कानपुर (ब्यूरो)। यशवंतपुर-गोरखपुर एक्सप्रेस के एची कोचों में एग करी और अंडा बिरयानी खाने से 40 पैसेंजर्स की हालत बिगड़ गई। सेंट्रल स्टेशन पर सभी का ट्रीटमेंट किया गया। जांच के दौरान पता चला कि सभी ने नागपुर में अवैध वेंडर्स से खाना खरीदा था जिसके बाद सभी बीमार हो गए। चौंकाने वाली बात यह है कि अगर कोई ट्रेन में बिना टिकट सफर करता है तो टीटी उसको झट से पकड़ लेता है, लेकिन इन ट्रेनों में खुलेआम घूम-घूमकर फूड आइटम बेचने वाले इन अवैध वेंडर्स पर रेलवे प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता है। इससे साफ है कि रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत से ही अवैध वेंडर्स का धंधा फल-फूल रहा है। ऐसे में ट्रेनों में सफर के दौरान पैसेंजर्स को कोई भी फूड आइटम, यहां तक की पानी भी खरीदते समय बहुत ही अलर्ट रहने की जरूरत है।

लंबी दूरी की ट्रेनों में गैंग एक्टिव
मुम्बई, गोरखपुर, भोपाल समेत लंबी दूरी की दर्जनों ट्रेनों में अवैध वेंडर्स का गैंग एक्टिव है। जोकि बकायदा ट्रेनों के पेंट्रीकार के वेंडर्स की तरह ही ड्रेस पहने रहते है। जिससे पैसेंजर्स को किसी प्रकार का शक नहीं हो। इन वेंडर्स से खरीदा हुआ खाना आपके लिए जानलेवा हो सकता है। जिन ट्रेनों में पेंट्रीकार सर्विस नहीं है, उनमें फूड आइटम खरीदते समय ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है।

आईकार्ड और मेडिकल सर्टिफिकेट होता प्रूफ
आईआरसीटीसी आफिसर्स के मुताबिक, पेंट्रीकार के वेंडर्स, स्टेशन के स्टॉल वेंडर्स हो या फिर ट्रेन साइड वेंडिंग के वेंडर्स, सभी को आई कार्ड व मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। मेडिकल सर्टिफिकेट के दौरान वेंडर्स का पुलिस वेरीफिकेशन भी होता है। अगर पैसेंजर्स को जर्नी के दौरान किसी वेंडर के फर्जी होने का शक है या फिर दिया गया खाना खराब हो तो वह वेंडर्स का आई कार्ड व मेडिकल सर्टिफिकेट मांग सकता है। वहीं उसकी फोटो खींच कर डिपार्टमेंट की वेबसाइट या फिर आरपीएफ से शिकायत कर सकता है।

जिम्मेदार टीम बेखबर
बिना पेंट्रीकार व स्पेशल ट्रेनों में अवैध तरीके से खानपान सामग्री वेंडर्स बिक्री करते हंै। यह खेल समर वेकेशन में जोरों से चलता है। इस पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी आरपीएफ की सीआईबी व रनिंग खुफिया टीम की होती है। इसके बावजूद जिम्मेदार इसकी अनदेखी कर रहे हैं। क्योंकि अगर रेलवे अधिकारी न चाहें तो ट्रेन में लंच, डिनर तो दूर एक सुई भी कोई बेच नहीं सकता है।

ई-कैटरिंग का यूज अधिक सेफ
बिना पेंट्रीकार व स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले पैसेंजर्स आईआरसीटीसी की ई-कैटरिंग का सर्विस का यूज कर सकते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से ऑथराइज होती है। यहां से खाना ऑर्डर करने पर खाने की क्वालिटी को लेकर किसी प्रकार का ईशू पैसेंजर्स को फेस नहीं करना पड़ेगा। वहीं कोई समस्या होने पर उसको दंडित भी किया जा सकता है। वहीं नार्मल ट्रेनों में जर्नी करने वाले पैसेंजर्स मनचाहा खाना खाने के लिए भी ई-कैटरिंग का यूज कर सकते हैं। जो बिल्कुल सेफ है।

पहले भी पकड़े गए अवैध वेंडर
7 मार्च को शिकायत के बाद आरपीएफ ने ट्रेन नंबर 22122 लखनऊ-लोकमान्य तिलक टर्मिनस में आरपीएफ ने टीटीई की शिकायत पर छापेमार कर अवैध पेंट्रीकार मैनेजर के साथ वेंडर्स को भी पकड़ा था। बोगस वेंडर्स वेल ड्रेस के साथ फस्र्ट एसी से लेकर थर्ड एसी कोच में चाय, नाश्ता से लेकर लंच की बिक्री कर रहे थे। आरपीएफ ने सभी के खिलाफ रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई कर रेलवे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था।

ऐसे पहुंचाते हैं खाना
गोविंदपुरी, झकरकटी, गंगा ब्रिज बायां किनारा, चंदारी रेलवे स्टेशनों के आउटर पर पहुंचने के बाद ट्रेनों के धीमे होते ही अनाधिकृत वेंडर कोच में पहुंच जाते हैं। वहां ये लोग खानपान सामग्री का आर्डर लेते हैं। इसके बाद दूसरी टीमों से फोन पर बातचीत कर उन्हें सामग्री नोट करा देते हैं। ट्रेन के सेंट्रल स्टेशन पहुंचने तक वह खाना पैक होकर संबंधित कोच में पहुंचा दिया जाता है। इनके पास कोई मेडिकल प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण खान पान सामग्री खराब होने की आशंका रहती है।