गोरखपुर (ब्यूरो)। लाइसेंस दवा बेचने के मामले में जिले में पहली बार बड़ी कार्रवाई की गई है। 19 वर्ष तक चले मुकदमे के बाद कोर्ट ने दवा बेचने वाले को चार महीने जेल और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। जिले में अब तक बिना लाइसेंस दवा बेचने के मामले में किसी को सजा नहीं हुई थी।

तिवारीपुर थाना के न्यू माधोपुर कालोनी में दवाओं के अवैध भंडारण और नकली दवाओं की बिक्री की मोहल्लेवालों ने शिकायत की थी। तत्कालीन सीएमओ के निर्देश पर 17 अक्टूबर, 2005 को औषधि निरीक्षक प्रभात कुमार तिवारी के नेतृत्व में औषधि विभाग, पुलिस की एसओजी और तिवारीपुर थाना पुलिस ने न्यू माधोपुर कालोनी में छापा मारा था। टीम पहले मेसर्स मीडिया फार्मा पर पहुंची। यहां जांच में सब कुछ ठीक मिला। यहां से टीम महराजगंज के बागापार के मूल निवासी दशरथ प्रसाद वर्मा के आवास पर पहुंची। टीम की जांच में दवाओं का भंडारण मिला। लाइसेंस मांगने पर दशरथ प्रसाद वर्मा नहीं दिखा सके। प्रभात कुमार तिवारी के निर्देश पर दवाओं को जब्त कर पांच नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए। अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट ओमकार शुक्ला की कोर्ट ने 19 मार्च को सजा सुनाई।

ये दवाएं हुई थीं जब्त

आइयूपाल प्लस, सीलाक्स टैबलेट, टाइड टैबलेट, पालीमिटा बी-काम्प्लेक्स कैप्सूल, पैरासीटामाल टैबलेट

पैरासीटामाल मिली अधोमानक

जांच में पैरासीटामाल टैबलेट अधोमानक मिली। इसकी भी रिपोर्ट औषधि प्रशासन ने कोर्ट में जमा कर दी थी।

बिना लाइसेंस दवा बेचने के मामले दशरथ प्रसाद वर्मा को सजा हुई है। कुछ और मामले कोर्ट में हैं। जल्द ही निर्णय आने की संभावना है। बिना लाइसेंस दवा का भंडारण या बिक्री दंडनीय अपराध है।

जय सिंह, औषधि निरीक्षक