गोरखपुर (ब्यूरो)। शोध छात्र अश्वनी ने अपनी शोध प्रस्तुति में 'कबीर के रामÓ विषय पर बताया कि आज के युग में राम हर मानव के लिए सकारात्मकता के संचार का माध्यम हैं।

राम कर्म हो मानते हैैं धर्म

कबीर राम को परमात्मा मानते हैं, लेकिन उनके राम कर्म को ही धर्म मानते हैं। इसके लिए अंग्रेजी में अनुवाद किए हुए कबीर के काव्यों को इन्होंने शोध के लिए चुना है। शोधार्थी योगेंद्र ने जहां अपने शोध सारांश में बनारस को एक व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया हैं। वही अन्य शोधार्थी रेणुका ने अपने शोध सारांश में बनारस शहर के आर्थिक, भौगोलिक, एवं आधुनिक पहचान पर प्रकाश डाला कि लोग कैसे बनारस के जरिए पहचाने जाते है और बनारस कैसे लोगों से पहचाना जाता है। शोधार्थी दिव्या ने अपने शोध सारांश में किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की आत्मकथा को आधार बनाकर, थर्ड जेंडर की समाज में स्थिति एवं उनके उत्पीडऩ पर प्रकाश डाला। वहीं श्वेता में आज के बेस्ट सेलिंग लेखक अमीश त्रिपाठी के पौराणिक उपन्यासों में पात्रों के वैज्ञानिक एवं तकनीकी चित्रण पर विचार प्रस्तुत किया।

तस्वीरों में अलग-अलग उपन्यास

शोधार्थी सुप्रिया ने मुंबई महानगर की मायानगरी व गंदी बस्तियों दो तरह की तस्वीरों को अलग अलग उपन्यासों के माध्यम से दिखाया है। प्राची सिंह ने अमीश त्रिपाठी के उपन्यासों का पर्यावरणीय विश्लेषण किया है। वहीं अभिनेश्वर ने मानव तस्करी को अपने शोध सारांश का विषय वस्तु बनाया है। दीप्ति राय ने अपना शोध सारांश तमस, पिंजर जैसे उपन्यासों पर प्रस्तुत किया जिन पर फिल्में बन चुकी हैं। वहीं शैलेश ने चेतन भगत के उपन्यासों में युवा वर्ग के चित्रण पर अपना शोध विषय प्रस्तुत किया। शुभम ने जलवायु परिवर्तन, राकेश शर्मा ने यात्रा साहित्य में भारत के चित्रण पर एवं अमियनाथ ने पुराणों के पुनर्लेखन में दैत्य कुल के सकारात्मक पात्रों पर अपना शोध सारांश प्रस्तुत किया। प्रो। शुक्ल ने बताया कि अंग्रेजी विभाग शोध के क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करा रहा है। यह शोध के क्षेत्र में निश्चित तौर पर विशेष योगदान करेगा