गोरखपुर (ब्यूरो)। यही नहीं इधर दो दशकों की बात करें तो गोरखपुर के खिलाड़ी प्रदेश स्तर तक भी अपनी पहचान बना पाने में नाकाम रहे हैं। आइए गोरखपुर के पूर्व क्रिकेटर्स से जानते हैं कि यहां के खिलाड़ी आखिर क्यों आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

अनट्रेंड कोच दे रहे ट्रेनिंग

पूर्व क्रिकेटर्स का कहना है कि गोरखपुर में गली-गली में क्रिकेट ट्रेनिंग कैंप खुल रहे हैं। दस बीस मैच खेले लड़के भी कैंप खोलकर बच्चों को क्रिकेट सिखाने लग रहे हैं। अनट्रेंड कोच भला कैसे अच्छे टिप्स दे पाएगा।

दो चक्कर में हांफ रहे प्लेयर

पूर्व क्रिकेटर्स ने बताया कि गार्जियन दो घंटे के लिए बच्चों को कैंप में ले जाते हैं। वहां अनट्रेंड कोच गार्जियन के डर के कारण बच्चों का रनिंग से लगाए अन्य व्यायाम अधिक नहीं करा पाते हैं। ये बच्चे ग्राउंड के एक से दो चक्कर लगाकर ही हांफने लगते हैं।

ग्राउंड पर खड़े होने की नहीं है क्षमता

उन्होंने बताया कि आज के क्रिकेटर हार्ड वर्क से भाग रहे हैं। जबकि 20-20, 50 ओवर या टेस्ट मैच खेलने के लिए बहुत अधिक स्टेमिना चाहिए होती है। इसके लिए हार्ड वर्क जरूरी है। यहां तो कुछ ही घंटो में प्लेयर आईपीएल खेलने का सपना लेकर चल रहे हैं। जो कभी संभव नहीं है।

पहले पढ़ाई फिर टाइम पास क्रिकेट

पूर्व क्रिकेटर्स का मानना है कि यहां अब क्रिकेट टाइम पास के लिए ही खेला जा रहा है। स्टूडेंट पहले पढ़ाई फिर उससे जो टाइम बचता है, उस समय में क्रिकेट खेलते हैं। जबकि जबतक क्रिकेट को जुनून की तरह और इसमे एक्स्ट्रा टाइम प्लेयर नहीं देंगे तबतक कभी वह आगे नहीं निकल सकते हैं।

खत्म हो गया सीके नायडू

गोरखपुर के परवेज हसन ने 80 के दशक में रणजी खेला था। सबसे पहले सीके नायडू खेलकर वह फेमस हुए। इसके बाद वह रणजी और इंडिया की अंडर 19 टीम से खेले। वर्तमान समय में स्कूली प्रतियोगिता सीके नायडू बंद कर दी गई। इसी तरह गोरखपुर के रंजीत यादव ने पहले लखनऊ के स्पोर्ट्स हॉस्टल में जगह बनाई, इसके बाद 1994-95 में रणजी खेला।

नरेन्द्र हिरवानी को जाना पड़ा बाहर

गोरखपुर के नरेन्द्र हिरवानी जिन्होंने अपनी फिरकी गेंदबाजी की बदौलत इंडिया टीम में जगह बनाई। नरेंद्र हिरवानी को इंडिया टीम में आने के लिए पहले मध्य प्रदेश जाना पड़ा। मेहनत कर वहां की क्रिकेट टीम में उन्होंने जगह बनाई फिर वह इंडिया टीम में शामिल हो पाए।

इंडिया और प्रदेश स्तर तक खेलने वाले खिलाड़ी

नरेन्द्र हिरवानी, परवेज हसन, रंजीत यादव, इकलाख अहमद, पंकज अग्रवाल

अनट्रेंड कोच गली गली क्रिकेट सीखा रहे हैं। क्रिकेट सीखाना उनका मकसद नहीं बल्कि बिजनेस चमकाना उनका उद्देश्य है। ऐसे में अच्छे खिलाड़ी कहां निकल पाएंगे।

परवेज हसन, पूर्व रणजी खिलाड़ी

यहां के खिलाड़ी हार्ड वर्क से भागते हैं। ट्रॉयल में किसी भी प्लेयर का बेसिक देखा जाता है। यहां खिलाडिय़ों को स्टैंर्ड क्रिकेट खेलने का भी मौका नहीं मिलता है।

रंजीत यादव, पूर्व रणजी खिलाड़ी

कोई भी 15 मिनट के तैयारी से क्रिकेटर बन सकता है। यहां के खिलाडिय़ों मेहनत से घबराते हैं। क्रिकेटर बनने के लिए खिलाड़ी के अंदर एक जूनुन होना चाहिए।

शफीक अहमद सिद्दकी उर्फ शंभू, अध्यक्ष, मंडल क्रिकेट एसोसिएशन