गोरखपुर (ब्यूरो)। कई बार वजन कराने को कहा, लेकिन हर बार टाल जाता है। एक तो कहने पर वह आंख भी दिखाने लगा। जैसे लगा कि दोबारा सिलेंडर लेकर नहीं आएगा। इसके बाद उससे कहना ही छोड़ दिया। बताया कि सिलेंडर में 2 से 3 किलो गैस निकाली जा रही है। अगर ऐसा नहीं होता तो पूरे महीने पर चलने वाला सिलेंडर अब सिर्फ 20 दिन नहीं चलता। प्रशासन को भी कभी इसका संज्ञान नहीं लेता है।

केस दो

बुद्ध विहार पार्ट सी की सोनी ने बताया कि उनका सिलेंडर 20-22 दिन ही चलता है। पहले एक महीने तक काम चल जाता था। हॉकर को टोकने पर वह कहता है कि जो एजेंसी से मिलता है, सीधे लेकर यहां आते हैं। कभी कांटे लेकर भी नहीं आता है जिससे तौल कराई जा सके। कई बार कहा लेकिन वह टालमटोल कर निकल जाता है। आशंका है कि दो से तीन किलो गैस सिलेंडर में कम होता है। प्रशासन को चाहिए कि इसकी जांच करे और इस तरह की कालाबाजारी करने वालों पर सख्त एक्शन ले। कालाबाजारी करने वाले पब्लिक के साथ सरकार की छवि भी खराब कर रहे हैं।

केस तीन

तारामंडल की प्रिया ने बताया कि सिलेंडर से गैस निकालने का एक तरह से स्कैम चल रहा है। इसमें शामिल लोगों को चिन्हित करके कार्रवाई करनी चाहिए। पहले एक महीने गैस बड़े आराम से चल जाता था लेकिन अब महज 20 दिन में पूरा गैस खत्म हो जा रहा है। हॉकर कांटा लेकर भी नहीं आता है। कई बार पूछा लेकिन हर बार वह बहाने बनाकर निकल जाता है। दबाव देने पर सिलेंडर लाने में आनाकानी करता है। इससे अब कहना छोड़ दिया। इस तरह की कालाबाजारी करने वालों पर एक्शन होना चाहिए।

केस चार

रानीडीहा के शैलेंद्र ने बताया कि सिलेंडर से गैस निकालने का पूरा खेल चल रहा है। वरना पहले एक महीने चलने वाला गैस अचानक कैसे सिर्फ 20 दिनों में खत्म होने लगा। पहले तो समझा लीकेज होगा लेकिन जब पूरी तरह से परीक्षण किया तो वह गलत निकला। हॉकर से गैस तौलवाने की बात कहने लगा तो वह कांटा न होने का कहकर टरकाता रहा। एक बार उससे नोकझोंक भी हो गया लेकिन सिलेंडर की तौल न हो सकी। बताया कि सिलेंडर से गैस निकाली जा रही है। प्रशासन को इसकी जांच करनी चाहिए।

गोरखपुर। ये केस तो महज बानगी भर हैं, ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिनकी पीड़ा भी कुछ इन्हीं जैसी है। उनके घर आना वाला सिलेंडर भी 20 से 22 दिन में खत्म हो जाता है। हॉकर से शिकायत करने का मतलब भी 'आ बैल मुझे मार जैसी हो जा रही है। परेशान कंज्यूमर्स को समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे वह निपटें। गोरखपुर के लगभग हर एरिया के लोगों की एक ही कहना है कि सिलेंडर से गैस का गोलमाल है। अगर गोलमाल नहीं है तो इस तरह सभी का एक जैसा दर्द मुश्किल होता है। सिलेंडर में जितनी भी गैस कंपनी की ओर से प्रोवाइड कराई जाती है, उसमें परिवार में जितने लोग है, एक महीना आराम से गैस चल जाएगा। सिलेंडर में गैस निकालने का कहीं न कहीं एक पूरा खेल चल रहा है। प्रशासन को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

14.2 किलो होती है गैस

आमतौर पर डोमेस्टिक सिलेंडर में 14.2 किलोग्राम गैस भरी जाती है। खाली सिलेंडर का वजन लगभग 15 किलो होता है। इसकी भरे हुए सिलेंडर का वजन लगभग 29.2 किलो का होता है। सिलेंडर के ढक्कन पर पर कंपनी का सील भी रहता है। सील तो सभी देखते हैं, लेकिन कम लोग ही वजन के बारे में लोग ही सोचते हैं। हालांकि बाद में इसकी शिकायत करते हैं। हॉकर ने हेरफेर की है।

कर सकते हैं शिकायत

वजन कम होने पर इसकी शिकायत जिला आपूर्ति कार्यालय या फिर कंपनी के अफसरों से की जा सकती है। सभी कंपनियों के टोल फ्री नंबर पर भी जानकारी दे सकते हैं। हालांकि सिलेंडर में गैस कम होने पर तुरंत ही हॉकर को तौल करने के लिए कहें। अगर वह आनाकानी करे तो इसकी शिकायत पर तत्काल कपंनी और अफसरों को दें।

क्या है नियम?

घर लाने वाला हॉकर को अपने साथ तौल कांटा लेकर नियम है। उसके पास इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस होता है। सिलेंडर के उपरी हिस्से में फंसा उठाने से उसकी तौल हो जाती है। हालांकि यह भी देखना चाहिए कि सील पूरी तरह से लगी हुई है नहीं, कहीं उसमें छेड़छाड़ तो नहीं की गई है। अगर ऐसा है तो सिलेंडर लेने से मना कर दें। अगर हॉकर तौल से मना कर रहा है तो सिलेंडर न लें और कंपनी में इसकी शिकायत दर्ज कराएं।

सिलेंडर से होती है री-फिलिंग

सिटी के कुछ इलाकों में अवैध रूप से री-फिलिंग का धंधा भी हो रहा है। एक सिलेंडर से गैस दूसरे सिलेंडर में भरी जाती है। कुछ-कुछ गैस निकालकर नया सिलेंडर तैयार कर उसकी कालाबाजारी कर बेच दिया जाता है। वर्तमान में एक सिलेंडर एक हजार रुपये में आपको बिना बुक कराए आसानी से मिल जाएगा। ऐसे में हॉकर्स पर नजर रखनी जरूरी हैं। आंख मूंदकर उसकी बात सच मान लेना धोखा है।

गैस एजेंसी के गोदाम से निकलने वाले घरेलू गैस सिलेंडर की माप तौल कराई जाएगी। जिसमें कम गैस पाया जाएगा उस गैस एजेंसी के मालिक और हॉकर के खिलाफ वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

मंगलेश दुबे, सिटी मजिस्ट्रेट