- पीडब्ल्यूडी के सामने ठेकेदारी के विवाद में भिड़े थे गैंग

- 1980 के दशक में गोलघर सहित अन्य जगहों पर ऐसे गजरते थे असलहे

- पुलिस की सख्ती से बदल गया था माहौल, नए लड़कों ने फिर फैलाई दहशत

GORAKHPUR: मनबढ़ों के दो गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में दो किलोमीटर तक जमकर उत्पात हुआ। फिल्मी अंदाज में हुई भिड़ंत में सड़क पर चल रहे राहगीर बाल-बाल बच गए। मानों दोनों गुटों के बदमाशों ने एक दूसरे से निपटने की ठान रखी हो। विशुनपुरवा मोड़ से लेकर मोहद्दीपुर तक के बीच बाइक और कार सवार मनबढ़ असलहा लेकर दौड़ते रहे। किसी गुट ने पुलिस की मदद लेने की कोशिश नहीं की। पिकेट पर मौजूद पुलिस कर्मचारियों ने जानकारी लेने की जहमत नहीं उठाई। गोरखपुर की सड़कों पर हुई यह गुंडागर्दी शहर के लिए नई नहीं है। सोमवार को हुई घटना से लोगों को 1980 के दशक के गैंगवार की याद आ गई। पूर्व में भी ठेकेदारी और वर्चस्व को लेकर हुए गैंगवार में कई लोगों की जान जा चुकी है। 1980 के दशक में ऐसी गैंगवार से लोगों को आए दिन परेशान होना पड़ता था। सरेआम गोलघर सहित अन्य जगहों पर गोलियां चलती थीं। वर्चस्व को लेकर आए दिन बाहुबलियों के गैंग से जुड़े लोग एक दूसरे पर गोली दागते रहते थे। तब वीर बहादुर सिंह के यूपी का सीएम बनने के बाद शहर की फिजाओं से बारूद के गंध की महक कम हुई।

पीडब्ल्यूडी के सामने जबरजस्त गैंगवार

बीते दशकों में शहर के भीतर ज्यादातर गैंगवार का सिर्फ एक ही मकसद रहा है, ठेकेदारी। रेलवे, पीडब्ल्यूडी और अन्य विभागों का ठेका हथियाने और टेंडर मैनेज की कोशिश में गोलियां चलना शहर के मिजाज में शुमार हो गया था। 2007 में ठेकेदारी के विवाद को लेकर पीडब्ल्यूडी दफ्तर के सामने विनोद उपाध्याय और लाल बहादुर पक्ष के बीच आमने-सामने से गोलियां चली थीं। इस दौरान रिपुंजय राय और सत्येंद्र मारे गए। गैंगवार में हुए मर्डर में माफिया अजीत शाही, संजय यादव, इंद्रकेश पांडेय, संजीव सिंह समेत छह लोग जेल गए थे। उस समय लालबहादुर यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। यूनिवíसटी गेट के सामने लाल बहादुर के मर्डर में पुलिस ने विनोद उपाध्याय को मुल्जिम बनाया। इस मामले में विनोद को पुलिस ने जेल भेजा था।

परिजनों ने बनाया मनबढ़

आवास विकास कालोनी से लेकर सूबा बाजार के बीच कुछ पुलिस कर्मचारियों, नेताओं, ठेकेदारों और अन्य बिजनेस से जुड़े लोगों के बेटों का नाम मनबढ़ई में सामने आ चुका है। घूमने-फिरने, मौज-मस्ती करने के बहाने घर से निकले मनबढ़ युवक धीरे-धीरे जेल जा चुके बदमाशों के साथ जुड़ जा रहे हैं। उनके बीच आए दिन होने वाली गुटबाजी की मारपीट को परिजन भी नजरअंदाज करते रहते हैं। पुलिस-थाने तक मामला पहुंचने पर मैनेज करके लोग छुड़ा ले जाते हैं। सोमवार की घटना में पकड़े गए युवकों के परिजन दिनभर कैंट सहित अन्य थानों के चक्कर लगाते रहे। रात में अपने बेटे को बेकसूर बताकर एक महिला इंजीनियरिंग कॉलेज चौकी प्रभारी से भिड़ भी गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सरेराह गोली चलाने के मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा।