाग, तुर्कमानपुर, माधोपुर, रसूलपुर, बिछिया, धर्मशाला बाजार, विकास नगर, मियांबाजार, हांसूपुर, महुईधरपुर, जाफरा बाजार, इलाहीबाग, दीवान बाजार, बसंतपुर।

डोर टू डोर अभियान का दावा

मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि मच्छरों से होने वाली बीमारी का समय बारिश का होता है। इस बीच मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। साथ ही मलेरिया, डेंगू, इंसेफेलाइटिस आदि बीमारियां भी बढऩे लगती हैं। इसलिए नगर निगम, ग्राम पंचायत समेत कई विभागों के सहयोग से डोर-टू-डोर अभियान चलाया जाता है।

मलेरिया के लक्षण

- अचानक सर्दी लगना।

- फिर गर्मी लगकर तेज बुखार होना।

- पसीना आकर बुखार कम होना व कमजोरी महसूस करना।

ऐसे करें बचाव

सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से करें।

मच्छरों से सुरक्षित रहने के लिए फुल बांह की कमीज पहनना चाहिए।

खुली त्वचा पर एंटी मच्छर क्रीम का इस्तेमाल करें।

प्राइवेट पैथोलॉजी नहीं दे रहीं सूचना

जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया, इस वर्ष अब तक 26,839 नमूनों की जांच में कोई मलेरिया पॉजिटिव नहीं मिला है। विभाग को प्राइवेट पैथोलॉजी से सूचना नहीं मिल रही है। वर्ष 2022 में कुछ पैथोलॉजी संचालकों ने 462 रैपिड किट से जांच की सूचना दी थी। इनमें से कितने पॉजिटिव मिले? उसकी सूचना पैथोलॉजी संचालकों ने नहीं दी। इसे लेकर भी विभाग गंभीर है। अब पैथोलॉजी संचालकों को नोटिस दी जाएगी।

एसिंप्टोमेटिक मलेरिया पर आरएमआरसी कर रहा रिसर्च

पूर्वी यूपी में मलेरिया के कुछ मामले एसिंप्टोमेटिक केस सामने आए हैं। इस मामलों में मरीजों में कोई लक्षण नहीं मिला। मरीज डायरिया, सर्दी, जुकाम, बुखार, या दूसरी बीमारियों का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे। इस दौरान जांच कराने पर मलेरिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) के डायरेक्टर डॉ। रजनीकांत ने बताया कि यह एसिंप्टोमेटिक मलेरिया के मामले हैं। आमतौर पर बिहार व उत्तर भारत के कुछ राज्यों में ऐसे मामले सामने आते हैं। अब पूर्वी यूपी में इस प्रकार के मामले सामने आ रहे हैं।

मलेरिया के मामले

वर्ष कुल जांच मलेरिया पॉजिटिव

2018 71,556 5

2019 72,833 11

2020 26,058 1

2021 38,666 11

2022 131625 10

2023 (21 अप्रैल तक) 26,839 0