गोरखपुर (ब्यूरो)। बीआरडी मेडिकल कॉलेज बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ। भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि ओपीडी में भी ऐसी शिकायतों के साथ ही बच्चे पैरेंट्स के साथ पहुंच रहे हैं।

नमी नहीं होगी कम

डॉक्टर ने बताया कि पूरी रात ब्लोअर या हीटर चलाने से ऐसी समस्या आ रही है। अच्छी क्वालिटी का ब्लोअर इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए बताया कि कि इससे कमरे में नमी कम नहीं होगी। बच्चे का बीच-बीच में हथेली तलवा जांचते रहें। अगर हथेली ठंडी है तो इसका मतलब बच्चे को ठंड लग रही है। बच्चे का पेट ठंड हो गया तो खतरा बढ़ सकता है। ब्लोअर लगातार चलने से कमरे से ऑक्सीजन कम होने लगती है, जो बच्चे की मौत की वजह बन सकती है।

तापमान में आएगा बदलाव

वहीं, ब्लोअर व हीटर जलने पर बंद कमरे का तापमान बढ़ेगा ओर कमरे का दरवाजा बार-बार खोलने पर तापमान मे बदलाव आएगा। जो बच्चे के लिए बर्दाश्त करने वाला नहीं होता है। इससे बच्चे में ड्राईनेस, जुकाम, चिड़चिड़ापन आदि होगी। बच्चों को तीन से चार कपड़े पहनाएं, कमरे में वेंटिलेशन रखें, ध्यान रखें कि बच्चे की नाक खुली रहे, दूध पिलाकर बच्चे को डकार दिलाएं। कोयला और लकड़ी बिल्कुल न जलाएं।

ठंड बढऩे के साथ ही बच्चों का अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। कमरे का तापमान हीटर और ब्लोअर की वजह से ज्यादा गरम हो जाता है। ड्राईनेस अधिक हो जाती है, इसलिए पैरेंट्स को ध्यान देने की जरूरत है। ज्यादा परेशान होने पर तत्काल डॉक्टर्स से संपर्क करें।

डॉ। भूपेंद्र शर्मा, एचओडी, बाल रोग विभाग