गोरखपुर (ब्यूरो)। पुलिस का कहना है कि यदि कोई एम्स में नौकरी दिलाने के नाम पर रुपए मांगता है तो उसकी शिकायत दर्ज कराएं। एसएसपी डॉ। विपिन ताडा ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति एम्स में नौकरी, दुकान दिलाने या अन्य किसी वजह से रुपए मांग रहा है तो इसकी शिकायत जरूर करें।

कैंटीन, दवा दुकान के नाम पर हड़पे 34 लाख रुपए

एम्स का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से ही जालसाज सक्रिय हो गए थे। एम्स में कैंटीन और दवा की दुकान दिलाने के नाम पर जालसाजों ने 34 लाख रुपए की ठगी कर ली। इस मामले में एसएसपी के निर्देश पर कैंट थाना में केस दर्ज कराया गया है। आरोपित राजीव तिवारी और उनकी पत्नी शिप्रा तिवारी ने खुद को गोरखनाथ मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी, एम्स की निदेशक का रिश्तेदार बताया और झांसे में ले लेकर नवंबर 2019 में रुपए ले लिए। रुपए वापस मांगने पर पति और पत्नी ने जानमाल की धमकी दी।

नौकरी दिलाने के नाम पर 50 लोगों से ठगे 19.32 लाख

एम्स में नौकरी दिलाने के नाम पर भी 50 लोगों से ठगी हुई है। खोराबार की रहने वाली सरिता ने नंदानगर, दरगहिया की मीरा के खिलाफ केस दर्ज कराया है। नदुआ छावनी निवासी सरिता ने पुलिस को बताया कि बेलीपार के महावीर छपरा निवासी रेखा और खोराबार के फुर्सतपुर की रमावती ने उसे बताया था कि नंदानगर दरगहिया निवासी मीरा पत्नी सुनील कुमार एम्स में सफाई कर्मी, वार्ड ब्वॉय, कंप्यूटर कैशियर की नौकरी दिलवा रही है। दो जुलाई को रेखा और रमावती सहित 50 लोगों ने एम्स के बाहर आकर उसे रुपए मांगे। नौकरी दिलाने की बात करने वाली महिला ने पीडि़तों से कहा था कि वहां के अधिकारियों पंकज सिंह सोलंकी और विनोद यादव से उसके अच्छे संबंध हैं। वह उन लोगों के जरिए सबको संविदा पर नौकरी दिलवा देगी।

कैंटीन दिलाने के नाम पर पहले भी हुई ठगी

एम्स में कैंटीन दिलाने के नाम पर मर्चेंट नेवी में तैनात कुशीनगर के युवक से नौ लाख की ठगी हुई थी। वर्ष 2020 में इस मामले में गोरखनाथ में मुकदमा दर्ज कराया गया था। कुशीनगर के सेवरही निवासी शाहरूख ने मार्च 2019 में गोरखनाथ इलाके में रहने वाले पवन कुमार त्रिपाठी और उनकी पत्नी समीक्षा त्रिपाठी पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मुकदमा लिखवाया। उसने बताया कि पवन और उसकी पत्नी समीक्षा ने फूड प्लाजा दिलाने के लिए 16 रुपए मांगे। भरोसा दिलाने के लिए अपने साथ एम्स में ले गए। एक एग्रीमेंट बनाकर नौ लाख रुपए ऐंठ लिए। बाद में जब कैंटीन नहीं मिली तब फर्जीवाड़ा की जानकारी हुई।

सामने नहीं आ रहे मामले, चल रहा खेल

हाल के दिनों में जो भी केस सामने आए हैं। उनकी पड़ताल में सामने आया है कि एम्स के निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से जालसाजों ने अपना जाल फैला दिया। धीरे-धीरे वह लोगों को झांसे में लेकर ठगी करते रहे। अभी तमाम लोग ठगी के शिकार हुए हैं। लेकिन वह खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। तारामंडल में एक प्राइवेट एजेंसी ने बाकायदा ऑफिस खोलकर ठगी है। उसके खिलाफ कोई कार्रवाई हो पाती। इसके पहले वह एजेंसी शटर डाउन करके फरार हो गई।

एम्स के नाम पर ना दें किसी को रुपए

मामले सामने आने के बाद पुलिस अलर्ट हो गई है। एसएसपी के निर्देश ई्रगल टीम बनाकर इस तरह के प्रकरणों की छानबीन की जा रही है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि एम्स में नौकरी दिलाने, किसी तरह का टेंडर, ठेका, मेडिकल स्टोर्स, कैंटीन अन्य चीजें दिलाने की बात करने वाले व्यक्तियों से सजग रहें। किसी के झांसे में आने के बजाय पहले इनकी खुद पड़ताल कर लें। प्रापर प्रोसेस पूरी करने के बाद रुपए का इनवेस्टमेंट करें।

एम्स में हुई ठगी के मामले में केस दर्ज कराकर जांच की जा रही है। यदि कोई व्यक्ति किसी से नौकरी या अन्य किसी बहाने रुपए मांगता है तो उसे कतई ना दें। ऐसे लोगों के बारे में लिखित सूचना दें ताकि कार्रवाई की जा सके। ठगी के मामलों के निस्तारण के लिए टीम ईगल गठित की गई है।

डॉ। विपिन ताडा, एसएसपी