गोरखपुर (ब्यूरो)।आग से झुलसने वालों में इन दिनों बुजुर्ग महिला और पुरुष शामिल हैं। आंकड़ों की मानें तो वर्तमान में अस्पताल के 15 बेड वाले बर्न वार्ड में मरीज की संख्या बढ़ गई है। इससे नए पेशेंट को बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं। इस सीजन में अब तक जिला अस्पताल में 100 से अधिक महिलाएं और पुरुष झुलसकर आ चुके है। बर्न वार्ड हाउसफुल होने की वजह से डॉक्टर पीडि़तों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर रहे हैं। कपड़े में लगी आग और झुलस गए। अस्पताल में एडमिट पेशेंट के अटेंडेंट ने बताया, अलाव और अंगीठी जलाकर हाथ सेक रहे थे। इस दौरान अचानक कपड़े में आग लगने से झुलस कर अस्पताल पहुंच गए।

अलाव से उठती चिंगारी, अंगीठी से निकलती जहरीली गैस

विशेषज्ञ के अनुसार है कि सर्दी से बचने के लिए अगर आप अलाव के पास बैठते हैं तो दूरी बनाकर रखें, क्योंकि इससे उठने वाली चिंगारी आप के लिए जालवेला साबित हो सकी है। वहीं, अंगीठी जलाते हैं, इसके लिए कोयला या लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो अलर्ट रहें। अंगीठी के अलाव से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है, जो जहरीली होती है, इससे जान जा सकती है। खासकर जब कोई बंद कमरे में इसका इस्तेमाल करता है तो कमरे के अंदर ऑक्सीजन खत्म हो जाती है और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। सोया हुआ व्यक्ति जब सांस लेता है तो ऑक्सीजन की जगह कार्बन मोनोऑक्साइड ही शरीर में जाती है, जिससे दिमाग पर असर होता है और इंसान बेहोश हो जाता है। यही नहीं सांस के जरिए यह जहरीली गैस लंग्स और शरीर के बाकी हिस्सों में पहुंच जाती है। ब्लड में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है और इंसान की मौत हो जाती है।

हीटर और ब्लोअर के इस्तेमाल के दौरान रखें विशेष ध्यान

विशेषज्ञों का कहना है कि जहां पर हीटर जलाएं। वहां आसपास जलने वाली चीजें जैसे कागज, कपड़े, कंबल, रजाई आदि न रखें। बेड से भी इसे दूर रखें, जब भी हीटर जलाएं तो थोड़ी-थोड़ी देर पर कमरा खोल दें, क्योंकि इससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है, जो खतरनाक हो सकती है।

स्किन को नुकसान पहुंचाता हीटर

जिला अस्पताल के स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ। नवीन वर्मा ने कहा, हीटर स्किन को भी नुकसान पहुंचाता है। हीटर के सामने ज्यादा देर तक बैठने से स्किन ड्राई हो जाती है और खुजली भी हो सकती है। हीटर से आंखें भी ड्राई हो जाती हैं और इनमें जलन की प्रॉब्लम हो सकती है। इतना ही नहीं जिन लोगों को हार्ट, सांस या खांसी जैसी प्रॉब्लम है। उन्हें एयर ब्लोअर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बेहतर होगा कि ब्लोअर चलाते समय कमरे में गुनगुना पानी रख लें, ताकि ब्लोअर की वजह से हवा ड्राई न हो।

ये बरतें सावधानी

अलाव जलाकर उसके पास न सोएं।

पास में पानी से भरी बाल्टी जरूर रखें।

आग जलाएं तो जमीन पर सोने से बचें।

हीटर का प्रयोग थोड़े समय के लिए ही करें।

घर में अगर बच्चा हो, तो आग न जलाएं।

हीटर या अंगीठी के सामने प्लास्टिक, कपड़े न रखें।

घर में वेंटिलेशन हो तभी अलाव, हीटर या ब्लोअर चलाएं।

केस 1

बांसगांव निवासी सुमित्रा देवी (70) बीते सोमवार शाम घर में अलाव ताप रही थी। इस दौरान उनके कपड़े को आग कब पकड़ ली, उन्हें इसका अंदाजा तक नहीं था। आग की चपेट में आने से उनके दोनों हाथ और पैर झुलस गया। वे जिला अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती हैं। डॉक्टर के अनुसार वह 40 परसेंट जली है।

केस 2

घर में जिंदा जल गई दिव्यांग महिला

30 दिसंबर की रात चौरीचौरा एरिया के रामपुर रकबा के छावनी टोला में अलाव से उठी चिंगारी से एक झोपड़ी में आग लग गई थी, जहां आग ताप रही एक 65 साल बुजुर्ग महिला सोमारी देवी की जिंदा जलकर मौत हो गई। इतना ही नहीं, एक भैंस की भी जलकर मौत हो गई। जबकि, दूसरी भैंस बुरी तरह झुलस गई थी। सोमारी देवी दोनों आंख से दिव्यांग थीं।

केस 3

संतकबीर नगर निवासी मीना राय ने बताया, वह घर में आग ताप रही थीं। उनका ध्यान ही नहीं पड़ा कि कब उनकी शॅाल में पीछे से आग पकड ली। मां को जलने से बचाने के चक्कर में बेटा भी जल गया। दोनों का जिला इलाज अस्पताल में चल रहा है।

जिले में आग से झुलसकर अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या इधर बढ़ गई है। इसकी वजह से 15 बेड का बर्न वार्ड भी हाउसफुल हो गया है। बेड नहीं होने की वजह से मजबूरी में झुलसे हुए मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ रहा है।

डॉ। अम्बुज श्रीवास्तव, सीएमएस जिला अस्पताल