गोरखपुर (ब्यूरो)। सिटी में चलने वाली इन कोचिंगों में न तो फीस को लेकर कोई नियम हैं और न ही क्वालिफाइड टीचर हैं। वहीं, ज्यादातर कोचिंगों में मेल-फीमेल के अलग-अलग टॉयलेट भी नहीं हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने जब इन अवैध कोचिंगों की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।

एक बार फीस भर दी तो कहीं और नहीं जा सकते

सिटी में संचालित इन अवैध कोचिंगों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट ने अगर एक बार फीस भर दी उन्हें किसी सूरत में फीस वापस नहीं मिलती। भले ही उन्हें पढ़ाई समझ में आए या न आए। वहीं, बहुत सारी कोचिंगों में कॉपी-किताब से लेकर बैग तक की रकम फीस में ही वसूल ली जाती है। अगर कोई कैंडिडेट किताब और बैग लेने से मना भी कर देता है तो ये कोचिंग संचालक फीस कम करने के लिए तैयार नहीं होते। वहीं, किताबों को लेकर भी कोचिंग संचालक स्टूडेंट्स पर खूब दबाव बनाते हैं। यानी छात्रों को कोचिंग से मिली किताबें ही पढऩी होती हैं और टीचर भी प्रैक्टिस और क्लासेज के दौरान संस्थान की किताबों से ही पढ़ाते हैं।

समझ आए न आए पढ़ते रहिए

अवैध कोचिंगों में पढऩे वाले छात्रों के सामने ये मजबूरी बन जाती है कि उन्हें पढ़ाई समझ आए न आए फीस भरने के बाद पढऩा ही पड़ता है। वहीं, इन कोचिंगों में पढ़ाने वाले टीचरों के क्वालिफिकेशन पर भी विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। अगर छात्र पूछतें हैं तो यहां तैनात काउंसलर उन्हें मन मुताबिक एक्सपीरियंस बताकर एडमिशन के लिए तैयार करते हैं।

विभिन्न संस्थानों में फीस अलग

सिटी के साथ ही ग्रामीण अंचल में संचालित हो रहे कोचिंगों में एक ही कोर्स के लिए हर जगह अलग फीस वसूली जाती है। मान लीजिए अगर आप किसी कोचिंग में एसएससी ग्रेजुएट लेवल के कोर्स में एडमिशन लते हैं तो आप जितने कोचिंग में जाएंगे हर जाएंगे आपको इस कोर्स की अलग फीस बताई जाएगी। वहीं पेमेंट मोड को लेकर भी काफी विषमताएं हैं, अगर आप एक बार में ही पूरी फीस जमा करते हैं तो आपको एक हजार से पंद्रह सौ रुपये का डिस्काउंट दिया जाता है। वहीं, अगर आप दो इंस्टॉलमेंट में फीस जमा करते हैं तो आपको 60 और 40 परसेंट की दो इंस्टॉलमेंट में फीस जमा करने का मौका मिलता है।

एडमिशन लेना है या इंक्वायरी

सिटी में चल रही अवैध कोचिंगों में घुसते ही यहां तैनात काउंसलर सबसे पहले स्टूडेंट्स से पूछते हैं कि आपको एडमिशन लेना है या इंक्वायरी करनी है। जवाब मिलते ही काउंसलर उसी के मुताबिक प्लान बताने लगते हैं। अगर कोई व्यक्ति पहली विजिट में ही एडमिशन लेने के लिए तैयार हो जाता है तो ये काउंसलर किसी न किसी तरीके से अपने प्लान में उलझाकर एडमिशन करा ही लेते हैं।

फायर सेफ्टी का नहीं है कोई इंतजाम

सिटी में संचालित हो रही अवैध कोचिंग इतना कंजस्टेड हैं कि यहां अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो निकलने में ही जान चली जाएगी। वहीं, आग लगने पर यहां बचाव के कोई भी इंतजाम नहीं हैं। किसी भी कोचिंग में फायर सेफ्टी के लिए यंत्र नहीं लगे हैं। वहीं, इसको लेकर उच्च शिक्षा विभाग से लेकर जीडीए तक कई बार इन संचालकों को नोटिस दे चुका है, लेकिन बावजूद इसके इनके कान पर जूं नहीं रेंगती।

बाहर सिक्योरिटी का नहीं रहता कोई इंतजाम

सिटी में संचालित होने वाली अवैध कोचिंगों के बाहर सिक्योरिटी का कोई भी इंतजाम नहीं है। अक्सर यह सुनने में आता है कि किसी कोचिंग के छात्रों के बीच लड़ाई हो गई है, जबकि ज्यादा छात्र संख्या वाले कोचिंग संस्थानों को सिक्योरिटी का इंतजाम करना जरूरी होता है।

इन इलाकों में सबसे ज्यादा अवैध कोचिंग

सिटी के सिविल लाइंस, बिलंदपुर, पैडलेगंज, मोहद्दीपुर, तारामंडल, रूस्तमपुर, बेतियाहाता के अलावा गोला, बेवरी, परनई, चंद चौराहा, कौड़ीराम, बड़हलगंज, सिकरीगंज, खजनी, कैंपियरगंज, पीपीगंज, पिपराइच, पादरी बाजार, खोराबाजार, सिंघडिय़ा, इंजीनियरिंग कॉलेज रोड और सूबाबाजार इलाकों में धड़ल्ले से अवैध कोचिंग संचालित की जा रही है।

मैंने सिटी के एक कोचिंग में एडमिशन लिया तो पहले किसी और टीचर से मैथ्स पढ़वाई जाती थी, लेकिन अचानक से टीचर को ही बदल दिया गया। पूछने पर बताया गया कि उन्होंने जॉब छोड़ दी है। फीस वापसी का कोई प्रावधान नहीं है।

- मोहम्मद अनस, स्टूडेंट

मैंने वनडे एग्जाम की तैयारी के लिए कोचिंग में दाखिला लिया था। लेकिन वहां जीएस की पढ़ाई अच्छी नहीं होती थी। जब मैंने अपना एडमिशन कैंसिल कराने की बात कहकर फीस वापस मांगी तो काउंसलर ने फीस वापस करने से इंकार कर दिया। मजबूरन मुझे एक साल तक उसी कोचिंग में पढऩा पड़ा।

- धीरज सिंह, स्टूडेंट

कोचिंग में एडमिशन लेते वक्त कहा गया था कि ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन क्लासेज का भी संचालन किया जाएगा। आज चार महीने बाद भी ऑनलाइन क्लास नहीं शुरू हो पाई। ऐसे में अगर कभी कोचिंग नहीं जा पाई तो काफी नुकसान होता है।

- अंजली सिंह, स्टूडेंट

मैं जिस कोचिंग में पढ़ती हूं वहां केवल एक ही ट्वायलेट है। ऐसे में काफी दिक्कत होती है। वहीं, किताबें लेने से मना करने के बावजूद फीस में कोई भी छूट नहीं दी गई। वहीं इसी कोर्स के लिए दूसरी कोचिंगों की फीस भी कम है।

- श्वेता मिश्रा, स्टूडेंट